नई दिल्ली, 03 जून (हि.स.) । सुप्रीम ने सीबीआई को मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले की जांच तीन महीने में पूरी करने का निर्देश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि तीन महीने में बच्चियों की हत्या, अप्राकृतिक यौनाचार, शेल्टर होम में आने वाले बाहरी लोगों की भूमिका जैसे पहलुओं की जांच पूरी करें । कोर्ट ने सीबीआई से कहा कि भारतीय दंड संहिता के तहत रेप के आरोपों, यौन शोषण की वीडियो रिकॉर्डिंग की भी जांच करे।
छह मई को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया था कि वो 11 लड़कियों की मौत के मामले की जांच की स्टेटस रिपोर्ट तीन जून तक दाखिल करें। तीन मई को सुनवाई के दौरान सीबीआई ने हलफनामा दायर कर कहा था कि वह मुख्य अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर और दूसरे आरोपितों द्वारा मौत के घाट उतारी गई 11 बच्चियों के मामले की जांच कर रही है। सीबीआई ने कहा था कि उसने एक सह आरोपित की निशानदेही पर श्मशान घाट में हड्डियों का गट्ठर मिला है।
सीबीआई ने कहा था कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में जिन जिन लोगों का आना-जाना होता था, उनके खिलाफ चार्जशीट दायर की गई है और हम पूरक चार्जशीट भी दाखिल करेंगे। सीबीआई ने इन आरोपों का खंडन किया था कि वह ताकतवर लोगों को बचाना चाहती है।
सीबीआई के हलफनामे पर याचिकाकर्ता निवेदिता झा की तरफ से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने छह महीने में जांच पूरी करने का आदेश दिया था। अब तीन महीने और बचे हैं और सीबीआई ने हत्या की धारा को नजरंदाज किया। तब चीफ जस्टिस ने कहा था कि हम दूसरा पक्ष भी सुनना चाहते हैं।
याचिकाकर्ता ने कहा है कि इन मामलों में सीबीआई ने हल्की धाराओं में चार्जशीट दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि हत्या और रेप जैसे अपराध की धाराएं नहीं लगाई गई हैं। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा था कि सीबीआई को जांच इसलिए सौंपी गई थी कि बिहार पुलिस की जांच कमज़ोर है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से दखल देने और उचित दिशा-निर्देश देने की मांग की है।
दिल्ली के साकेत कोर्ट में मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में सभी आरोपितों के खिलाफ आरोप तय किया जा चुका है।