सरकार ने बदली एमएसएमई की परिभाषा, 50 हजार करोड़ रुपये के मदद का ऐलान
नई दिल्ली, 02 जून (हि.स.)। केंद्र सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योग (एमएसएमई) की परिभाषा में एक बार फिर बदलाव किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में ये फैसला लिया गया। मंत्रिमंडल की बैठक में एमएसएमई पर कई अहम फैसले लिए गए हैं। इसमें उनकी वृद्धि क्षमता को मजबूत बनाने के लिए 50 हजार करोड़ रुपये की इक्विटी पूंजी डालने को मंजूरी दी गई। इसके अलावा सरकार ने लोन नहीं लौटा सक रहे एमएसएमई के लिए 20 हजार करोड़ रुपये का कर्ज उपलब्ध कराने को भी मंजूरी दी है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडे़कर और एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को यहां मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी दी। मंत्रिमंडल की घोषणाओं की जानकारी देते हुए एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि मुश्किल में फंसे 2 लाख एमएसएमई के लिए 20 हजार करोड़ रुपये के सबॉर्डिनेट डेट का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा सरकार सूक्ष्म और लघु उद्यमों (CGTMSE) के लिए क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट के तहत 4 हजार करोड़ रुपये की मदद करेगी।
गड़करी ने मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि बैंकों से अपेक्षा की जाती है कि वे एमएसएमई के प्रमोटरो को इकाई में अपनी मौजूदा हिस्सेदारी के 15 फीसदी के बराबर सबॉर्डिनेट डेट प्रदान करें, जो अधिकतम 75 लाख रुपये होगी। इसी तरह सरकार ने घोषणा की कि वह 10 हजार करोड़ रुपये के कोष के साथ एक फंड ऑफ फंड की स्थापना करेगी। इससे एमएसएमई को इक्विटी फंडिंग में मदद मिलेगी।
एमएसएमई का मतलब और नई परिभाषा
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम को संक्षिप्त में एमएसएमई कहा जाता है। एमएसएमई दो प्रकार के होते हैं। इसमें पहला मैनुफैक्चरिंग उद्यम यानी उत्पादन करने वाली इकाई, जबकि दूसरा सर्विस एमएसएमई यानी सेवाएं देने वाले उद्यम. पिछले महीने भी सरकार ने एमएसएमई की परिभाषा बदली थी।
सूक्ष्म उद्योग :- अब सूक्ष्म उद्योग के अंतर्गत ऐसे उद्यम आएंगे, जिनमें एक करोड़ रुपये का निवेश और टर्नओवर 5 करोड़ रुपये तक होगा। यहां निवेश से मतलब मशीनरी वगैरह में निवेश शामिल है। ये परिभाषा मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर दोनों क्षेत्र के उद्यमों पर लागू होगी।
लघु उद्योग :- उन उद्योगों को लघु उद्योग की श्रेणी में रखा जाएगा, जिनका मशीनरी आदि में निवेश 10 करोड़ रुपये और टर्नओवर 50 करोड़ रुपये तक होगा। ये निवेश और टर्नओवर की सीमा मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस दोनों उद्यमों पर लागू होगी।
मध्यम उद्योग :- मैनुफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के ऐसे उद्यम जिनमें 50 करोड़ रुपये का निवेश और 250 करोड़ रुपये टर्नओवर है वह मध्मम उद्योग में आएंगे. एक्सपोर्ट का टर्नओवर इसमें नहीं जोड़ा जाएगा।
उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एमएसएमई सेक्टर के लिए हाल ही में बड़ा ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि इस सेक्टर के लिए 3 लाख करोड़ रुपये तक के लोन की गारंटी सरकार देगी।दरअसल एमएसएमई भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में करीब 29 फीसदी का योगदान करते हैं। एमएसएमई सेक्टर देश में रोजगार का सबसे बड़ा जरिया भी है, जिससे 11 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है।