केन-बेतवा लिंक परियोजना से जल आवंटन में मप्र का नहीं होने देंगे अहित : केन्द्रीय मंत्री शेखावत

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भोपाल, 09 जनवरी (हि.स.)। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा है कि केन बेतवा लिंक परियोजना से जल आवंटन में मध्यप्रदेश का अहित नहीं होने देंगे। साथ ही उत्तरप्रदेश के हितों की भी पूरी रक्षा की जाएगी। इस संबंध शीघ्र ही वे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ संयुक्त बैठक कर अंतिम हल निकालेंगे।
यह बातें उन्होंने शनिवार को भोपाल प्रवास के दौरान मंत्रालय में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं सभी संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों के साथ केन-बेतवा लिंक परियोजना के जल बंटवारे संबंधी बैठक में कहीं। बैठक में जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, नेशनल जल जीवन मिशन के डायरेक्टर भरत लाल, अपर मुख्य सचिव जल संसाधन एसएन मिश्रा आदि उपस्थित थे।
बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश हमेशा से दूसरे राज्यों के हितों की परवाह करता रहा है, परंतु प्रदेश का अहित न हो इसका भी पूरा ध्यान रखा जाएगा। केन-बेतवा परियोजना से मध्यप्रदेश-उत्तरप्रदेश को 700  मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) पानी देने के लिए सहमत है। शीघ्र ही केंद्रीय मंत्री शेखावत के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ बातचीत कर योजना के गतिरोध को दूर किया जाएगा। बैठक में मुख्यमंत्री ने जल आवंटन को लेकर मध्यप्रदेश का पक्ष मजबूती से रखा।
आपसी बातचीत से 15 दिन में निकालें हल
बैठक में ईस्टर्न राजस्थान नहर परियोजना सह पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना में मप्र एवं राजस्थान के बीच जल उपयोग को लेकर भी बातचीत हुई। इस संबंध में केंद्रीय मंत्री शेखावत ने निर्देश दिए कि 15 जनवरी से आगामी 15 दिनों में दोनों पक्ष निरंतर बातचीत कर हल निकालें। इस परियोजना की डीपीआर में प्रस्तावित बांध एवं बैराजों के लिए 50 फीसदी जल निर्भरता पर जल उपयोग की गणना की गई है। मध्यप्रदेश का कहना है कि इसे 75 फीसदी जल निर्भरता पर आकलन के आधार पर पुनरीक्षित किया जाए।
केन-बेतवा लिंक परियोजना के संबंध में मध्यप्रदेश का पक्ष
मध्यप्रदेश की दौधन बांध पर 6590 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) जल उपलब्धता के आधार पर बांध से उत्तरप्रदेश के लिए 700 एमसीएम जल सभी प्रयोजनों के लिए लिंक केनाल सहित नॉन मानसून के दौरान आवंटित करने पर सहमति है। लिंक केनाल द्वारा उत्तरप्रदेश को प्रदत्त जल को शामिल करते हुए उत्तरप्रदेश को आवंटित 1700 एमसीएम जल की एकाउंटिग बरियारपुर पिकअप वीयर पर की जाए। शेष संपूर्ण जल 2733 एमसीएम के उपयोग करने के लिए मध्यप्रदेश स्वतंत्र रहेगा।
उत्तरप्रदेश का पक्ष
परियोजना अंतर्गत उत्तरप्रदेश गैर मानसून अवधि में दौधन बांध से नवम्बर से मई माह तक 935 एमसीएम पानी चाहता है।
राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण का सुझाव
राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण ने सुझाव दिया है कि परियोजना से नॉन मानसून मौसम में दौधन बांध पर उत्तरप्रदेश को 750 एमसीएम तथा मध्यप्रदेश को 1834 एमसीएम जल दें। अभिकरण द्वारा दौधन बांध पर जल उपलब्धता 6188 एमसीएम मानी गयी है।
मध्यप्रदेश का तर्क
परियोजना के अंतर्गत समस्त तकनीकी एवं जल योजना डिजाइन केन्द्रीय जल आयोग द्वारा दौधन बांध पर 6590 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) जल उपलब्धता के आधार पर की गई है, एवं समस्त अनुमोदन इसी आधार पर किए गए है। यदि दौधन बांध पर जल उपलब्धता 6590 एम.सी.एम के स्थान पर 6188 एमसीएम मानी जाती है, उस स्थिति में भविष्य में मध्यप्रदेश को लगभग 400 एमसीएम जल की हानि होगी। साथ ही यदि 750 एमसीएम जल दौधन बांध से नॉन मानसून सीजन में उत्तरप्रदेश को उपलब्ध कराया जाता है, उस स्थिति में रंगवान बांध, अंतरिम जलग्रहण क्षेत्र और बरियारपुर स्टोरेज में लगभग 200 एमसीएम जल उत्तरप्रदेश को अतिरिक्त रूप से प्राप्त होगा। इसलिए उत्तरप्रदेश को कुल आवंटित 1700 एमसीएम जल मौजूदा केन सिस्टम से बरियारपुर पर दिया जाना मप्र के हित में होगा।
केन-बेतवा परियोजना के प्रमुख बिन्दु
वर्ष 2009 में भारत सरकार द्वारा केन-बेतवा लिंक बहुउद्देशीय परियोजना को राष्ष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया एवं इसके वित्त पोषण के लिये 90:10 अनुपात में केन्द्र एवं संबंधित राज्यों के मध्य आधार सुनिश्चित किया गया। परियोजना मप्र के छतरपुर-पन्ना जिले में स्थित है। परियोजना के क्रियान्वयन से होने वाली संपूर्ण क्षति जैसे- भूमि अधिग्रहण, जंगल क्षति, राजस्व भूमि की क्षति, प्रतिपूरक वनीकरण हेतु गैर वनभूमि की व्यवस्था, जनजातीय परिवारों का विस्थापन एवं पुनर्वास इत्यादि मध्यप्रदेश द्वारा वहन की जा रही है। राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण द्वारा परियोजना की ड्राफ्ट अक्टूबर 2018 में तैयार की गई। ड्राफ्ट एकजाई डीपीआर की कुल लागत लगभग 35111.24 करोड़ आंकलित की गई।
जल संसाधन विभाग मध्यप्रदेश द्वारा ड्राफ्ट एकजाई में उत्तरप्रदेश को रबी सीजन में 700 एमसीएम के स्थान पर 930 एमसीएम जल का उपयोग दर्शाया गया है जबकि मध्यप्रदेश का रबी सीजन में जल एवं कमांड क्षेत्र कम किया गया है, जो मध्यप्रदेश को मान्य नहीं है। इस संबंध में भारत सरकार के समक्ष मध्यप्रदेश का पक्ष मजबूती से रखा जाएगा। मुख्यमंत्री ने बैठक में ही केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से परियोजना संबंधी गतिरोध शीघ्र दूर करने सबंधी आग्रह किया।

 


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