मप्रः सर्वपितृ अमावस्या बुधवार को, 11 वर्ष बाद बनेगा गजछाया योग
भोपाल, 05 अक्टूबर (हि.स.)। इस साल सर्व पितृ अमावस्या बुधवार को मनाई जाएगी। इस अवसर पर गजछाया योग बन रहा है। इससे पहले यह योग 11 साल पहले 2010 में बना था। गजछाया योग को अत्यंत शुभ माना जाता है। इस योग में श्राद्ध या तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं। इस योग में श्राद्ध और दान करने से पितरों की क्षुधा अगले 12 सालों के लिए शांत हो जाती है। अब ये योग 8 साल बाद 2029 में बनेगा।
वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष एवं प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डॉ. मृत्युंजय तिवारी ने मंगलवार को बताया कि सर्व पितृ अमावस्या के मौके पर 06 अक्टूबर को सूर्योदय से सूर्य और चंद्रमा शाम 04 बजकर 34 मिनट तक हस्त नक्षत्र में होंगे। इस स्थिति के कारण गजछाया योग बनता है।
उन्होंने कहा कि शास्त्रों के अनुसार, इस दुनिया में सब कुछ देवताओं के अधीन है, लेकिन सन्मति, संतति, पद और प्रतिष्ठा पितृ कृपा के बिना प्राप्त नहीं होता। इसीलिए भारतीय जीवन दर्शन में पितृ पक्ष का अधिक महत्व है। यही कारण है कि श्राद्घ पक्ष के तिथियों में लोग अपने पूर्वजों को प्रसन्न करने के लिए बहुत से प्रयास तर्पण, पिंडदान, श्राद्घ ब्राह्मण भोजन आदि के करते हैं।
उन्होंने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सर्व पितृ अमावस्या के दिन गजछाया योग बन रहा है। इस दिन गजछाया योग में पितरों का श्राद्ध करें और घी मिली हुई घी का दान करें। इसके अलावा गरीबों व जरुरतमंदों को दान देना चाहिए। मान्यता है कि अन्न और वस्त्र के दान से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं।
क्या होता है गजछाया योग
ज्योतिषाचार्य डॉ. तिवारी ने बताया कि वस्तुतः जब सूर्य और चंद्रमा हस्त नक्षत्र में एक साथ आए तब यह योग बनता है। गजछाया योग अत्यंत शुभ होता है। 6 अक्टूबर को सूर्य और चंद्रमा दोनों सूर्योदय से लेकर शाम 4.34 बजे तक हस्त नक्षत्र में रहेंगे। इस स्थिति के कारण गजछाया योग बनेगा। धर्म शास्त्र के अनुसार इस योग में श्राद्ध करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। इतना ही नहीं, शास्त्रों के अनुसार इस योग में तर्पण-श्राद्ध करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि आती है। सर्व पितृ अमावस्या पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है, इसे विसर्जनी अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन उन सभी अज्ञात पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी तिथि हम भूल चूके होते हैं।