नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में महाशक्ति बन रहा है भारत, चीन हो रहा है आइसोलेट : प्रो राकेश सिन्हा

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बेगूसराय, 27 मई (हि.स.)। अंतरराष्ट्रीय सीमा पर चीन की बढ़ती हरकतों को लेकर राष्ट्रवादी विचारक और राज्यसभा सांसद प्रो. राकेश सिन्हा ने जोरदार हमला किया है। बुधवार को वीडियो जारी कर उन्होंने कहा है कि चीन कोरोना के संकट के बीच उत्तेजना पैदा कर संकट बढ़ाना चाहता है। जबकि भारत सहयोग और मेल-जोल से दुनिया को संकट से मुक्त करना चाहता है। चीन ने कोविड-19 के द्वारा पूरी दुनिया को तबाह करना चाहा, लेकिन यह दांव चीन को उल्टा पड़ गया और पूरी दुनिया में चीन अलग-थलग पर गया है। भारत की बढ़ी ताकत से घबराया हुआ है चीन किसी भी प्रकार से दुनिया में उसके प्रभाव को रोकने के लिए हर नाकाम कोशिश कर रहा है। चीन ने किसी भी इस प्रकार की अनापेक्षित हरकत की तो आज भारत में वह राजनीतिक शक्ति है, सामरिक शक्ति है, नेतृत्व की वह इच्छा शक्ति है, विल पावर है, जिसके आधार पर हम चीन को परास्त कर देंगे। चीन हर तरह से भारत के खिलाफ वातावरण तैयार करने की कोशिश करते हुए उत्तेजना भी पैदा कर रहा है। चीन की भ्रांति है कि वह भारत को 1962 का भारत समझ रहा है। जबकि यह ना नेहरू का भारत है और ना 1962 का भारत है, यह 2020 का नरेंद्र मोदी का भारत है। अभी समय संकट बढ़ाने का नहीं, संकट को कम करने का है। अस्तित्व पर मंडरा रहे खतरे को भारत प्राथमिकता दे रहा है, लेकिन चीन की जो प्राथमिकता है उसे दुनिया जानती है। चीन को भूलना नहीं चाहिए कि तिब्बत का मसला समाप्त नहीं हुआ है, जब तक तिब्बत की आजादी नहीं हो जाती तब तक दुनिया के सामने यह प्रश्न खड़ा रहेगा कि उपनिवेशवाद है या समाप्त हो गया।

उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में सत्ता संभालते ही 2014 में बहुत ही महत्वपूर्ण हस्तक्षेप किया था, वह था उन छोटे-छोटे देशों के साथ भारत का द्विपक्षीय संबंध स्थापित करना। मोदी जब जापान गए तो संदेश दिया था कि अब साम्राज्यवाद का समय नहीं रहा, मध्ययुग नहीं है, यह संदेश चीन का नाम लिए बगैर चीन के लिए था। 2014 के बाद भारत एक महाशक्ति के रूप में दुनिया में आर्थिक, राजनीतिक, कूटनीतिक शक्ति के रूप में उभर रहा है। दूसरी ओर चीन कोविड-19 के कारण पूरी दुनिया में आइसोलेटेड हो रहा है। लोगों का ध्यान हटाने के लिए भारत की सीमाओं पर उत्तेजनात्मक गतिविधियां कर रहा है। ताइवान और हांगकांग में चीन की जो गतिविधियां है, उन गतिविधियों के खिलाफ विद्रोह और विरोध के कारण चीन लोगों का ध्यान हटाना चाहता है। प्रो. सिन्हा ने कहा है कि अक्साई चीन के बारे में चीन जो ग्लोबल अभिमत दे रहा है, वह अंतर्राष्ट्रीय मर्यादा और द्विपक्षीय संबंधों के प्रतिकूल है 1962 के युद्ध में और उससे चार साल पहले से चीन लगातार भारतीय सीमा पर अतिक्रमण करके एक बड़े भूभाग को अवैधानिक, अनैतिक और सभी अंतरराष्ट्रीय कानून और मर्यादाओं को तोड़ते हुए अपने अधीन कर लिया था। वह अक्साई चीन भारत का था, भारत का है और भारत का रहेगा। तत्काल भारत किसी भी प्रकार से उत्तेजनात्मक गतिविधियों में शामिल नहीं हो रहा है और ना ही होना चाहता है।

 


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