प्रारंभिक शिक्षा मातृ भाषा में ही होनी चाहिये- सोमप्रकाश

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स्थापित संस्थानों जैसे IIT,IIM में भारतीय भाषाओं में पढ़ाने की योजना बनाने की आवश्यकता -संतोष तनेजासरकारी कार्यालयों में अंग्रेजी की जगह मातृ भाषा का हो प्रयोग- अभिजय चोपड़ा



नई दिल्ली, 25 जुलाई : विद्या भारती पंजाब द्वारा आयोजित ‘ भारतीय भाषा में शिक्षा’ विषय पर आयोजित वेब गोष्ठी में बोलते हुए केंद्रीय उद्योग एवं वाणिज्य राज्य मन्त्री सोम प्रकाश जी ने कहा कि प्रारंभिक शिक्षा मातृ भाषा में ही होनी चाहिये।भाषा केवल संवाद के लिए बल्कि भाव भावनाओं के सम्प्रेषण के लिए भी होती है।
स्वाभिमान का प्रतीक भी होती है।मातृ भाषा से संस्कार व संस्कृति भी पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती रहती है।
संतोष तनेजा जी ने आगे बोलते हुए कहा कि देश की सिर्फ 5% आबादी अंग्रेजी पढ़ सकती है फिर भी सभी व्यावसायिक शिक्षण संस्थान केवल अंग्रेजी में ही पढ़ाई करवाती हैं। इस का अर्थ है कि एक प्रकार से 90% से अधिक आबादी जो भारतीय भाषाओं में सरकारी विद्यालयों एवं अन्य विद्यालयों में पढ़ता है उस के लिये 10+2 के बाद सारे रास्ते बंद हैं। विश्व के सर्वाधिक 20 धनी देशों में से केवल 4 देश जिनमे से तीन US,UK, Australia ही अंग्रेजी में पढ़ाते हैं एवं कनाडा अंग्रेजी और फ्रेंच में पढ़ाता है। जबकि बाकी 16 देश जैसे कि इटली, हॉलेंड इजराईल आदि सारी शिक्षाएं अपनी भाषा में पढ़ाते हैं एवं इन देशों में अंग्रेजी माध्यम वाले देशों की तुलना में अधिक नोबेल पुरस्कार मिलते हैं एवं अनुसंधान होते हैं। हमारी भारतीय भाषाएं हर दृष्टि से सुदृढ़ एवं वैज्ञानिक हैं किंतु इन भाषाओं में किसी को भी उच शिक्षा में पढ़ने के बाद करइएर नहीं मिल सकता।वर्तमान स्थिति में सिविल सेवाओं में भी भारतीय भाषाओं के माध्यम से पढ़ने वाले विद्यार्थी 7-8%से ज्यादा पास नहीं हो पाते।73 वर्ष की आजादी के बाद भारतीय भाषाओं के 90%से अधिक विद्यार्थियों को न्याय देने के लिये शीघ्र से शीघ्र इन भाषाओं में पढ़ाई करने वालों को आगे बराबर का अवसर देने का प्रावधान होना ही चाहिये
इसी अवसर पर पंजाब केसरी समूह के निदेशक अभिजय चोपड़ा जी ने सरकारी संस्थानों में मातृ भाषा के प्रयोग पर बल दिया। इस अवसर पर पंजाब के संस्थानों के प्रधानाचार्य एवं समाज के बुद्धिजीवी वर्ग के अनेक महानुभाव उपस्थित थे।


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