मठ-मंदिरों ने खोले खजाने, संतों ने ‘नर सेवा नारायण सेवा’ का दिखाया मार्ग

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महामारी से बचाने के लिए मठों-मंदिरों ने अपने खजाने खोल दिए हैं तिरुपति बालाजी मंदिर ट्रस्ट ने दिया 200 करोड़ रूपये का दान  महाराष्ट्र का शिर्डी साईं ट्रस्ट ने दिया 51 करोड़ रूपये का दान  माता वैष्णोदेवी मंदिर ट्रस्ट ने 7 करोड़ रूपये का दान दिया  पतंजलि योग पीठ की ओर से 25 करोड़ रूपये की घोषणा  सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट ने 1 करोड़ रुपये भिजवाए



लखनऊ, 31 मार्च (हि.स.)। हिन्दू समाज के भीतर दया-करुणा और सेवा का भाव पैदा करने में साधु-संतों और मठ-मंदिरों की सबसे प्रमुख भूमिका रही है। समाज पर जब भी कोई विपदा आती है, लोग स्वेच्छा से ही जनसेवा करने के लिए आगे आते हैं और धनाढ़्य लोग भी अपनी तिजोरी खोल देते हैं।  कोरोना की महाभयंकर आशंका को देखते हुए और पहली बार इतने लंबे लॉकडाउन के मद्देनजर इस बार मठों और मंदिरों ने भी अपने खजाने का मुंह खोल दिया है। वैसे तो अनेक मठ और मंदिर हमेशा से सेवाकार्य करते आ रहे हैं और किसी ने किसी रूप में समाज सेवा से जुड़े हैं। पर इस बार ये ‘भामाशाह ’ की भूमिका में आ गए हैं।

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने रविवार को अपील करते हुए कहा था कि ‘इतिहास साक्षी है जब-जब राष्ट्र के मान-सम्मान पर आंच आयी, संकटों के बादल छाये, तब-तब देश की संत-शक्ति ने अग्रणी भूमिका निभाई है। उनके द्वारा संचालित मठों-मंदिरों में प्राप्त दान को उन्होंने पीड़ित समाज के हित में ज्यों का त्यों दान कर दिया। उस दान से चिकित्सालय और आश्रय स्थल बनवाकर समाज की सेवा की।’ केशव प्रसाद मौर्य की इस मार्मिक अपील का देशव्यापी असर हुआ। एक के बाद एक मंदिर न्यासों और मठों के प्रमुखों ने प्रधानमंत्री और अपने अपने राज्य के मुख्यमंत्री को  संदेश भेजकर कहा कि वे राष्ट्रीय संकट की इस घड़ी में हर प्रकार की मदद को हर तरह से तैयार हैं। इसके साथ ही प्रारंभिक तौर पर इन संस्थाओं ने प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री राहत कोष में जो राशि भेजी, उसके आंकड़े बताते हैं कि इन मठों-मंदिरों और साधु-संतों का कार्य केवल  कर्मकांड कराना या धर्म-कर्म पर प्रवचन देना नहीं है। हमारे देश की यह आध्यात्मिक शक्ति स्वयं के कृत्य से पूरे समाज को हमेशा से ही मार्ग दिखाती आई है। इस बार भी मंदिर समितियों ने इस वैश्विक महामारी और आसन्न आर्थिक संकट से निपटने के लिए  ‘भामाशाह’ की भूमिका निभाने के लिए समाज को प्रवृत्त किया है।
आन्ध्र प्रदेश के विश्व प्रसिद्ध  ‘तिरुपति बालाजी मंदिर ट्रस्ट’ की ओर से राज्य सरकार को 200 करोड़ रूपये दान स्वरूप भेजे गए हैं । तिरूपति में प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में दर्शनार्थी आते हैं। कोरोना संक्रमण के चलते  इन दिनों यहां दर्शन पर रोक है।  महाराष्ट्र के भी विश्व प्रसिद्ध शिर्डी साईं ट्रस्ट की ओर से 51 करोड़, माता वैष्णो देवी मंदिर ट्रस्ट की ओर से सात करोड़, पतंजलि योग पीठ की ओर से 25 करोड़ रुपये प्रधानमंत्री विशेष सहायता कोष में जमा कराए गए। वहीं गायत्री परिवार, शांतिकुंज हरिद्वार, वेदमाता गायत्री मंदिर ट्रस्ट की ओर से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री कोष में एक करोड़ दान दी गई है। आई अंबाबाई महालक्ष्मी देवस्थान, कोल्हापुर की ओर से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री राहत कोष में दो करोड़, गुजरात स्थित सोमनाथ मंदिर ने एक करोड़, अम्बाजी मंदिर- एक करोड़, सांवलिया मंदिर मण्डल 50 लाख, मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट (हरिद्वार) ने 16 लाख रूपये जनसेवा के कार्यों के लिए दान दिए। यह देश ही नहीं दुनिया के लिए बड़ा संदेश है।
इसके अलावा इस वैश्विक आपदा से देशवासियों को बचाने के लिए पटना के श्री महावीर हनुमान मंदिर ट्रस्ट की ओर से एक करोड़ रुपये मुख्यमंत्री सहायता कोष, मध्य प्रदेश में स्थित उज्जैन महाकालेश्वर की ओर से 2.5 लाख रुपये मुख्यमंत्री सहायता कोष  व 2.5 लाख रुपये प्रधानमंत्री राहत कोष में दान दी गई। इसके अलावा अन्न क्षेत्र के माध्यम से सभी जरूरतमंद लोगों को भोजन की व्यवस्था है।
राजस्थान के सालसर बालाजी धाम की ओर से 22 लाख रुपये, सीकर स्थित जीणमाता मन्दिर ट्रस्ट की ओर से 5 लाख रुपये., खाटू श्याम जी मन्दिर ट्रस्ट ने 11 लाख रूपये राज्य के मुख्यमंत्री सहायता कोष में जमा की गई। अचलेश्वर मन्दिर ग्वालियर ने 1 लाख 11 हजार रुपये प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा किए।
हल्द्वानी स्थित कोरोना टेस्ट लैब की मशीन खराब होने पर पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट ने अपनी लैब की लाखों रुपए की टेस्टिंग मशीन दान की है। गुजरात में  स्वामीनारायण मन्दिर संस्थान 11 लाख की सहायता दी। श्री ब्रह्माजी का मन्दिर एवं राजपुरोहित समाज विकास न्यास, श्री खेतेश्वर ब्रह्मधाम तीर्थ आसोतरा बाड़मेर राजस्थान की ओर से सन्त श्री तुलछाराम जी महाराज के सान्निध्य में कोरोना महामारी से निपटने में 11 लाख रुपये का सहयोग किया है। श्री सिद्ध शक्तिपीठ महामाया देवी, रतनपुर जिला बिलासपुर, छत्तीसगढ़ की ओर से मुख्यमंत्री राहत कोष में 5 लाख 11 हजार रुपये का दान किए गए।
इसके अलावा कानपुर स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर ने उनके अस्पताल को क्वारेंटाइन में बदलने का प्रस्ताव दिया है। इसके अलावा हनुमान मंदिर और आनंदेश्वर धाम मंदिर कई जरूरत मंद लोगों के भोजन की व्यवस्था कर रहे हैं। बाबा भोले की नगरी वाराणसी में विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट व अन्नपूर्णा मंदिर ट्रस्ट की ओर से रोजाना हजारों लोगों को भोजन कराया जा रहा है। श्रीराम की नगरी अयोध्या तथा श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में विभिन्न अन्न क्षेत्रों के माध्यम से हजारो लोग भोजन ग्रहण कर रहे हैं।
इसके अलावा जय अम्बे माता मंदिर, बजरंगगढ़, अजमेर ने 1 लाख 51 हजार, वीवीआईपी रोड स्थित श्रीराम मंदिर, रायपुर 2.51 लाख, जैतु साव मठ, रायपुर ने 1.5 लाख और मशीन, प्रिंस संस्थान 05 लाख, चण्डी माता मंदिर, छ्तीसगढ़ ने एक लाख, कटनी में हरे माधव परमार्थ सत्संग समिति ने 13 लाख रूपये व हरे माधव रूहानी बाल संस्कार समिति के बच्चों ने 21013 रुपये की राशि कटनी जिला कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री सहायता कोष में दी है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी मठ-मंदिर और संत समाज जून, 2013 में भीषण बारिश के कारण आई प्राकृतिक आपदा में,  26 जनवरी 2001 गुजरात में भूकंप, 2005 में मुंबई महाराष्ट्र की बाढ़, 2008 अगस्त के दौरान  बिहार, झारखंड कोसी नदी में बाढ़, भारत में सुनामी:2004, यहां तक अप्रैल 2015 में नेपाल राष्ट्र में आए भूकंप की प्राकृतिक त्रासदी में हर संभव सहायता प्रदान की थी।

 


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