राम का काज करना है, राम का काज होकर रहेगा: मोहन भागवत.
उदयपुर, 27 मई (हि.स.) । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा है कि राम का काम करना है और राम का काम होकर रहेगा। यह बात उन्होंने रविवार को उदयपुर के प्रताप गौरव केन्द्र के कुंभा सभागार में राष्ट्रसंत मोरारी बापू द्वारा किए गए आह्वान के बाद अपने उद्बोधन में कही।
कार्यक्रम के आरंभ में राष्ट्रसंत मोरारी बापू ने अपने उद्बोधन में महाराणा प्रताप की धरती पर उनके शौर्य को नमन करते हुए कहा कि प्रभाव दिखा चुके और प्रताप भी दिखाना होगा। राम का नाम बहुत हो चुका, अब राम की सेवा करनी है। पूजा से ज्यादा सेवा का महत्व है। इस पर बाद में भागवत ने अपने उद्बोधन में कहा कि पूजा शुरू हो चुकी है, अब सेवा का मार्ग तय करना है।
प्रताप गौरव केन्द्र पर नवनिर्मित नौ मंदिरों के लोकार्पण के बाद आयोजित सभा में राष्ट्रसंत मोरारी बापू ने विभीषण और हनुमान का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि हनुमान ने विभीषण से कहा कि राम नाम जपने से प्रभु की कृपा नहीं मिलेगी क्योंकि आपने राम का काम नहीं किया। अपने भाई रावण के समक्ष अनैतिक कार्य के प्रति विरोध प्रदर्शन नहीं किया। इस प्रसंग के साथ उन्होंने राम मंदिर की तरफ इशारा करते हुए कहा कि देश राम नाम जपता रहा है और आज देश ऐसे काल से गुजर रहा है जब हमें राम का काम भी करना है। उन्होंने आह्वान किया कि राम का नाम भी लें और राम का काम करने का संकल्प भी लें।
बापू ने कहा कि हनुमान की तरह महाराणा प्रताप भी बलशाली थे और शीलव्रती भी। प्रताप इस देश के प्रात: स्मरणीय हैं, पुण्य श्लोक हैं। युवाओं को प्रताप की प्रतिमा के दर्शन कर उनकी प्रतिभा का अंगीकरण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रताप गौरव केन्द्र भव्य तो है ही, यह दिव्य भी है और सेव्य भी।
राष्ट्रसंत मोरारी बापू के इशारों ही इशारों में राम मंदिर पर किए गए आह्वान के बाद जैसे ही डॉ. भागवत उद्बोधन देने आए तो उन्होंने सबसे पहले यह कहा कि वे मंतव्य भी समझ गए हैं और वक्तव्य भी समझ गए हैं। पूजा हो चुकी है, अब सेवा बाकी है। जोश का काम एक हो चुका किन्तु असली काम अब शुरू होगा। यह किसी पार्टी का एजेंडा नहीं है। वास्तव में हम सभी को जाग्रत रहना है। राम का काम करना है और सभी को मिलकर करना है, क्योंकि सभी में राम हैं, सभी आत्मा राम हैं। खुद का कार्य खुद करें तो ठीक रहता है, दूसरों को सौंप देते हैं तब भी निगरानी तो रखनी ही पड़ती है।
डॉ. भागवत ने कहा कि हमारा गंतव्य तय है कि भारत को परम वैभव पर पहुंचाना है, लेकिन किसी भी गंतव्य के लिए पथ का ज्ञान होना जरूरी है और पथ के ज्ञान के लिए यह भी ज्ञात होना जरूरी है कि प्रस्थान बिन्दु कहां है। प्रस्थान बिन्दु और पथ का मार्गदर्शन हमारा इतिहास करता है। कुछ ताकतें ऐसी भी हैं जो हमारे इतिहास को भुला देने का प्रयास कर रही हैं, हमारे पथ को भुला देने का प्रयास कर रही हैं। हमारा देश सनातन धर्म और सनातन परम्पराओं के साथ एकरूप है, उसके सिवाय नहीं है। अंतरमन में मानवता को पालने वाला हमारा धर्म है, हमारी संस्कृति है, तभी तो युद्ध में घायल शत्रु को पानी पिलाना हम धर्म मानते हैं और युद्ध में फंसे शत्रु के परिवार की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी हमारी संस्कृति है। परमवैभव हमें अपने पथ और परिश्रम से लाना है। इसके लिए हर मन में भारत की भक्ति होनी चाहिए और हरेक को भारत बनना होगा।
उन्होंने प्रताप गौरव केन्द्र को प्रेरणा केन्द्र बताते हुए कहा कि आज इस प्रेरणा केन्द्र में भक्तिधाम के रूप में ऊर्जा प्रदान करने वाली शक्तियों का अवतरण हुआ है, इससे भारत की भक्ति का अधिष्ठान होगा। यह स्थल सिर्फ प्रेक्षणीय नहीं बल्कि प्रेरणा स्थल रहेगा।
संघ प्रमुख ने कहा कि हमें कृष्ण जैसा मागदर्शन और अर्जुन की तरह पुरुषार्थ अपनाना होगा। सम्पूर्ण विश्व को हमारा दर्शन बताना होगा। हमें महाशक्ति बनना होगा, और महाशक्ति बनकर विश्व को यह समझाना होगा कि शक्ति यदि राम के पास हो तो क्या होता है और शक्ति यदि रावण के पास हो तो क्या होता है। उन्होंने कहा कि आज सभी सिर्फ एक बात याद रखें जो मोरारी बापू ने कही, राम का काम करना है और राम का काम होकर रहेगा।
इससे पूर्व, संघ प्रचारक ओम ने लोकार्पित हुए भक्तिधाम और उसके अंदर निर्मित नौ मंदिरों के दृष्टिकोण के बारे में जानकारी दी। इस मौके पर शिल्पकार त्रिपुरा सुंदरी तलवाड़ा निवासी धर्मेन्द्र सोमपुरा का भी प्रतीक चिह्न प्रदान कर अभिनंदन किया गया। मंच पर इतिहासकार डॉ. केएस गुप्त, प्रताप गौरव केन्द्र के अध्यक्ष गोविन्द सिंह टाक, राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, मिराज ग्रुप के संस्थापक मदन पालीवाल उपस्थित थे। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में गणमान्य, पूर्व मंत्री व विधायक किरण माहेश्वरी, वासुदेव देवनानी, भाजपा के प्रदेश संगठन मंत्री चंद्रशेखर सहित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी, प्रचारक मौजूद थे।
प्रताप गौरव केन्द्र के भक्तिधाम में नौ मंदिर बनाए गए हैं जिनमें मेवाड़ के आराध्य एकलिंग नाथजी, सांवलिया सेठ, चारभुजा नाथ, श्रीनाथजी, केसरिया जी, द्वारकाधीश जी, राम दरबार, सिद्धि विनायक, चामुंडा माता मंदिर शामिल हैं। इस भक्तिधाम के सभी मंदिरों में दोनों ही राष्ट्रप्रेरकों ने आरती वंदन किया।