ओसाका(जापान)/नई दिल्ली, 28 जून (हि.स.)। प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शुक्रवार को दोनों देशों के बीच व्यापार सम्बन्धी विवाद, ईरान से तेल आयात, भारत-प्रशांत क्षेत्र सहित अन्य क्षेत्रों में रक्षा सहयोग और आधुनिक सूचना प्रोद्यौगिकी जी-5 पर सकारात्मक वार्ता की।
बातचीत के बाद मोदी ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ वार्ता बहुत व्यापक रही। हमने प्रौद्यागिकी की शक्ति का उपयोग करने, रक्षा और सुरक्षा के संबंधों को मजबूत करने तथा व्यापार सम्बन्धी मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत अमेरिका के साथ आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत बनाना चाहता है। ट्रम्प ने कहा कि भारत और अमेरिका आज जितने नजदीक हैं, ऐसा पहले कभी नहीं था। उन्होंने लोकसभा चुनावों में जीत हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बधाई देते हुए कहा, ‘आपने बहुत अच्छा काम किया।’
विदेश मंत्रालय ने दोनों नेताओं की बातचीत को बेलाग और फलदायी बताते हुए कहा है कि इसमें साझा हित के मामलों पर चर्चा हुई। वार्ता 5 जी प्रौद्योगिकी, रक्षा व सुरक्षा व्यापार पर केंद्रित रही। अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय ह्वाइट हाउस ने वार्ता के बारे में कहा है कि इसमें अमेरिका के व्यापार घाटे के बारे में चर्चा हुई। साथ ही रक्षा सहयोग बढ़ाने तथा हिन्द महासागर और प्रशांत क्षेत्र में शान्ति-स्थिरता कायम रखने पर भी बातचीत हुई।
उल्लेखनीय है कि भारत और अमेरिका के बीच हाल में व्यवसाय सम्बन्धी विवाद पैदा हुआ है। अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर रियायती व्यवस्था खत्म कर दी है और भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिकी उत्पादों पर सीमा शुल्क में बढ़ोतरी कर दी है। वार्ता के पहले ट्रम्प ने भारत को चेतावनी भरे लहजे में आगाह किया था कि शुल्क में वृद्धि स्वीकार नहीं की जा सकती।
जी-20 शिखर वार्ता शुरू होने के पहले भारत, जापान और अमेरिका के त्रिपक्षीय गुट (जय) की महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें मोदी, ट्रम्प और जापान के प्रधानमंत्री शिन जो आबे ने भारत प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति का जायजा लिया और साझा रणनीति पर काम करने पर चर्चा की। बैठक के बाद भारत की ओर से कहा गया गया कि तीनों नेताओं ने भारत प्रशांत क्षेत्र में नियम आधारित, मुक्त और स्थिर माहौल बनाने के लिए साथ मिलकर काम करने का निश्चय किया। इस क्षेत्र में संपर्क सुविधाओं के विस्तार और आधारभूत ढांचे के विकास पर भी चर्चा हुई। प्रधानमंत्री ने भारत,रूस,चीन,ब्राजील और द. अफ्रीका के संगठन ब्रिक्स की बैठक में भी भाग लिया। इसमें क्षेत्रीय, बहुपक्षीय और वैश्विक मामलों में सहयोग पर चर्चा हुई। मोदी ने बैठक में एक पांच सूत्रीय एजेंडा रखा ताकि विश्व की मौजूदा समस्याओं का हल खोजा जा सके।
ब्रिक्स बैठक में मोदी ने कहा कि दुनिया में आज तीन प्रमुख चुनौतियां हैं- पहली, विश्व की अर्थव्यवस्था में मंदी और अनिश्चितता। नियमों पर आधारित बहुपक्षीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था पर एकतरफा निर्णय और प्रतिद्वंद्विता हावी हो रहे हैं। दूसरी ओर, संसाधनों की कमी इस तथ्य में झलकती है कि उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों में इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश के लिए अंदाजन 1.3 ट्रिलियन डालर की कमी है। उन्होंने कहा दूसरी बड़ी चुनौती है विकास और प्रगति को समावेशी और टिकाऊ बनाना। तेजी से बदलती हुई टेक्नोलॉजी जैसे कि डिजिटलाइजेशन और जलवायु परिवर्तन सिर्फ हमारे लिए ही नहीं, आने वाली पीढ़ियों के लिए भी चिंता के कारण हैं। विकास तभी सही मायने में विकास है जब वह असमानता घटाए और सशक्तिकरण में योगदान दे।
मोदी ने कहा कि तीसरी चुनौती आतंकवाद की है जो सारी मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा है। यह निर्दोषों की जान तो लेता ही है, आर्थिक प्रगति और सामाजिक स्थिरता पर बहुत बुरा असर भी डालता है। हमें आतंकवाद और जातिवाद को समर्थन और सहायता के सभी रास्ते बंद करने होंगे। उन्होंने कहा कि इन समस्याओं का निराकरण यद्यपि आसान नहीं है, फिर भी समय की सीमा में 5 प्रमुख सुझाव देना चाहूंगा। पहला- ब्रिक्स देशों के बीच तालमेल से एकतरफा फैसलों के दुष्परिणामों का निदान कुछ हद तक हो सकता है। दूसरा-हमें बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय और व्यापारिक संस्थाओं तथा संगठनों में आवश्यक सुधार पर जोर देते रहना होगा। निरंतर आर्थिक विकास के लिए आवश्यक ऊर्जा के संसाधन जैसे तेल और गैस कम कीमतों पर लगातार उपलब्ध रहने चाहिए।
तीसरे सुझाव के रूप में मोदी ने ब्रिक्स देशों के नवीन विकास बैंक द्वारा सदस्य देशों के भौतिक और सामाजिक इंफ्रास्ट्रक्चर तथा अक्षय ऊर्जा कार्यक्रमों में निवेश को और प्राथमिकता मिलनी चाहिए। आपदाओं का सामना करने में सक्षम आधारभूत ढांचे के निर्माण के लिए उन्होंने विभिन्न देशों के एक गठबन्धन की वकालत की। इसमें भारत की पहल अल्प विकसित और विकासशील देशों को प्राकृतिक आपदा का सामना करने के लिए उचित इंफ्रास्ट्रक्चर में सहायक होगी। उन्होंने विभिन्न देशों से गठबंधन में शामिल होने का आह्वान किया।
मोदी का चौथा सुझाव मानव संसाधन के मुक्त आवागमन से जुड़ा था। उन्होंने कहा कि विश्वभर में कुशल कारीगरों का आवागमन आसान होना चाहिए। इससे उन देशों को भी लाभ होगा जहां आबादी का एक बड़ा हिस्सा कामकाज की उम्र पार कर चुका है। अंतिम सुझाव के रूप में प्रधानमंत्री ने आतंकवाद के खिलाफ साझा रणनीति बनाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए सहमति बननी चाहिए। सहमति का अभाव घातक होगा।