मोदी ने चीनी राष्ट्रपति को महाबलीपुरम में दिखाई भारत की सांस्कृतिक विरासत

0

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में मेहमान नेता ने भारत की समृद्ध नाट्य शैलियों और अन्य कलाओं का मुग्ध कर देने वाला कार्यक्रम देखा।



नई दिल्ली, 11 अक्टूबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को चेन्नई से 56 किलोमीटर दूर समुद्र तट पर स्थित महाबलीपुरम में भारत की सांस्कृतिक विरासत के दर्शन कराए। इस दौरान दोनों नेताओं ने ऐतिहासिक स्मारकों के दर्शन किए और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लिया।

देर शाम चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ महाबलीपुरम में समुद्र किनारे स्थित मंदिर परिसर में भारतीय संस्कृति के विभिन्न रूप रंगों का अवलोकन किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में मेहमान नेता ने भारत की समृद्ध नाट्य शैलियों और अन्य कलाओं का मुग्ध कर देने वाला कार्यक्रम देखा।

समुद्र की लहरों से प्रच्छालित होने वाले इस प्राचीन मंदिर के परिसर में करीब एक घंटे के सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान कलाकारों ने भरत नाट्यम और कथकली नृत्यों के साथ ही पौराणिक प्रसंगों पर आधारित कार्यक्रमों को देखा। कार्यक्रम का समापन संत कबीर के भजन से हुआ। कार्यक्रम के बाद दोनों नेताओं ने कलाकारों के साथ समूह फोटोग्राफ खिंचवाया।

बेंगलुरु स्थित कला क्षेत्र संस्था ने यह प्रस्तुतियां दी। कला क्षेत्र की विख्यात नृत्यांगना रुकमणी अरुंडेल ने 20वीं शताब्दी के आरंभ में की थी तथा इस संस्था ने भरत नाट्यम के प्रचार प्रसार में असाधारण योगदान दिया था।

नरेन्द्र मोदी ने मेहमान नेता को तमिलनाडु की हस्तकला से निर्मित दीपदान और तंजावुर पेंटिंग भेंट की। मोदी ने मेजबान नेता और उनके प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को रात्री भोज दिया।

इससे पहले चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शुक्रवार को ऐतिहासिक शहर महाबलीपुरम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की जहां दोनों नेताओं की अनौपचारिक शिखर वार्ता तय है। राष्ट्रपति शी चेन्नई अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर पहुंचे। यहां से वह कुछ देर आराम कर 56 किलोमीटर दूर समुद्र तट पर स्थित महाबलीपुरम पहुंचे।

चीनी राष्ट्रपति अपराहन चार बजे ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के नगर महाबलीपुरम के लिए रवाना हुए थे। महाबलीपुरम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहले पहुंचे। इसके बाद उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी का स्वागत किया। प्रधानमंत्री मोदी महाबलीपुरम में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के स्वागत के दौरान तमिलनाडु की पारंपरिक वेशभूषा कुर्ता और वेष्टी में नजर आए। सफेद रंग के परिधान में मोदी ने मेहमान नेता को महाबलीपुरम के पुरातात्विक स्थलों का भ्रमण कराया तथा उन्हें हर स्थल के पुराणिक महत्व की जानकारी दी।

दोनों नेताओं के साथ भाषा रुपातंकरण के लिए दो-भाषायी साथ नजर आए। कई अवसरों पर दोनों नेता एक-दूसरे के बीच वार्ता और बातचीत समझते नजर आए।

वहां पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी महाबलीपुरम के दर्शनीय स्थलों के भ्रमण के दौरान मेहमान नेता के साथ नजर आए। दोनों नेताओं ने महाभारत के प्रसंगों पर आधारित प्राचीन स्मारकों का अवलोकन किया। पल्लव राजवंश के काल में सातवीं और आठवीं शताब्दी में निर्मित इन स्मारकों में अर्जुन का तपस्या स्मारक, पांडव बंधुओं युद्धिष्ठिर, अर्जुन, भीम, नकुल और सहदेव के रथ मंदिर और संमुद्र के तट पर निर्मित शिव मंदिर शामिल थे। अर्जुन तपस्या स्मारक में अर्जुन को महाभारत युद्ध जीतने के लिए शिव की आराधना करते हुए चित्रित किया गया है। दोनों नेताओं ने कृष्णा बटर बॉल के पास तस्वीर खिंचवाई और साथ हाथ मिलाकर ऊपर उठाए। पंचरथ में बातचीत करते हुए दोनों नेताओं ने नारियल पानी पिया।

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ दूसरी अनौपचारिक शिखरवार्ता के लिए करीब 24 घंटे चेन्नई-महाबलिपुरम में प्रवास करेंगे। इससे पहले चेन्नई हवाईअड्डा परिसर में उतरने के बाद चीनी राष्ट्रपति का स्वागत रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन किया गया। तमिलनाडु के लोक कलाकार पारंपरिक वाद्य यंत्रों और नृत्य से उनका स्वागत करते हुए दिखाई दिए।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिंनपिंग तमिलनाडु के ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के समुंद्र तटीय नगर महाबलिपुरम में बिना किसी पूर्व निर्धारित एजेंडे के विचार-विमर्श करेंगे। वार्ता का उद्देश्य सीमा पर शांति व स्थायित्व कामय रखना और विश्वास बहाली के उपायों को आगे बढ़ाना है। शी जिंगपिंग शनिवार दोपहर बाद 1.30 बजे चेन्नई से नेपाल के लिए रवाना हो जाएंगे।

अनौपचारिक शिखर सम्मेलन दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के अतिव्यापी मुद्दों पर चर्चा जारी रखने और भारत-चीन क्लोजर डेवलपमेंट पार्टनरशिप को गहन बनाने पर विचारों के आदान-प्रदान का एक मंच है। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अनौपचारिक शिखरवार्ता के रूप में अंतरराष्ट्रीय कुटनीति में एक अभिनव प्रयोग है। ऐसी वार्ता के दौरान दो शीर्ष नेता बिना किसी निर्धारित एजेंडे के द्विपक्षीय संबंधों और विश्व मामलों पर खुले दिमाग से विचारों का आदान प्रदान करते हैं। भूटान में डोकलाम क्षेत्र में हुई सैनिक तनातनी के बाद मोदी ने पिछले वर्ष चीन के वुहान नगर में शी जिनपिंग के साथ पहली अनौपचारिक वार्ता की थी। इस वार्ता में आपसी समझदारी और विश्वास के लिए ‘वुहान भावना’ उभरी थी। दोनों नेता इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहते हैं। ऐसी वार्ताओं में कोई अधिकारी शामिल नहीं होता। वह अधिक से अधिक द्विभाषीय को साथ लेते हैं।

 


प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *