नई दिल्ली, 11 मई (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए भारत के प्रयासों की दुनिया भर में सराहना हो रही है। हमारा प्रयास होना चाहिए कि देश के गांव इस संकट से दूर रहें। प्रधानमंत्री ने महामारी से निपटने के उपायों और देश में लागू पूर्णबंदी (लॉकडाउन) को हटाने के तौर तरीकों के बारे में सोमवार को राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों और उपराज्यपालों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संवाद किया। केंद्र और राज्य सरकारों के बीच संकट के मौजूदा दौर में यह पांचवा संवाद था।
लॉकडाउन-03 की अवधि 17 मई को पूरी होने के पहले इस विचार विमर्श में प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार की रणनीति का खुलासा किया जबकि राज्यों ने केंद्र से विभिन्न प्रकार की मदद मांगते हुए अपना पक्ष रखा। मोदी ने महामारी से निपटने में राज्य सरकारों के सतत प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि हमें इस संकट से उबरने के लिए आगे भी मिलकर काम जारी रखना चाहिए। मोदी ने देश का अर्थव्यवस्था को फिर से सक्रिय बनाने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि देश के अनेक भागों में आर्थिक गतिविधियां शुरू हो गई हैं और उनमें तेजी आ रही है। हमारा प्रयास होना चाहिए कि आने वाले दिनों में आर्थिक गतिविधियों में और तेजी आयें। उन्होंने कहा कि महामारी से निपटने के लिए हमें अपने प्रयासों को और केंद्रित व कारगर बनाना होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि महामारी की इस अवधि में अब हमें इस बात की काफी हद तक जानकारी हासिल हो गई है कि देश के किन भागों में इसका प्रसार हुआ है और सर्वाधिक प्रभावित इलाके कौन हैं। पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान सरकारी मशीनरी में काम करने के तौर तरीकों को और चुस्त बनाया है तथा जिले स्तर तक कार्ययोजना तैयार की गई है। महामारी का मुकाबला करने के लिए एक-दूसरे से शारीरिक दूरी बनाए रखने पर बल देते हुए उन्होंने ‘दो गज’ की दूरी का सूत्र दोहराया। उन्होंने कहा कि ऐसे एहतियाती उपायों के जरिए बिमारी के प्रसार को रोका जा सकता है।
प्रधानमंत्री की मुख्यमंत्रियों व उपराज्यपालों के साथ आज यह पांचवीं बैठक उस समय हुई जब प्रवासी मजदूरों का उनके गृह राज्यों में जाना तथा विदेशों में फंसे प्रवासी भारतीयों का स्वदेश लौटना जारी है। भारतीय रेलवे ने भी सीमित पैमाने पर रेल सेवाएं शुरू कर दी हैं। इससे पहले प्रधानमंत्री ने कोरोना महामारी और उससे उपजे हालात के मद्देनजर 20 मार्च, 02 अप्रैल, 11 अप्रैल और 27 अप्रैल को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मुख्यमंत्रियों से चर्चा की थी।इस वीडियो कांफ्रेंसिंग में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन भी मौजूद थे।
अनेक मुख्यमंत्रियों ने महामारी से राज्य की अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान के मद्देनजर केंद्र से आर्थिक मदद की गुहार की। मुख्यमंत्रियों ने आर्थिक गतिविधियों को फिर से सक्रिय बनाने तथा राज्य की आवश्यकताओं के बारे में भी प्रधानमंत्री को जानकारी दी। कुछ मुख्यमंत्रियों ने कहा कि प्रवासी मजदूरों के अपने गृह राज्यों में वापस लौटने के कारण उद्योगों और अन्य क्षेत्रों में गतिविधियों को फिर सक्रिय बनाने में समस्या आ सकती है। अनेक मुख्यमंत्रियों ने लॉकडाउन की अवधि व प्रतिबंध आदेशों को कुछ सीमा तक बनाए रखने का सुझाव दिया। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि 17 मई के बाद लॉकडाउन में किस प्रकार ढील दी जाएगी।
बीते 25 मार्च से शुरू हुआ देशव्यापी लॉकडाउन 21 दिन की अवधि के बाद दो बार बढ़ाया जा चुका है तथा अब इसे 17 मई को समाप्त होना है। केंद्रीय गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय ने महामारी से प्रभावित क्षेत्रों, जिलों को प्रकोप की तीव्रता के मद्देनजर रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में बांटा है। इसी आधार पर प्रतिबंधों को जारी रखने या उनमें ढील देने का फैसला किया था।
देश में कोरोना संक्रमण से पीड़ित लोगों और मरने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। हालांकि, इसकी रफ्तार धीमी है। लॉकडाउन के प्रतिबंधात्मक उपायों के कारण संक्रमण के फैलने की रफ्तार को काफी हद तक काबू में रखा गया है। मोदी ने महामारी के फैलने के शुरुआती दौर में ‘जान है तो जहान है’ का सूत्र दिया था। बाद में उन्होंने ‘जान भी बचानी है जहान भी बचाना है’ की रणनीति सामने रखी थी, जिससे जाहिर हुआ था कि सरकार महामारी से लड़ते हुए आर्थिक गतिविधियों को दोबारा शुरू करने का इरादा रखती है।