बिल गेट्स और मोदी बातचीत : भारत अग्रणी भूमिका निभाने में कितना सक्षम है?

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वैक्सीन में शोध का मामला हो अथवा  वैक्सीन निर्माण का वैक्सीन का वितरण निष्पक्ष ढंग से हो अथवा वैश्विक स्तर पर विचार मंथन का  



लॉस एंजेल्स 15 मई (हि.स.)। माइक्रोसाफ़्ट संस्थापक बिल गेट्स और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अंतरंग बातचीत में कोविड-19 को लेकर अनेक  बिंदुओं पर चर्चा हुई है। ये इस बात की ओर इशारा करते हैं कि एशिया में भारत एकमात्र ऐसा देश है, जो अग्रणी भूमिका निभाने में सक्षम है।  ये मुद्दे वैक्सीन शोध में एकजुट हो कर सहयोग देने के बारे में हो, अथवा 12 से 18 माह के बीच वैक्सीन तैयार होने पर एक साथ सात अरब डोज़ निर्माण किए जाने को लेकर भारतीय फ़ार्मा कम्पनियों की क्षमता के संदर्भ में. वैक्सीन विकसित करने में अग्रणी अमेरिकी बायोटेक कंपनी ‘मोडरेना’ अथवा ‘जानसन एंड जानसन’  या कोई और, सभी एकमत हैं कि दुनिया में ऐसी कोई कंपनी नहीं है जो इतनी बड़ी तादाद में कोविड -19 वैक्सीन की डोज़ तैयार कर सकती है। फ़ार्मा के क्षेत्र में भारत को भुलाया नहीं जा सकता। बिल गेट्स ने आशा जताई है कि वैक्सीन बारह महीनों में विकसित कर ली जाएगी।


जेफ़ बेजोस के बाद दुनिया में दूसरे बड़े कुबेर बिल गेट्स का सामाजिक और परोपकारी कार्यों में कोई सानी नहीं है। उन्होंने दो दशक पहले ही  43 अरब डालर के ‘बिल एंड मेलिंडा गेट्स फ़ाउंडेशन’ की स्थापना कर दी थी और वह तब से संकामक रोगों और इसके लिए काम से काम समय में वैक्सीन विकसित किए जाने के मामले में उत्सुक रहे हैं। उनकी इच्छा रही है कि  वैक्सीन के लिए शोध और फिर इसका निर्माण होने पर विकसित और विकासशील  देशों के बीच कोई पक्षपात न हो। इसके लिए  बिल गेट्स ने तीन वर्ष पूर्व देवोस में  ‘वेलकोम ट्रस्ट के जेरेमी फ़रार और बिल  एंड मेलिंडा गेटस’  के साथ मिल कर एक निष्पक्ष वैश्विक वैक्सीन फ़ंड के रूप में  ‘कुआएलेशन फ़ार एपीडेमिक प्रिपैरडनेस इन्नोवेशन’ (सेपी) का गठन किया ।ओसलो, लंदन और वाशिंगटन में दफ़्तर बनाए गए, इसके साथ रिचर्ड हैचेट और जेने हलटन सरीखे वैज्ञानिकों को जोड़ा गया। वैक्सीन निर्माण में ‘जानसन एंड जानसन’  जैसी कंपनियों के वैज्ञानिकों का साथ लिया। बिल गेटस ने ख़ुद बिल एंड मेलिंडा गेटस की ओर से दस करोड़ डालर देने में पहल की और 46 करोड़ डालर का फ़ंड खड़ा किया गया। इसमें नार्वे, इंग्लैंड, जापान और जर्मनी सहित भारत को शामिल किया गया।  इस संगठन का उद्देश्य वैक्सीन विकसित करने वाले देशों के साथ डाटा साझा करने के अलावा परस्पर सहयोग में हाथ भी बँटाना है। बिल गेट्स कोविड-19  वैक्सीन के शोध के लिए पहले से तीस करोड़ डालर आवंटित कर चुके है। उन्होंने दो रोज़ पूर्व ही वाल स्ट्रीट जर्नल से बातचीत में अधिकाधिक धन लगाने का संकल्प किया है।
मोदी और बिल गेट्स के बीच गुरुवार को आनलाइन वीडियोकाँफ्रेंसिंग पर बातचीत में जिन बिंदुओं पर चर्चा हुई, उनमें निश्चित तौर पर भारत की भूमिका को नज़रंदाज नहीं किया जा सकता। इसमें
 वैक्सीन शोध और निर्माण ही नहीं, इसके निष्पक्ष वितरण में भी भारत विकासशील देशों में अग्रणी भूमिका निभा सकता है। भारत ख़ुद भी वैक्सीन विकसित करने में जुटा है और फिर बिल गेट्स यह भी बाख़ूबी जानते हैं हैं कि जेनेरिक दवाओं के निर्माण में भारत दुनिया भर में अग्रणी है। ऐसे में भारतीय फ़ार्मा कंपनियाँ किफ़ायती दरों पर अधिकाधिक डोज़ के साथ काम से कम समय में  कोरोना वैक्सीन के निर्माण में सहयोग दे सकती है। ‘कुआएलेशन फ़ार एपीडेमिक प्रिपैरडनेस इन्नोवेशन’  के सामने वैक्सीन के शोध ही नहीं, इसके निर्माण और फिर विकसित तथा विकासशील देशों में निष्पक्ष तौर तरीक़ों से वितरण की एक बड़ी ज़िम्मेदारी है। चीन की अनुपस्थिति में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जिसके सभी देशों से  कूटनीतिक संबंध बेहतर हैं । बिल गेट्स और  उनकी पत्नी  मेलिंडा गेट्स इन दिनों  दुनिया भर में मित्र देशों से व्यापक स्तर पर मंथन में जुटे  हैं।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने बिल गेट्स को एक और आश्वासन दिया है कि कोरोना महामारी  से निपटने में वैश्विक स्तर पर मंथन और उसके पश्चात जीवन चर्या में कैसे बदलाव लाया जा सकता है, उस परिप्रेक्ष्य में भी भारत  बढ़ चढ़ कर अपना सहयोग देने और  अग्रणी भूमिका निभाने में सक्षम  है।


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