अयोध्या प्रकरण पर सर्वसम्मत फैसला लोकतंत्र और न्यायपालिका का स्वर्णिम अध्याय : मोदी

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उन्होंने कहा कि बर्लिन की दीवार 09 नवम्बर,1991 को ध्वस्त कर दी गई थी और आर-पार रहने वाले लोग आपस में मिल गए थे।



नई दिल्ली, 09 नवम्बर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अयोध्या प्रकरण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भारतीय लोकतंत्र और न्यायपालिका के लिए एक स्वर्णिम अध्याय बताते हुए कहा कि देश के लिए यह संदेश है कि यह जुड़ने और जोड़ने का समय है, मिलकर जीने का समय है। उन्होंने अयोध्या प्रकरण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नया सवेरा बताया।

मोदी ने शनिवार शाम राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि नौ नवम्बर की तिथि इतिहास में एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में दर्ज हो गई है। इस संबंध में उन्होंने करीब तीन दशक पूर्व पश्चिम जर्मनी और पूर्व जर्मनी के बीच बनी बर्लिन की दीवार टूटने का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि बर्लिन की दीवार 09 नवम्बर,1991 को ध्वस्त कर दी गई थी और आर-पार रहने वाले लोग आपस में मिल गए थे। आज 09 नवम्बर की ही तारीख है जब अयोध्या प्रकरण पर फैसला आया है और करतारपुर साहिब कॉरीडोर का उद्धाटन हुआ है। यह घटनाएं हमें सीख देती हैं कि आपसी सहयोग और मिलजुलकर बड़े लक्ष्यों को हासिल किया जा सकता है। मोदी ने करतारपुर कॉरीडोर के उद्धाटन के संबंध में कहा कि इसमें भारत का सहयोग भी रहा और पाकिस्तान का भी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि दशकों से चले आ रहे अयोध्या विवाद ने कई पीढ़ियों पर असर डाला था। अब फैसला आने के बाद यदि किसी के मन में कभी भी कहीं भी कोई कटुता और वैमनस्यता रही हो तो उसे तिलांजलि देने का समय है। नई पीढ़ी को शांति, सौहार्द्र के माहौल में नए भारत का निर्माण करना है। नए भारत में सबको साथ लेकर सबका विकास करने और सबका विश्वास अर्जित करने के लिए संकल्पबद्ध होने की जरूरत है। नए भारत में भय, कटुता और नकारात्मकता के लिए कोई स्थान नहीं है।

मोदी ने सुप्रीम कोर्ट और उसके न्यायधीशों की प्रशंसा करते हुए कहा कि खुशी की बात ये है कि एक सर्वसम्मत फैसला आया है। उन्होंने कहा कि परिवार में यदि कोई छोटा विवाद होता है तो उसे सुलझाने में भी परेशानी आती है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीशों ने सुनवाई के दौरान सभी पक्षों को धैर्यपूर्वक सुना। न्यायालय ने जो सर्वसम्मत फैसला सुनाया है उसके पीछे न्यायधीशों की दृढ़ इच्छाशक्ति के दर्शन होते हैं। सुप्रीम कोर्ट उसके न्यायधीश और देश की न्याय प्रणाली अभिनंदन के अधिकारी हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है यह बात तो जगजाहिर है लेकिन आज दुनिया को यह भी पता लग गया कि भारत का लोकतंत्र जीवंत और मजबूत है। उन्होंने कहा कि फैसला आने के बाद समाज के हर वर्ग, समुदाय और पंथ ने खुले दिल से इस फैसले को स्वीकार किया है। वो भारत की पुरातन संस्कृति, परंपराओं और सद्भाव की भावना को प्रतिबिंबित करता है।

मोदी ने कहा कि विविधता में एकता हजारों साल पुरानी भारतीय संस्कृति का प्राण तत्व है। यह भावना आज अपनी पूर्णता के साथ उजागर हुई है। उन्होंने कहा कि आज का घटनाक्रम इतिहास से उधार ली हुई चीज नहीं है, बल्कि 130 करोड़ भारतीयों ने इतिहास में  एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ा है।

प्रधानमंत्री ने संविधान और कानून के शासन के पालन पर जोर देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले से यह संदेश दिया है कि कठिन से कठिन मसले संविधान के दायरे और नियम-कानूनों की सीमा में रहते हुए हल किए जा सकते हैं। फैसले में भले ही समय लगे लेकिन धैर्यपूर्वक संविधान और न्यायिक प्रक्रिया में विश्वास बनाए रखना ही उचित है। उन्होंने अयोध्या प्रकरण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नया सवेरा बताया।

मोदी ने कहा कि अब जबकि राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया है। देशवासियों पर यह जिम्मेदारी है कि वह राष्ट्र निर्माण के लिए स्वयं को समर्पित करें। शांति, सौहार्द, सद्भाव के साथ सभी को लेकर हमें आगे बढ़ना है और नए-नए लक्ष्य और नई-नई मंजिलें हासिल करनी हैं। प्रधानमंत्री ने अल्पसंख्यकों सहित देशवासियों को पैगंबर हजरत के जन्मदिन मिलाद उन-नबी की शुभकामनाएं दीं।

 


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