मिशन गगनयान के लिए ‘अंतरिक्ष भोजन’ का मैन्यू फाइनल

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खाने लायक ‘पैक्ड स्पेस फूड’ मार्च 2021 तक तैयार होने की उम्मीद ‘अंतरिक्ष भोजन’ के सैम्पल परीक्षण के लिए भारतीय वायुसेना को भेजे गए  इसरो से मिले मानकों के आधार पर तैयार होगा प्रयोगशाला में अंतरिक्ष भोजन



नई दिल्ली, 28 अगस्त (हि.स.)। मैसूरु स्थित रक्षा खाद्य अनुसंधान प्रयोगशाला (डिफेन्स फूड रिसर्च लेब्रोटरी-डीएफआरएल) के वैज्ञानिकों और तकनीकी अधिकारियों की 70-सदस्यीय टीम ने भारत के सबसे बड़े मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम ‘गगनयान’ के लिए स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन का मैन्यू फाइनल कर लिया है। सभी ‘अंतरिक्ष भोजन’ के सैम्पल तैयार करके परीक्षण के लिए भारतीय वायुसेना को भेजे गए हैं। इसके बाद अब भोजन बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। खाने लायक ‘पैक्ड स्पेस फूड’ मार्च 2021 तक तैयार होने की उम्मीद है। 
 
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) मिशन ‘गगनयान’ को अंतिम रूप देते समय इस स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन का परीक्षण करेगा। डॉ. अनिल दत्त सेमवाल की अध्यक्षता वाली डीएफआरएल ने सितम्बर, 2019 में इसरो के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर करने के बाद गगनयान मिशन के लिए काम शुरू किया था। इसके बाद अंतरिक्ष भोजन विकसित करने की जिम्मेदारी खाद्य प्रौद्योगिकी, सूक्ष्म जीव विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी के विशेषज्ञ वैज्ञानिकों को दी गई। अंतरिक्ष भोजन का मैन्यू तैयार करते समय डीएफआरएल ने अपशिष्ट निपटान प्रणाली (बचे हुए भोजन), तरल वितरण प्रणाली, खाद्य पुनर्जलीकरण प्रणाली का ध्यान रखा है। फिलहाल अंतरिक्ष भोजन को सात दिनों के लिए पर्याप्त बनाने की योजना है, क्योंकि गगनयान मिशन के सटीक दिनों और अंतरिक्ष यात्रियों की संख्या के बारे में अभी पता नहीं चला है। फिर भी इसरो से मिलने वाले मानकों के आधार पर प्रयोगशाला में अंतरिक्ष भोजन तैयार किया जा रहा है।
 
दिलचस्प बात यह है कि डीएफआरएल को उस समय पहली बार अंतरिक्ष भोजन विकसित करने का मौका मिला था, जब रूस के अंतरिक्ष मिशन में भारत के राकेश शर्मा तीन अप्रैल, 1984 को सोवियत संघ के यूरी मालिशेव और गेनादी स्ट्रेकालोव के साथ गए थे। भारत के पहले और विश्व के 138वें अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने वहां सात दिन, 21 घंटे और 40 मिनट बिताए थे। इस दौरान तीनों अंतरिक्ष यात्रियों ने वहां करीब 43 शोध किए। उस समय डीएफआरएल ने रेडी टू ईट (आरटीई) मैंगो बार, फ्रीज ड्राई अनानास और आम के रस पाउडर उपलब्ध कराया था। तीनों अंतरिक्ष यात्रियों के लिए हल्के वजन के ये आरटीई उत्पाद हमेशा ताजा रहे और तुरंत पानी में घोलकर इनका इस्तेमाल किया। इसरो ने ही उस समय विंग कमांडर राकेश शर्मा (सेवानिवृत्त) को मानवयुक्त उड़ान के कई पहलुओं पर मार्गदर्शन और परामर्श दिया था।
 
सूत्रों का कहना है कि गगनयान मिशन के लिए डीएफआरएल के अंतरिक्ष उत्पादों की नासा के मानकों के अनुसार माइक्रो पोषक तत्व, माइक्रोबायोलॉजिकल सुरक्षा और स्वीकार्यता के बारे में योग्यता के लिए जांच की गई है। अंतरिक्ष यात्रियों के लिए मैन्यू तैयार करते समय उनकी कैलोरी आवश्यकताओं को ध्यान में रखा गया है। थकावट दूर करने वाले मैन्यू में सब्जी पुलाव, वेजिटेबल बिरयानी, चिकन कट्टी रोल, कट्टी रोल (अंडा), कट्टी रोल (पनीर, स्वीट कॉर्न), आलू भरवां परांठा, दाल-चावल, कढ़ी चावल, राजमा चावल, सांबर चावल, पीने के लिए ओआरएस घोल और संरक्षित चपातियों को शामिल किया गया है। इसके अलावा अंतरिक्ष यात्रियों को अनानास, गाजर और ककड़ी का रस पाउडर मिलेगा। इडली सांबर, खिचड़ी, मूंग दाल हलवा, नारियल की चटनी, जिफी उपमा जैसे इंस्टैंट फूड भी मैन्यू में शामिल किये गए हैं।​​
 
स्नैक्स के तौर पर मैन्यू में शामिल फ्रूट एंड नट बार, ओमेगा-3 रिच बार, खजूर बार, चॉकलेट बार, मैंगो बार, कॉम्बिनेशन टेक प्रोसेस्ड ड्राई फ्रूट्स (नमकीन बादाम, काजू और कद्दू के बीज), बीन्स इन सॉस, टोमैटो सॉस, आम और नींबू का अचार, कॉफी और चाय जैसे पेय भी अंतरिक्ष को प्रभावित करेंगे। खाद्य सामग्रियों की पैकेजिंग डिजाइन, मात्रा और पैकिंग आकार को मानक के अनुसार तैयार किया जाएगा। सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण को ध्यान में रखते हुए पाउच में पीने योग्य पानी की डिजाइन निर्धारित की गई है। लिक्विड डिलीवरी सिस्टम को पूरी तरह लीक प्रूफ बनाया गया है। गर्म होने वाले खाद्य पदार्थों को विशेष रूप से अंतरिक्ष भोजन के तौर पर डिजाइन किया गया है, जो 8 से 10 मिनट के औसत समय के भीतर 60-70 डिग्री सेल्सियस का मुख्य तापमान देता है। इन-पाउच रिहाइड्रेशन सिस्टम का एक प्रोटोटाइप भी तत्काल खाद्य पदार्थों के लिए डिजाइन किया गया है। इसके अलावा उचित जैविक ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए योजनाएं बनाई गई हैं।​​
 

 


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