नई दिल्ली, 05 जून (हि.स.) । असम के जोरहाट से अरुणाचल प्रदेश के मेंचुका के लिए सोमवार को उड़ान भरने वाले एएन-32 मालवाहक विमान का बुधवार अपराह्न दो बजे तक भी कोई सुराग नहीं लग सका है। इस घटना के साथ ही अब तक लापता हुए रूस निर्मित एएन-32 विमान अब भारतीय वायुसेना के लिए रहस्य बनते जा रहे हैं। इनका मलबा आज तक नहीं मिल सका है। तीन दशक से इस विमान का सेना इस्तेमाल कर रही है।
सोमवार को लापता हुए एएन-32 विमान में एयरफोर्स के आठ अधिकारी तथा दो मेकेनिकल स्टाफ के सदस्यों समेत कुल 13 लोग सवार थे। इनमें आठ क्रू मेंबर और पांच अन्य लोग शामिल हैं। इन सभी के नाम हैं- फ्लाइट लेफ्टिनेंट एम गर्ग, फ्लाइट लेफ्टिनेंट मोहंति, फ्लाइट लेफ्टिलेंट थपा, फ्लाइट लेफ्टिनेंट तनवीर, विंग कमांडर सर्लिस, विंग कमांडर केके मिश्रा, स्क्वाड्रन लीडर विनोद, सार्जेंट अनुप, कार्पोरेल श्वेरिन, लिडिंग एयरक्राफ्टमैन पंकज, लिडिंग एयरक्राफ्ट मैन एसके सिंह, नन कंबेटेंट एनरोलड राजेश कुमार और नन कंबेटेंट एनरोलड पुताली।
विमान की तलाश के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इस कार्य में वायुसेना के सी-130जे, एएन-32, एमआई-17 हेलीकाप्टर और थलसेना के एएलएच हेलीकॉप्टर लगे हुए हैं। विमान की तलाश में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के उपग्रहों की मदद ली जा रही है। उपग्रहों से प्राप्त चित्रों के आधार पर खोज का काम चल रहा है।
संभावित इलाकों में युद्धस्तर पर विमान की खोज की जा रही है। थलसेना, स्थानीय जिला प्रशासन, आईटीबीपी, सीआरपीएफ समेत अन्य एजेंसियां मेंचुका के आसपास के जंगली इलाकों में तलाशी अभियान चला रही हैं। अपुष्ट सूत्रों के अनुसार विमान का मलबा अरुणाचल के टाटो इलाके में देखे जाने की सूचना मिली है लेकिन वायुसेना और जिला प्रशासन ने इसकी पुष्टि नहीं की है।
पश्चिम सियांग जिले के जिला उपायुक्त स्वेतका सचान ने विमान को टाटो मनिगोंग इलाके में स्थानीय लोगों के हवाले से अनियंत्रित होकर गिरने की आशंका जताई है। वायुसेना के सूत्रों ने भी इसी इलाके में विमान से संपर्क टूटने की जानकारी दी है। दो दिन से विमान की तलाश जारी है लेकिन मौसम बहुत खराब है और पहाड़ी व जंगली इलाका होने के कारण अभियान में दिक्कतें आ रही हैं।
हालांकि यह पहला मौका नहीं है, जब भारतीय वायुसेना का एक एएन-32 लापता हुआ है। इससे पहले भी चार बड़े हादसे हो चुके हैं। पहला हादसा 25 मार्च 1986 को हुआ था, जब भारतीय वायुसेना का एएन-32 विमान हिंद महासागर के ऊपर से गायब हो गया था। उस समय ये विमान सोवियत यूनियन के रास्ते ओमान के रास्ते होते हुए भारत आ रहा था। यह सोवियत संघ से सात लोगों के साथ विमान की एक डिलीवरी उड़ान थी लेकिन इस विमान का आज तक कुछ पता नहीं लग पाया।
इसके चार साल बाद भारतीय वायुसेना का एक और एएन-32 विमान तिरुवनंतपुरम के पोनमुडी पर्वत श्रृंखलाओं में उड़ान के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इसके 19 साल बाद 10 जून 2009 को अरुणाचल में फिर भारतीय वायुसेना का एक एएन-32 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें सभी 13 लोग मारे गए। इसके तुरंत बाद भारतीय वायुसेना सतर्क हो गई और उसने इस श्रेणी के अपने विमानों को अपग्रेड किया।
22 जुलाई 2016 को 29 लोगों लेकर चेन्नई से पोर्ट ब्लेयर की यात्रा कर रहा वायुसेना का एक एएन-32 विमान फिर लापता हो गया। कई दिनों की खोजबीन के बाद भी विमान का पता नहीं चल सका और सभी लोगों को संभवतः मृत घोषित करते हुए, खोज को बंद कर दिया गया था।
अब एक बार फिर वायुसेना का एक और एएन-32 विमान चीन बॉर्डर पर लापता है। इसकी तलाश जारी है लेकिन अभी तक लापता विमान रहस्य बना हुआ है।