नई दिल्ली, 01 नवंबर (हि.स.)। 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों को 37 साल बाद भी मुआवजा नहीं मिल पाया है। 31 अक्टूबर, 1984 को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद शुरू हुए सिख विरोधी दंगों में देशभर में बड़ी संख्या में सिखों को मारा गया था और उनकी संपत्तियों को आग लगा दी गई थी।
सिख विरोधी दंगे की 37वीं बरसी के अवसर पर दंगा प्रभावितों को अभी तक मुआवजा नहीं दिए जाने का मामला राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने उठाया है। आयोग ने दिल्ली, झारखंड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, बिहार, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश को नोटिस भेजकर विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। राज्यों से प्रभावितों को कितना मुआवजा अदा किया गया है और इन दंगों में शामिल लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है, इसका पूरा विवरण तलब किया है।
गौरतलब है कि इसी साल अगस्त 2021 में केन्द्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय ने एक सवाल के जवाब में संसद को बताया था कि केंद्र सरकार ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के प्रभावितों को मुआवजे की रकम की अदायगी के लिए बजट में 4.5 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। सरकार ने इससे पहले 1984 के सिख विरोधी दंगों के प्रभावितों को राहत देने के लिए एक पैकेज की भी घोषणा की थी। इस पैकेज के तहत दंगे में मरने वालों के घर वालों को 3.5 लाख रुपये और घायल होने वालों को 1.25 लाख रुपये की मदद देना शामिल था। इस पैकेज के तहत राज्य सरकारों के लिए मरने वालों के प्रभावितों और उनकी विधवाओं और बूढ़े माता-पिता को जब तक जीवित हैं, उन्हें 2500 रुपये प्रति माह पेंशन देने की बात तय की गई थी।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन सरदार इकबाल सिंह लालपुरा ने बताया है कि मुझे 37 साल के बाद लोगों को मुआवजा नहीं मिलने की कई चिट्ठियां प्राप्त हो रही हैं। उनका कहना है कि उन्होंने इस महीने के शुरुआत में दिल्ली के तिलक नगर का दौरा किया था। यहां बहुत सारे दंगा प्रभावित रहते हैं। मैंने उन्हें बड़ी दयनीय स्थिति में पाया। उन्हें जो मकान दिया गया है, उनका मालिकाना हक अभी तक नहीं मिला है। इसके अलावा वह रोजमर्रा के काम करके अपना जीवन यापन कर रहे हैं। लालपुरा के अनुसार हरियाणा के 30 प्रभावितों में से 6 परिवारों को अभी तक कोई मुआवजा नहीं दिया गया है। वह इसके लिए अदालत में लड़ रहे हैं। यही हालात दूसरे राज्यों में भी है। उनका कहना है कि हमने सरकार से सिफारिश की है कि सभी प्रभावितों को मुआवजा दिया जाए और इसमें शामिल सभी आरोपितों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई, उसका विवरण दिया जाए। बताया जाता है कि सिर्फ दिल्ली में ही लगभग 3000 सिखों को मार दिया गया था और हजारों लोगों के घरों, दुकानों और फैक्टरियों आदि को आग लगाकर तबाह कर दिया गया था।