केंद्र ने राज्यों को दी स्कूल नहीं जाने वाले प्रवासी बच्चों की पहचान के लिए डोर टू डोर सर्वे की सलाह
नई दिल्ली, 10 जनवरी (हि.स.)। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने कोविड-19 के कारण अपने घर लौटने वाले प्रवासी मजदूरों के बच्चों की शिक्षा के संबंध में रविवार को राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को दिशा-निर्देश जारी कर ऐसे बच्चों की पहचान करने, दाखिला देने और शिक्षा सुनिश्चित करने को कहा है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने विद्यार्थियों को स्कूल बंद होने के दौरान और दोबारा उनके खुलने के बाद पहुंचाई जाने वाली मदद संबंधी दिशा-निर्देश जारी किए हैं। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी है कि वे स्कूल नहीं जाने वाले 6 से 18 वर्ष तक की आयु के बच्चों की समुचित पहचान करने के लिए एक व्यापक डोर टू डोर सर्वे करें और स्कूलों में उनके पंजीकरण के लिए कार्य योजना तैयार करें।
कोविड-19 महामारी के कारण स्कूली बच्चों के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों के प्रभाव को कम करने के लिए यह आवश्यक समझा गया कि प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ड्रॉपआउट बढ़ने एवं पंजीकरण कम होने, पढ़ाई के नुकसान, हाल के वर्षों में सार्वभौमिक पहुंच एवं गुणवत्तापरक जो शिक्षा मुहैया कराई गई है, उसमें कमी की समस्या से निपटने के लिए उचित रणनीति तैयार करें।
शिक्षा मंत्रालय ने स्कूल जाने वाले बच्चों की गुणवत्ता एवं इक्विटी के साथ शिक्षा तक पहुंच हो और स्कूली शिक्षा पर महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए स्कूल बंद होने के दौरान और दोबारा उनके खुलने के बाद राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा पहुंचाई जाने वाली मदद सुनिश्चित करने के उद्देश्य से यह दिशा-निर्देश जारी किए हैं। मंत्रालय ने राज्यों को स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों और विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की गैर-आवासीय शिक्षा जारी रखने के लिए स्थानीय शिक्षकों, स्वयंसेवकों और सामुदायिक भागीदारी की सलाह दी है। चलते-फिरते स्कूल, गांवों में छोटे-छोटे समूह में कक्षाओं का संचालन, बच्चों तक ऑनलाइन एवं डिजिटल स्रोतों की पहुंच बढ़ाने, पढ़ाई का नुकसान कम करने के लिए टेलीविजन एवं रेडियो के जरिये पढ़ाई की संभावनाओं पर गौर करने की सिफारिश की है।
मंत्रालय ने राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि वह शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत में प्रवेशोत्सव, स्कूल चलो अभियान आदि नामांकन अभियान शुरू कर सकते हैं। बच्चों के नामांकन और उपस्थिति के लिए माता-पिता और समुदाय के बीच जागरुकता पैदा करनी चाहिए।