सरकार ने पहली बार माना, एलएसी पर हुई चीनी घुसपैठ

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सरकार के दस्तावेज में बताया गया है कि पूर्वी लद्दाख में स्थिति संवेदनशीलकरीबी निगरानी और त्वरित कार्रवाई की जरूरत पर दिया गया जोर 



नई दिल्ली, 06 अगस्त (हि.स.)​​पूर्वी लद्दाख में चीनी ​आक्रमण की बात पहली बार आधिकारिक तौर पर सरकार ने मानी है। ​रक्षा मंत्रालय ने माना है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (​​एलएसी) ​पर खास तौर पर गलवान घाटी में 05 मई से चीनी आक्रामकता​​ बढ़ रही है। ​सरकार ने यह भी माना है कि एलएसी ​पर चीन ​की एकतरफा आक्रामकता से पूर्वी लद्दाख में स्थिति संवेदनशील बनी हुई है और इस​ पर करीबी निगरानी और त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता है।    
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रक्षा विभाग की जून, 2020 ​में ​हुई प्रमुख गतिविधियों के बारे में ​रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट ​पर एक रिपोर्ट जारी की गई है जो पूर्वी ​लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के बारे में सरकार की ओर से पहला आधिकारिक दस्तावेज​ है​ इसमें पहली बार सेना ने माना है कि ​05 मई से एलएसी​ पर और विशेष रूप से​​लवान घाटी मेंचीनी आक्रमण बढ़ रहा है। गलवान ​घाटी के बाद 17-18 मई को ​​कुगरांग नाला, गोगरा और पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी तट ​तक चीनियों ने घुसपैठ की ​है।यह कुगरंग नाला हॉट स्प्रिंग्स के उत्तर में पीपी 16 और पीपी 15 (गोगरा) के पास है​​​​। ​​​इन्हीं मामलों पर दोनों देशों के बीच ​​कोर कमांडर लेवल ​की ​फ्लैग मीटिंग 06Vज़​ ​जून को आयोजित ​की गई थी​​इसके बाद भी भारतीय क्षेत्र में एक किलोमीटर से अधिक की दूरी पर स्थित ​गलवान घाटी में 15 जून को ​भारत और चीन ​के​ सैनिकों के बीच​ हुई खूनी झड़प हुई जिसमें 20 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई​​।​​ ​इस घटना में चीनी पक्ष ​के ​हताहत​ ​सैनिकों की संख्या ​ज्यादा है लेकिन उनकी संख्या ​​के बारे में अभी भी​ नहीं ​पता ​है​​।    
हालांकि दस्तावेज में ​इस बीच ​गलवान ​घाटी में हुए बदलावों का जिक्र नहीं ​किया गया ​है लेकिन ​यह माना गया है कि ‘हिंसक झड़प’ के बाद माहौल शांत करने के लिए​दोनों सेनाओं के बीच 22 जून को कोर कमांडर लेवल ​की ​दूसरी बैठक हुई​ इसी कमांडर स्तर की इसी वार्ता में डी-एस्केलेशन प्रक्रिया के तौर-तरीकों पर चर्चा की गई। बैठक में भारत ने चीन से दो टूक कहा कि पहले लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से अपने सेना हटाकर 2 मई से पहले की स्थिति बहाल करें, तभी आगे की बातचीत संभव है। सरकार ने यह भी माना है कि सैन्य और राजनयिक स्तर पर बातचीत पारस्परिक रूप से जारी है और वर्तमान गतिरोध लंबे समय तक रहने की संभावना है। ​चीन से ​गतिरोध के बारे में मंत्रालय ने दस्तावेज में कहा है कि चीन द्वारा एकतरफा आक्रामकता से उत्पन्न पूर्वी लद्दाख में स्थिति संवेदनशील बनी हुई है और इस​ पर करीबी निगरानी और त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता है।  
 

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