अब अमेठी की ​कोरवा ऑर्डिनेंस फैक्टरी के दिन बहुरेंगे

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फैक्टरी में ​रूसी तकनीक की मदद से होगा 6.71 लाख एके-203 ​​राइफलों का निर्माण ​     एके-47 की तुलना में ज्यादा सटीक मार, ​एक बार ट्रिगर दबाने पर चलती रहेंगी गोलियां ​पीएम नरेंद्र मोदी ने 3 मार्च, 2019 को किया था ​राइफलों ​की निर्माण ​योजना का ​​उद्घाटन



नई दिल्ली, 12 अगस्त (हि.स.)। ‘आत्म निर्भर भारत’ के तहत घरेलू रक्षा उद्योग को ‘उड़ान’ देने के लिए डीएसी ​के फैसलों से लगता है कि अब अमेठी ​के ​आयुध कारखाने ​के दिन बहुरने वाले हैं। ​तीनों ​सेनाओं के लिए गोला, बारूद, हथियार खरीद​ने के लिए सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था ​​​​रक्षा अधिग्रहण परिषद (​डीएसी) ​की मंजूरी ​मिलने के बाद ​​एके-203 ​​राइफल​ के निर्माण में तेजी आने की संभावना है​। भारतीय सेना के लिए ‘मेक इन इंडिया’ के तहत ​​​​रूसी तकनीक की मदद से 6.71 लाख एके203 राइफल​ ​का निर्माण उत्तर प्रदेश के अमेठी स्थित ​​कोरवा ऑर्डिनेंस फैक्टरी में​ किया जाना है​​। 
 
चीन के साथ चल रहे युद्ध जैसे हालात के बीच फिर एक बार तीनों सेनाओं के लिए 22 हजार 800 करोड़ रुपये मूल्‍य के रक्षा सामानों को खरीदने की मंजूरी दी गई है। ​इसी के साथ एके-203 ​​राइफल​ के निर्माण में तेजी आने की संभावना है​। ​​प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 मार्च, 2019 को रूसी तकनीक की मदद से 6.71 लाख ​​एके203 ​राइफलों ​का निर्माण ​किये जाने की योजना का औपचारिक ​उद्घाटन अमेठी स्थित कोरवा ऑर्डिनेंस फैक्टरी में​ जाकर​ ​किया था। उस समय यह दावा किया गया था कि 300 मीटर तक मार करने वाली एके203 का मैकेनिज्म एके-47 राइफल की तरह ही है, लेकिन ​​नई रा​इफल एके-47 की तुलना में ज्यादा सटीक मार करेगी। नई ​​असॉल्ट राइफल में एके-47 की तरह ऑटोमैटिक और सेमी ऑटोमैटिक दोनों सिस्टम होंगे। ​​एक बार ट्रिगर दबाकर रखने से गोलियां चलती रहेंगी। इन सबके बावजूद ‘मेक इन इंडिया’ की यह परियोजना लागतों के कारण अभी तक परवान नहीं चढ़ सकी​​। इसलिए अब​ मंगलवार को रक्षा अधिग्रहण परिषद (​डीएसी)​ ​की मंजूरी मिलने के बाद इनका उत्पादन शुरू होने की सम्भावना बढ़ी है।  ​​
 
असॉल्ट राइफल​ एके203​ का उत्पादन शुरू न हो पाने की ही नतीजा यह रहा कि ​​भारत को इसी साल फरवरी में अमेरिका से 72 हजार 400 असॉल्ट राइफ​लें खरीदनी पड़ी​ इससे 15 लाख की क्षमता वाले भारतीय सशस्त्र बलों की जरूरतें पूरी ​न ​हो​ने की वजह से दूसरी खेप में फिर से 72 हजार असॉल्ट राइफलें खरीदने ​का प्रस्तावडीएसी​ के पास भेजा गया था​​। ​अमेरिकी असॉल्ट राइफलों का इस्तेमाल आतंकवाद निरोधी अभियानों और नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर अग्रिम पंक्ति के सैनिकों द्वारा किया जाएगा जबकि शेष सेनाओं को एके203 राइफलें ​दिए जाने की योजना है​​ ​​यह नई अमेरिकी नई असॉल्ट राइफल्स सेना के पास इस समय मौजूद इंसास राइफलों का स्थान लेंगी। इन इंसास राइफलों का निर्माण ​भारत में ही आयुध कारखाना बोर्ड ने किया था।    ​
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वायुसेना खरीदेगी 106 एचटीटी-40 ट्रेनर जेट्स
रक्षा अधिग्रहण परिषद ​ने अकेले वायुसेना के लिए 8,722 करोड़ रुपये की सैन्य खरीद को मंजूरी दी​ है​​​​​​अब भारतीय वायु सेना 106 बुनियादी प्रशिक्षक विमान एचटीटी-40 हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से खरीदेगी। भारतीय वायु सेना के बुनियादी ट्रेनर जेट्स खरीदने के लिए ​​एचएएल के एचटीटी-40 विमानों के लिए प्रमाणन प्रक्रिया चल रही है। शुरुआत में एचएएल से 70 विमान लेकर वायुसेना के बेड़े में शामिल किये जायेंगे। प्रमाणन प्रक्रिया पूरी होने के बाद में एचएएल से 36 ​​एचटीटी-40 खरीदे जाएंगे। ​​एचएएल एचटीटी-40 एक बेसिक ट्रेनर वायुयान है। इसका प्रयोग भारतीय वायुसेना ​में ​रिटायर्ड एचपीटी-32 दीपक वायुयान के स्थान पर किया जायेगा।​​​ इसमें बन्दूक, राकेट और बम लगाये जा सकते हैं।​​ एचटीटी-40​ की पहली उड़ान 31 मई, 2016 को ​हुई थी, जिसे एचएएल के चीफ टेस्ट पायलट ग्रुप कैप्टन सुब्रमण्यम (रिटायर्ड) ​ने उड़ाया ​था। ​लगभग ​30 मिनट ​की उड़ान ​में पायलट ने ​कई चक्कर लगाये और वायुयान की परफॉर्मेन्स संतोषजनक पाई गयी।​
 
अपग्रे​डेड ​मानवरहित हवाई वाहन खरीदे जायेंगे
डीएसी ​की मंजूरी ​मिलने के बाद अपग्रे​डेड ​मानवरहित हवाई वाहन (यूएवी) की खरीद में तेजी आने की संभावना है।​ इसके साथ ही सरकार ​ने सटीक निशाने पर मार करने वाले लेजर-निर्देशित बम ​खरीदने को भी हरी झंडी दी है।​ ​डीएसी ने सुपर रैपिड गन माउंट (एसआरजीएम) के उन्नत संस्करण की खरीद को भी मंजूरी दी है, जिसे भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) के युद्धपोतों पर मुख्य बंदूक के रूप में लगाया जाता है। इससे तेजी के साथ आक्रमण करने की क्षमता ​बढ़ेगी​ ​डीएसी ने भारतीय सेना के लिए 125 मिमी. के आर्मर पियर्सिंग फिन स्टैबिलाइज्ड डिस्चार्जिंग सबोट (एपीएफएसडीएस) गोला बारूद की खरीद को भी मंजूरी दे दी। खरीदे जाने वाले गोला-बारूद में 70 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री होगी।
 

 


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