नई दिल्ली, 23 अक्टूबर (हि.स.)। केंद्र सरकार ने भारतीय नौसेना के लिए एमके 54 टॉरपीडो और एक्सपेंडेबल्स की खरीद का अमेरिकी सरकार के साथ एक समझौता किया है। ये हथियार पी-8आई विमान में लगाये जायेंगे जिसका उपयोग लंबी दूरी तक समुद्री निगरानी, पनडुब्बी रोधी युद्ध और सतह-विरोधी युद्ध के लिए किया जाता है। अमेरिकी बोइंग कंपनी भारत को 11 पी-8आई विमान सौंप चुकी है। आने वाले समय में जल्द ही आखिरी विमान नौसेना को मिलेगा।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक अमेरिकी सरकार के साथ विदेशी सैन्य बिक्री (एफएमएस) के तहत भारतीय नौसेना के लिए एमके 54 टॉरपीडो और एक्सपेंडेबल (शैफ एंड फ्लेयर्स) की खरीद के लिए 423 करोड़ रुपये का अनुबंध किया गया है। अनुबंध में कहा गया है कि ये हथियार पी-8आई विमान का हिस्सा हैं जिसका इस्तेमाल लंबी दूरी की समुद्री निगरानी, पनडुब्बी रोधी युद्ध और सतह रोधी युद्ध (एएसवी) के लिए किया जाता है। भारतीय नौसेना के पास इस समय कुल 11 पी-8आई विमान हैं, जिनका निर्माण अमेरिकी एयरोस्पेस कंपनी बोइंग ने किया है। पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं के अलावा पी-8आई विमान अपनी अग्रिम समुद्री टोही क्षमताओं के लिए जाना जाता है।
अमेरिकी विदेश विभाग ने इसी साल अप्रैल में 6.3 करोड़ डॉलर की अनुमानित लागत से भारत को इस विदेशी सैन्य बिक्री के लिए मंजूरी दी थी। इसमें मुख्य सौदा रेथियॉन इंटीग्रेटेड डिफेंस सिस्टम है। नौसेना पाइपलाइन में एक और सौदे के साथ अपनी क्षमताओं को और बढ़ाएगी। इसमें 92 मिलियन डॉलर की अनुमानित लागत से 10 एजीएम-84एल हार्पून ब्लॉक II एयर-लॉन्च मिसाइलों और संबंधित उपकरणों का अधिग्रहण शामिल है। एमके-54 हल्के टॉरपीडो का उपयोग अमेरिकी सतह के जहाजों, फिक्स्ड-विंग एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टरों द्वारा किया जाता है और ये उनके प्राथमिक पनडुब्बी रोधी युद्ध हथियार हैं। अमेरिका ने कहा है कि यह बिक्री हिंद-प्रशांत और दक्षिण एशिया क्षेत्र में राजनीतिक स्थिरता, शांति और आर्थिक प्रगति के लिए एक महत्वपूर्ण ताकत होगी।
हिन्द महासागर क्षेत्र में सभी महत्वपूर्ण चोक पॉइंट्स पर निगरानी रखने के लिए भारत ने वर्ष 2012 में अमेरिकी बोइंग कंपनी से 12 पी-8आई समुद्री निगरानी और पनडुब्बी रोधी विमानों का सौदा 2.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर में किया था। कंपनी ने 18 अक्टूबर को भारतीय नौसेना को 11वां लंबी दूरी का समुद्री टोही पनडुब्बी रोधी पी-8आई विमान सौंपा है। आने वाले समय में जल्द ही आखिरी विमान नौसेना को मिलेगा। पहली बार 2013 में नौसेना में शामिल किए जाने के बाद से अब तक 30 हजार घंटों से ज्यादा की उड़ान भर चुके हैं। अब पी-8आई विमानों का संचालन करने वाला भारत दुनिया का सबसे बड़ा ऑपरेटर बन गया है। भारत के अलावा इन विमानों का संचालन अमेरिकी नेवी, ऑस्ट्रेलियन एयर फोर्स और यूनाइटेड किंगडम की रॉयल एयर फोर्स भी करती है।