नई दिल्ली, 09 अगस्त (हि.स.)। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को ‘आत्मनिर्भर भारत’ को बढ़ावा देने के लिए कई बड़ी घोषणाएं की हैं, जिसमें अगले 6 से 7 सालों में घरेलू रक्षा उद्योग को लगभग 4 लाख करोड़ रुपये का ऑर्डर दिए जाने की बात कही गई है। मंत्रालय ने 101 सामानों की सूची तैयार कर उनके आयात पर रोक लगा दी है, जिसमें सामान्य पार्ट्स के अलावा कुछ उच्च तकनीक की हथियार प्रणाली भी शामिल हैं। प्रतिबंधित किये गए 101 उपकरण भारत में बनेंगे। आयात प्रतिबंधों की सूची में बख्तरबंद लड़ाकू वाहन (एएफवी) को भी शामिल किया गया है। इस फैसले से भारत के रक्षा उद्योग को बड़े पैमाने पर उत्पादन का मौका मिलेगा।
दरअसल आज सुबह रक्षामंत्री कार्यालय से एक ट्वीट करके जानकारी दी गई कि सुबह 10 बजे रक्षामंत्री राजनाथ सिंह कई अहम् घोषणाएं करेंगे। इसके बाद मीडिया जगत में अटकलों का दौर शुरू हो गया। शनिवार को फिर चीन से नाकाम हुई वार्ता के बाद तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे कि चीन के बारे में कोई घोषणा होने वाली है या फिर तेजस विमानों की डील साइन होने के बारे में। रक्षामंत्री ने ठीक 10 बजे पहला ट्विट किया कि रक्षा मंत्रालय ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को बड़ा बूस्ट देने की तैयारी कर ली है। इसके बाद रक्षामंत्री ने लगातार एक दर्जन ट्विट करके लिए गए फैसलों की जानकारी दी।
रक्षामंत्री के मुताबिक रक्षा उद्योग के स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय ने 101 से अधिक वस्तुओं की सूची तैयार की है। सूची में शामिल सामान्य पुर्जों समेत कई हथियार प्रणालियों के आयात पर बैन लगा दिया गया है ताकि घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दिया जा सके। यह सूची सेना की जरूरत के हिसाब से समय-समय पर अपडेट की जाती रहेगी। सिंह के मुताबिक यह रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्मन के बाद किया गया है। इस फैसले से भारत के रक्षा उद्योग को बड़े पैमाने पर उत्पादन का मौका मिलेगा। यह निर्णय भारतीय रक्षा उद्योग को अपने स्वयं के डिजाइन और विकास क्षमताओं का उपयोग करके या सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डीआरडीओ द्वारा डिजाइन और विकसित तकनीकों को अपनाकर नकारात्मक सूची में दर्ज वस्तुओं के निर्माण का एक बड़ा अवसर प्रदान करेगा।
रक्षामंत्री के मुताबिक घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सेना, पब्लिक और प्राइवेट इंडस्ट्री से चर्चा के बाद एक सूची तैयार की गई है। तीनों सेनाओं ने अप्रैल 2015 से अगस्त 2020 के बीच लगभग साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये के ऐसे उत्पादों की करीब 260 योजनाओं के लिए ठेके दिए थे। उनका अनुमान है कि अगले 6 से 7 साल में घरेलू रक्षा उद्योग को करीब 4 लाख करोड़ रुपये के ठेके दिए जाने की सम्भावना है। रक्षा मंत्री ने कहा कि फिलहाल लिए गए फैसले 2020 से 2024 के बीच लागू किए जाएंगे।
मंत्रालय ने 2020-21 के लिए पूंजी खरीद बजट को घरेलू और विदेशी रूट में बांट दिया है। वर्तमान वित्त वर्ष में ही करीब 52 हजार करोड़ रुपये अलग बजट तैयार किया गया है। इनमें से लगभग 1,30,000 करोड़ रुपये की वस्तुएं सेना और वायु सेना के लिए हैं, जबकि नौसेना के लिए लगभग 1,40,000 करोड़ रुपये मूल्य की वस्तुओं का अनुमान लगाया गया है। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे कि आयात प्रतिबंधित किये गए उपकरणों का उत्पादन समय-सीमा के अन्दर घरेलू रक्षा उद्योग द्वारा तैयार किया जाए, ताकि सेना की जरूरतें समय पर पूरी की जा सकें। इसके लिए रक्षा उद्योग पर निगरानी के लिए एक समन्वित तंत्र शामिल होगा।