मंत्री मोहसिन रजा का सुझाव, अयोध्या में मोहम्मद साहब के नाम पर रखा जाए मस्जिद का नाम

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मस्जिद की जगह पर बाबरी अस्पताल बनाने की खबर को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने बताया भ्रामक



लखनऊ, 09 अगस्त (हि.स.)। प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण, मुस्लिम वक्फ और हज राज्य मंत्री मोहसिन रजा ने उप्र सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को सुझाव दिया है कि अयोध्या में बन रही मस्जिद का नाम अगर रखना है तो मोहम्मद साहब के नाम पर इस मस्जिद का नाम रखा जाए और इसे ‘मस्जिद ए मोहम्मदी’ का नाम दिया जाए।
मोहसिन रजा ने रविवार को अपने बयान में कहा कि अयोध्या ही नहीं पूरे देश में बाबर के नाम पर कोई भी चीज स्वीकार नहीं होगी। चाहे वह मस्जिद हो या कोई और। क्योंकि बाबर ने कोई अच्छा काम नहीं किया। बाबर के नाम पर मुसलमानों के 73 फिरके भी एकमत नहीं होंगे।
उन्होंने कहा कि जैसे मर्यादा पुरुषोत्तम राम पुरुषों में उत्तम हैं उसी तरीके से मोहम्मद साहब भी मुसलमानों में महापुरुष हैं और हम सभी उनके नाम पर कलमा पढ़ते हैं। उन्हें हिंदुओं में भी उतना ही सम्मान प्राप्त है। मानवता व इंसानियत के लिए वे हर जगह जाने जाते हैं। लिहाजा अगर इस मस्जिद का नाम ही रखना है तो इसका नाम ‘मस्जिद ए मोहम्मदी’ रखा जाए। इससे पूरी दुनिया में एक बेहतर संदेश जाएगा और सभी इसे स्वीकार भी करेंगे।
वहीं उन्होंने मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में शरीक होने को लेकर कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मस्जिद बनाने की अनुमति मिली है तो वहां मस्जिद बनेगी और जब भी किसी अच्छे कॉलेज के लिए किसी को भी बुलाया जाएगा, चाहे मुझे बुलाया जाए या फिर भाजपा में किसी भी बड़े पद पर बैठे हुए व्यक्ति को, तो सभी लोग जाएंगे। अच्छे काम के लिए हम लोग सभी जगह जाते हैं।
दरअसल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीते दिनों एक साक्षात्कार में अयोध्या में मस्जिद के शिलान्यास कार्यक्रम में शिरकत किए जाने के सवाल पर कहा था कि अगर आप एक मुख्यमंत्री की हैसियत से यह सवाल पूछ रहे हैं तो मुझे किसी धर्म, मान्यता या समुदाय से कोई परहेज नहीं है। लेकिन, अगर अगर आप मुझसे एक योगी के रूप में पूछ रहे हैं तो मैं हरगिज नहीं जाऊंगा, क्योंकि एक हिन्दू के रूप मुझे अपनी उपासना विधि का पालन करने का अधिकार है। मुख्यमंत्री ने कहा था कि मैं न तो वादी हूं और न ही प्रतिवादी, इसलिये न तो मुझे बुलाया जायेगा और न ही मैं जाऊंगा। मुझे मालूम है कि मुझे इसका निमंत्रण नहीं मिलेगा
इस बीच सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने अयोध्या में बाबरी अस्पताल बनाने की खबरों का खंडन किया है। दरअसल सोशल मीडिया पर सुन्नी वक्फ बोर्ड को मिली जमीन पर बाबरी अस्पताल बनाने की खबर वायरल हो रही थी। इसमें डॉ. कफील खान को अस्पताल का निदेशक बनाए जाने की बात कही गई थी। इसे लेकर अब सुन्नी वक्फ बोर्ड ने खंडन किया है। वक्फ बोर्ड का कहना है कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रही जानकारी गलत और भ्रामक है। बोर्ड के मुताबिक जमीन पर बाबरी अस्पताल बनाने की बात फर्जी है।
वहीं ‘इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन’ ट्रस्ट के सचिव और प्रवक्ता अतहर हुसैन ने कहा है कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर अयोध्या जिले के धन्नीपुर गांव में वक्फ बोर्ड को मिली पांच एकड़ जमीन पर अस्पताल, लाइब्रेरी, सामुदायिक रसोईघर और रिसर्च सेंटर बनाया जाएगा। यह सभी चीजें जनता की सुविधा के लिए होंगी और जनता को सहूलियत देने का काम मुख्यमंत्री का होता है। इसी हैसियत से इनके शिलान्यास के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आमंत्रित किया जाएगा।  उन्होंने विश्वास जताया कि मुख्यमंत्री इस कार्यक्रम में न सिर्फ शिरकत करेंगे, बल्कि इन जन सुविधाओं के निर्माण के लिए सहयोग भी करेंगे।  उन्होंने धन्नीपुर गांव में बनने वाली मस्जिद का नाम ‘बाबरी मस्जिद’ रखने से भी इनकार किया और कहा कि ऐसा कोई विचार नहीं है। ट्रस्ट द्वारा बनवाई जाने वाली किसी भी इमारत का अभी तक कोई नाम तय नहीं किया गया है। अल्लाह की नजर में मस्जिद में किए गए सजदे ही मायने रखते हैं, बाकी सब बेमानी है।

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