हमीरपुर, 01 दिसम्बर (हि.स.)। खनन घोटाले की जांच कर रही सीबीआई की टीम ने रविवार को एक लेखपाल को कैम्प ऑफिस में तलब करके उससे करीब तीन घंटे तक पूछताछ की। सीबीआई अधिकारियों के सवालों पर लेखपाल को पसीना आ गया। इसी लेखपाल ने वर्ष 2010 में 10 एकड़ के क्षेत्रफल में मौरंग पट्टे के लिये रिपोर्ट लगायी थी जबकि मौरंग खनन का एरिया वन विभाग की सीमा में था। सीबीआई ने पुलिस अधीक्षक के आवास पर गोपनीय कार्यालय पहुंचकर अहम दस्तावेज के बारे में भी जानकारी की। खनन घोटाले की फाइनल जांच में परतें खुलने से मौरंग कारोबारियों और खनिज विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
पिछले सात दिनों से सीबीआई की तीन सदस्यीय टीम हमीरपुर स्थित मौदहा बांध निर्माण खंड के निरीक्षण भवन में कैम्प करके खनन घोटाले की फाइनल जांच कर रही है। जांच का दायरा मायावती सरकार में यहां तैनात रहे आईएएस और वन विभाग के आईएफएस अफसरों तक पहुंच गया है। कई तत्कालीन पीसीएस अधिकारी भी सीबीआई के राडार पर हैं जिनसे कभी भी पूछताछ हो सकती है। वर्ष 2010 में मायावती की सरकार में केवल दो मौरंग खनन के पट्टे स्वीकृत किये गये थे। सरीला क्षेत्र के बेंदा दरिया व शिवनी मुस्करा में दस-दस एकड़ के मौरंग खनन के पट्टे वन विभाग की एनओसी पर जारी किये गये थे। इन दोनों मौरंग खनन क्षेत्रों में सीबीआई ने स्थलीय निरीक्षण करने के बाद रविवार को बेंदा दरिया क्षेत्र के तत्कालीन लेखपाल राकेश कुमार को कैम्प ऑफिस तलब कर तीन घंटे तक पूछताछ की।
इसी लेखपाल ने मौरंग खनन के पट्टे स्वीकृत के लिये रिपोर्ट लगायी थी जबकि ये खनन क्षेत्र वन सीमा में हैं। सीबीआई को शक है कि इस क्षेत्र में अवैध खनन हुआ है जिसके साक्ष्य जुटाने और खनन घोटाले की गुत्थी सुलझाने के लिये अब सीबीआई ने निचले स्तर से कर्मचारियों को भी तलब करना शुरू कर दिया है। सीबीआई को बयान देकर कैम्प ऑफिस से बाहर आये लेखपाल का चेहरा पसीना से सराबोर था। उसके माथे पर परेशानी के भाव भी स्पष्ट देखे गये। इसके बाद सीबीआई की टीम ने सीधे पुलिस अधीक्षक के आवास पहुंचकर गोपनीय कार्यालय से अहम दस्तावेज के बारे में जानकारी की।