खनन घोटालाः अखिलेश यादव अब आये सीबीआई के रडार पर

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विधि सलाहकार से पूछताछ के बाद अब सीबीआई अखिलेश यादव के यहां दे सकती है दस्तक  हाईकोर्ट के आदेश की अनदेखी करके मौरंग खनन के पट्टे स्वीकृत करने पर किये गये सवाल पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष के पिता और दो रिश्तेदार समेत छह कारोबारियों ने दिये बयान



हमीरपुर, 27 फरवरी (हि.स.)। अवैध खनन घोटाले की फाइनल जांच कर रही सीबीआई टीम ने गुरुवार को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के विधि सलाहकार मनोज त्रिवेदी को तलब कर दो घंटे तक पूछताछ की। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष संजय दीक्षित के पिता और दो चाचा समेत छह लोगों से भी अवैध खनन के नेटवर्क के बारे में पूछताछ की गई है। सूत्रों की माने तो विधि सलाहकार से अहम जानकारी जुटाने के बाद अब सीबीआई अखिलेश यादव के यहां पूछताछ के लिये दस्तक दे सकती है।
सीबीआई की दो सदस्यीय टीम पिछले चार दिनों से हमीरपुर स्थित मौदहा बांध निर्माण विभाग के निरीक्षण भवन में कैम्प कर खनन घोटाले की परतें खोलने में जुटी है। अखिलेश यादव की सरकार में महोबा जिले के सूपा निवासी मनोज त्रिवेदी विधि सलाहकार थे। हाईकोर्ट के आदेशों की अनदेखी कर अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री रहते हुये 14 मौरंग के पट्टों को मंजूरी दी थी। इसके बाद खनन मंत्रालय गायत्री प्रजापति के हाथ में आने के बाद 49 मौरंग के पट्टे जारी किये गये थे। इन सभी मौरंग के पट्टे जारी करने में नियमों और उच्च न्यायालय के निर्देशों को ताक पर रखा गया था।
हाईकोर्ट के आदेश पर अगस्त 2016 से सीबीआई अवैध खनन की लगातार जांच कर रही है। गुरुवार को सीबीआई के अधिकारियों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के विधि सलाहकार मनोज त्रिवेदी को कैम्प आफिस में तलब कर उनसे पूछताछ की। सूत्र बताते है कि सीबीआई ने उनसे सवाल किया कि मौरंग के पट्टे स्वीकृत होने में विधि सलाह दी गयी या नहीं। पूछताछ के बाद इनके हस्ताक्षर भी कराये गए।
सीबीआई की नोटिस पर पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष संजय दीक्षित के पिता सत्यदेव दीक्षित, उनके चाचा राकेश दीक्षित व देव नारायण दीक्षित भी कैम्प आफिस तलब हुए और करीब दो घंटे तक इन सभी से लम्बी पूछताछ की गयी है। बयान लेने के बाद इन सभी से साइन लिये गये हैं। इसके अलावा एक महिला और दो अन्य कारोबारियों से भी पूछताछ की गयी है। कैम्प आफिस से बाहर निकलते ही मौरंग कारोबारी बेचैन नजर आये।
सीबीआई की एफआईआर में यहां की तत्कालीन आईएएस बी.चन्द्रकला, खनन अधिकारी मुईनुद्दीन, एमएलसी रमेश मिश्रा, दिनेश मिश्रा, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष संजय दीक्षित, उनके पिता सत्यदेव दीक्षित, रिटायर्ड खनिज लिपिक रामआसरे प्रजापति व लोनिवि का रिटायर्ड बाबू रामऔतार समेत ग्यारह लोग आरोपित हैं। इन सभी के खिलाफ ईडी को भी पत्र लिखा जा चुका है।
तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अब सीबीआई के रडार पर आ चुके है क्योंकि उन तक पहुंचने के लिये विधि सलाहकार मनोज त्रिवेदी से पूछताछ कर सीबीआई ने अहम जानकारी जुटा ली है। हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर 16 अक्टूबर 2015 को जारी मौरंग के 49 पट्टे निरस्त कर जांच कमेटी बनाकर जिम्मेदार अधिकारियों व पट्टा धारकों के खिलाफ कार्यवाही भी करने के आदेश दिये गये थे। पूर्व में चौदह पट्टे भी निरस्त हुये थे। उन्होंने बताया कि सीबीआई ने अब यहां अवैध खनन की जांच करने के साथ ही अखिलेश सरकार में तैनात रहे प्रशासन व खनिज विभाग के अधिकारियों का ब्यौरा भी अपने हाथ में ले लिया है।
याचिकाकर्ता ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
याचिकाकर्ता याचिकाकर्ता विजय द्विवेदी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजकर अपनी जान का खतरा बताते हुये सुरक्षा मांगी है। उन्होंने बताया कि अवैध खनन की सीबीआई जांच अंतिम दौर पर है। ऐसे में खनन माफिया उन्हें रास्ते से हटाने की साजिश कर रहे हैं। लगातार परिवार समेत जान से मारने की धमकी भी दी जा रही है। हाल में ही जजी परिसर में दो बार खनन माफियाओं ने हमला किया है। उन्होंने कहा कि सीबीआई और ईडी जांच में फंसने वाले आरोपित सपा और बसपा सरकार के राजनेता हैं जो उनकी हत्या करा सकते हैं। याचिकाकर्ता ने उच्च सुरक्षा की मांग करते हुये गृह सचिव और सीबीआई को पत्र दिया है।


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