हमीरपुर, 02 दिसम्बर (हि.स.)। खनन घोटाले की फाइनल जांच में जुटी सीबीआई टीम सोमवार को नोटिस के बाद भी पूछताछ के लिए पेश न होने पर एमएलसी रमेश मिश्रा के मुनीम व रिटायर्ड खनिज बाबू को घर से उठाकर कैम्प ऑफिस ले गयी जहां कई घंटे तक पूछताछ की गयी। वन विभाग के रिटायर्ड रेंजर को भी तलब करके सीबीआई ने आज पूछताछ की है।
हमीरपुर स्थित मौदहा बांध निर्माण खंड के निरीक्षण भवन में कैम्प कर रही सीबीआई की तीन सदस्यीय टीम ने सोमवार को कड़ा रुख अख्तियार किया है। नोटिस देने के बाद सीबीआई के कैम्प ऑफिस न आने पर सीबीआई टीम सपा एमएलसी रमेश मिश्रा के मुनीम बाबू नारायण कुशवाहा के रमेड़ी हमीरपुर स्थित आवास पहुंची और सुरक्षा कर्मियों की मदद से मुनीम को पकड़कर गाड़ी में डाला। खनिज विभाग के रिटायर्ड लिपिक (बाबू) रामआसरे को भी घर से पकड़ा गया। इन दोनों को कैम्प ऑफिस ले जाकर सीबीआई के अधिकारियों ने कई घंटे तक पूछताछ की हैं।
सूत्र बताते हैं कि ये दोनों सीबीआई के सवालों से इस कदर घबरा गये कि दो-तीन बार पीने को पानी मांगा। रामआसरे खनिज विभाग में मुख्य लिपिक पद पर तैनात रहा है। मायावती सरकार से लेकर अखिलेश सरकार में मौरंग के पट्टों की फाइलें तैयार करने में इसकी अहम भूमिका थी। इस लिपिक के पास नौकरी से पहले कुछ नहीं था लेकिन नौकरी के रहते इसने अकूत सम्पत्ति हासिल की है। बाबू नारायण कुशवाहा भी एमएलसी रमेश मिश्रा का राजदार है जो मुनीमगीरी करने के साथ खनन के नेटवर्क पर नजर रखता था। सीबीआई अब इन दोनों से सख्ती से पूछताछ करके अवैध खनन के साक्ष्य जुटाने में जुट गयी है। रिटायर्ड खनिज बाबू से तीन दिन पहले भी सीबीआई ने कैम्प ऑफिस में तलब कर पूछताछ की थी। तब वह गोलमोल जवाब देकर बच गया था लेकिन अब सीबीआई ने उसे घर से पकड़कर कैम्प ऑफिस में दोबारा पूछताछ की है। सीबीआई की पूछताछ के बाद रिटायर्ड खनिज बाबू जब कैम्प ऑफिस से बाहर आया तो उसका चेहरा पसीने से तरबतर था। मीडिया के कैमरे देखकर चिल्ला पड़ा कि अब आप लोग परेशान न करें। वैसे भी हम बहुत परेशान हैं।
सरीला क्षेत्र के बेंदा दरिया में दस एकड़ में मौरंग खनन की एनओसी जारी करने की संस्तुति करने वाले तत्कालीन रेंजर अशोक कुमार मिश्रा को भी सीबीआई ने कैम्प ऑफिस में तलब कर लम्बी पूछताछ की है। वह अब सेवानिवृत्त हो चुका है जिसे सीबीआई ने फोन करके बुलवाया था। बेंदा दरिया में खनन क्षेत्र वन सीमा में था लेकिन इसके बावजूद इसकी एनओसी खनन के लिये वन विभाग ने जारी की थी। यहां मौरंग खनन का पट्टा एमएलसी रमेश मिश्रा एण्ड कम्पनी के नाम पर था। सीबीआई के सवालों के जवाब देने के बाद रिटायर्ड रेंजर भी काफी परेशान दिखे।
याचिकाकर्ता एवं समाजसेवी विजय द्विवेदी ने बताया कि सीबीआई की तीन सदस्यीय टीम ने अवैध खनन के साक्ष्य जुटाने के लिये 78 मौरंग कारोबारियों को तलब किया था लेकिन अभी तक आठ लोग ही कैम्प ऑफिस बयान देने आये हैं। अन्य मौरंग कारोबारी मोबाइल फोन स्विच ऑफ करके भूमिगत हो गये हैं। उन्हें अब घर से बाहर निकालकर सीबीआई ने पूछताछ करने की कार्यवाही शुरू की है। उन्होंने बताया कि अवैध खनन के नेटवर्क का खनिज विभाग का रिटायर्ड बाबू और एमएलसी का मुनीम बाबू नारायण कुशवाहा अहम हिस्सा रहे हैं। अन्य तमाम कारोबारी और तत्कालीन पीसीएस तथा इलाकाई अधिकारी भी इस खेल में शामिल रहे हैं।
सीबीआई ने अवैध खनन को लेकर छापेमारी करने के बाद इस साल 2 जनवरी को सीबीआई ने महिला आईएएस बी. चन्द्रकला, तत्कालीन खनिज अधिकारी मुईनुद्दीन, सपा एमएलसी रमेश मिश्रा, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष संजय दीक्षित उनके पिता सत्यदेव दीक्षित, अम्बिका उर्फ बबलू, खनिज विभाग के रिटायर्ड लिपिक रामआसरे व पट्टा धारक रामऔतार बाबू समेत 11 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।