राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र उतरे सड़क पर ,सौंपा समस्याओं के निदान हेतु ज्ञापन
उदय पंडो ने बताया कि मेडिकल कॉलेज प्रबंधनकी शह पर डॉक्टर द्वारा मरीज के उपचार के लिए मिलने वाला रॉड व अन्य सामान एक निजी मेडिकल दूकान से खरीदकर लाने के लिए पर्ची लिखकर दी जाती है। ग्रामीण जब उस पर्ची को लेकर जाते है तो वहां उनसे पांच से दस हजार रुपए लिए जाते है और उस पर्ची के आधार पर उनकी जानकारी लिखने के साथी ही उनके बेड नंबर भी लिखे जाते है।
अंबिकापुर 11जून( हिं. स.) ।सरगुजा मेडिकल कॉलेज प्रबंधन सहित यहां पदस्थ चिकित्सक वी के श्रीवास्तव के खिलाफ राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहेे जानेे वाले विशेष पिछड़ी जनजाति के पंडो,पहाड़ी कोरवा सहित अन्य ग्रामीणों ने आंदोलन पर उतर आये है।सोमवार को हजारों की संख्या में जुटे पंडो, पहाड़ी कोरवा जनजाति के लोगों ने तीर- धनुष और पारम्परिक गाजे बाजे के साथ मेेडिकल कालेेेज प्रबंधन व डॉक्टर के खिलाफ रैली निकाली और फिर जिला व पुलिस प्रशासन को ज्ञापन सौप उन्हें बर्खास्त किए जाने की मांग की। इनका आरोप है कि चिकित्सक द्वारा उन्हें वर्षों से प्रताड़ित किया जा रहा है, शासन से निःशुल्क उपचार सुविधा मिलने के बाद भी उपचार के लिए पैसों की वसूली की जाती है।
अगर देखा जाए तो अब के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि विशेष पिछड़ी जनजाति केे लोग पहली दफा इतनी बड़ी संख्या में सड़क पर उतर आए हो। मांगों के पूर्ण नहीं होने पर वृहद पैमाने पर आंदोलन किए जाने की चेतावनी दी गई है। सोमवार को जिले भर के पंडो, पहाड़ी कोरवाओं ने सर्व विशेष पिछड़ी जनजाति कल्याण समिति, पंडो जनजाति समाज कल्याण, पहाड़ी कोरवा समाज कल्याण समिति के बैनर तले पीजी कॉलेज मैदान से पारंपिक गाजे बाजे और तीर धनुष के साथ विशाल रैली निकाली। आमतौर पर ग्रामीण सड़क, बिजली, पानी व मूलभूत सुविधाओं को लेकर आंदोलन करते है परन्तु इस बार आंदोलन का स्वरुप ही बिलकुल अलग नजर आया। ग्रामीण मेडिकल कॉलेज प्रबंधन व यहां पदस्थ चिकित्सक के खिलाफ हाथों में तख्तियां लिए और नारेबाजी करते हुए कलेक्टर कार्यालय पहुंचे थे। इस दौरान विशेष पिछड़ी जनजाति के प्रांताध्यक्ष उदय पंडों ने बताया कि मेडिकल कॉलेज प्रबंधन और यहां पदस्थ चिकित्सक द्वारा अस्पताल में जमकर अवैध वसूली की जाती है, जबकि पहाड़ी कोरवाओं, पंडो जनजाति के ग्रामीणों को शासन द्वारा निःशुल्क उपचार की सुविधा प्रदान की जाती है। इसके बाद भी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में यदि कोई पहाड़ी कोरवा पहुंच गया तो प्रबंधन और डॉक्टर द्वारा उसके हाथ व पैर की हड्ड़ियों का ऑपरेशन करने और रॉड लगाने के नाम पर पांच से दस हजार रुपए तक की वसूली की जाती है । इसके लिए उनके द्वारा बाकायदा एक गिरोह चलाया जाता है।
इस गिरोह में प्रबंधन,चिकित्सक के साथ ही मेडिकल दूकान के संचालक भी शामिल है। ग्रामीणों से पैसा लेने के साथ ही उनके स्मार्ट कार्ड भी जमा कराए जाते है। अगर कोई ग्रामीण पैसा देने में असमर्थ हो तो चिकित्सक द्वारा उस मरीज को रायपुर रिफर कर दिया जाता है, परन्तु पहाड़ी कोरवा व पंडो जनजाति के गरीब मरीज रायपुर जाने में सक्षम नहीं होते है और गांव में ही जड़ी बूटी से उपचार कराते है। ऐसे में ये गरीब ग्रामीण हमेशा के लिए अपने पैर व हाथ को खोकर दिव्यांग बन जाते है। उन्होंने बताया कि विशेष पिछड़ी जनजातियों के निःशुल्क उपचार के लिए अनेकों बार शासन व स्वास्थ्य द्वारा आदेश जारी किया गया है परन्तु मेेडिकल कालेज प्रबंधन और चिकित्सक द्वारा हर बार इस आदेश की अवहेलना की जाती है। इस दौरान आदिवासी उठान संस्था के प्रदेशाध्यक्ष हेमंत नेताम, जिलाध्यक्ष बलरामपुर रामसुंदर पंडो सहित सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण मौजूद रहें।
इस तरह से चलता है कारोबार- उदय पंडो ने बताया कि मेडिकल कॉलेज प्रबंधनकी शह पर डॉक्टर द्वारा मरीज के उपचार के लिए मिलने वाला रॉड व अन्य सामान एक निजी मेडिकल दूकान से खरीदकर लाने के लिए पर्ची लिखकर दी जाती है। ग्रामीण जब उस पर्ची को लेकर जाते है तो वहां उनसे पांच से दस हजार रुपए लिए जाते है और उस पर्ची के आधार पर उनकी जानकारी लिखने के साथी ही उनके बेड नंबर भी लिखे जाते है। उसके बाद दूकान संचालक द्वारा मरीज के परिजन को वो सामान उनके हाथ में भी नहीं दिया जाता है और कहा जाता है कि वो इसे डॉक्टर तक पहुंचा देंगे। ग्रामीणों द्वारा पैसे की रसीद मांगने पर मना कर दिया जाता है और ज्यादा जोर देने पर एक पर्ची दी जाती है ।जिसपर लिखा रहता है कि पैसा जमा हो चुका है और दी गई राशि तक नहीं लिखी जाती है। इसके बाद उस रसीद को भी डॉक्टर रख लेता है। रसीद नहीं मिलने से पंडो हो या पहाड़ी कोरवा, शासन से मिलने वाली क्लेम की राशि तक नहीं ले पाते है। आरोप है कि मरीज और उसके परिजन से पैसे लेने के बाद उनके ही स्मार्ट कार्ड से सरकारी अस्पताल का वहीं सामान खरीदकर डॉक्टर द्वारा मरीज को लगा दिया जाता है। उन्होंने इस गोरख धंधे से सम्बंधित सबूत और दस्तस्वेज के बंडल, स्टिंग ऑपरेशन की सीडी और अन्य सबूत पेश किए है।
32 से अधिक लोगों ने किया है शिकायत -उदय पंडों ने बताया कि इन्दर कुमार मरावी आ.देव साय से पांच हजार, मिथलेश पंडों से 30 हजार रुपए, मोहरलाल पंडो से 12 हजार रुपए एक दवाई दूकान के माध्यम से वसूला गया और फिर उनका सही ढंग से उपचार भी नहीं किया गया। उपचार के अभाव में मिथलेश आज भी लंगड़ाकर चलने को मजबूर है और उसके हाथ भी काम नहीं करते है। वहीं पूनम पंडो, धनेश्वरी पंडो सहित अन्य द्वारा पैसे नहीं दिए जाने पर उन्हें पंडो जनजाति का होने की बात कहते हुए स्मार्ट कार्ड होने के बाद भी उपचार करने से इंकार कर दिया गया और रायपुर रिफर दिया गया। परन्तु राशि के अभाव में वे रायपुर भी नहीं जा सके और अपने हाथ-पैर गवाने पड़े। उन्होंने बताया कि इसी तरह के एक मामले में दुहन राम का स्मार्ट कार्ड होने के बाद भी उपचार करने से डॉक्टर वी के श्रीवास्तव ने मना कर दिया। बाद में उदय पंडो द्वारा उसके इलाज का खर्चा भरने के लिए कोरे कागज पर हस्ताक्षर करने के बाद उसका उपचार किया गया। उदय पंडो और पहाड़ी कोरवा परिवारों ने चिकित्सक द्वारा की जा रही वसूली और उन्हें परेशान किए जाने को लेकर लभग 32 प्रकरण की जानकारी देने के साथ ही सारे सबूत भी पेश किए है। उन्होंने मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री के नाम कलेक्टर व एसपी को ज्ञापन सौप कार्रवाई की मांग की है और मांगों के पूर्ण नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।इस बारे में आरोपित डॉक्टर ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया है।