नई दिल्ली, 30 दिसम्बर (हि.स.)। केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने चार राज्यों- उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के साथ कालाजार बीमारी की स्थिति की समीक्षा के लिए बुधवार को बैठक की अध्यक्षता की। बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे, पश्चिम बंगाल की स्वास्थ्य राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य, उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जय प्रताप सिंह और झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता बैठक में मौजूद थे।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि भारत सरकार देश से कालाजार के उन्मूलन के प्रति कृत संकल्प है । उन्होंने कहा कि मलेरिया के बाद विश्व में कालाजार दूसरी सबसे बड़ी घातक बीमारी है और यदि रोगियों का उपचार न किया जाए तो इसकी मृत्यु दर 95 प्रतिशत हो सकती है। इसके अलावा सही तरीके से उपचार किए गए और ठीक हुए 20 प्रतिशत रोगियों में पोस्ट कालाजार डर्मल लेसमनिअसीस (पीकेडीएल) में त्वचा खराब हो सकती है। इसका पता इलाज के एक वर्ष के बीच में चलता है । ऐसे रोगियों की त्वचा में बड़ी मात्रा में पैरासाइट होते हैं, जो उन्हें फैलाव का महत्वपूर्ण स्रोत बना देते हैं। केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि बिहार जहां कि कालाजार के पहले बहुत सारे मामले हुआ करते थे, वहां अब सीवान और सारन जिलों के चार ब्लॉक को छोड़कर लगभग सभी ब्लॉक में उन्मूलन का लक्ष्य हासिल कर लिया है । उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल ने अपने-अपने राज्य में कालाजार के उन्मूलन का लक्ष्य हासिल कर लिया है। ये दोनों राज्य तीन वर्ष के अंत तक उन्मूलन प्रमाण पत्र प्राप्त कर लेंगे ।
उल्लेखनीय है कि बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के चार राज्यों में 54 जिले वर्तमान में कालाजार से प्रभावित हैं और असम, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, सिक्किम और उत्तराखंड जैसे राज्यों में छिटपुट मामले सामने आते हैं।