एनसीईआरटी की नकली किताबों का गढ़ बना मेरठ

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मेरठ, 22 अगस्त (हि.स.)। एनसीईआरटी की नकली किताबों को छापने और दूसरे राज्यों में सप्लाई करने का मेरठ में बड़ा धंधा चल रहा है। सरकारी तंत्र की नाक के नीचे चल रहे चल रहे इस धंधे में राजनीतिक दलों से जुड़े सफेदपोश शामिल है। इससे पहले भी मेरठ में एनसीईआरटी की नकली किताबें बरामद हुई है, लेकिन कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं होने से यह धंधा लगातार चल रहा है।
किताबों के प्रकाशन के तौर पर मेरठ की अपनी अलग पहचान है। इसी पहचान का लाभ उठाकर मेरठ में लंबे समय से एनसीईआरटी की नकली किताबें छापकर सप्लाई करने का धंधा फल-फूल रहा है। एनसीईआरटी की किताबों को हूबहू निजी प्रकाशकों के नाम से छापकर सप्लाई किया जा रहा था। एसटीएफ और मेरठ पुलिस की छापेमारी में यह धंधा पकड़ में आया।
आर्मी इंटेलीजेंस के इनपुट से हुआ खुलासा
सूत्रों का कहना है कि इनमें से कुछ किताबें आर्मी स्कूल में सप्लाई की गई थी। वहां कुछ शक होने पर आर्मी इंटेलीजेंस को जांच दी गई है। आर्मी इंटेलीजेंस के इनपुट पर एसटीएफ और मेरठ पुलिस ने यह कार्रवाई की और 35 करोड़ रुपये कीमत की किताबें बरामद हुई। यह प्रिंटिंग प्रेस और गोदाम भाजपा के महानगर उपाध्यक्ष संजीव गुप्ता और उनके भतीजे सचिन गुप्ता की है।
पहले भी पकड़ी जा चुकी हैं किताबें
मेरठ में एनसीईआरटी की अवैध किताबें पहले भी पकड़ी जा चुकी है। 2013 में क्राइम ब्रांच ने कोतवाली क्षेत्र के गोलाकुआं के पास राशिद वाली गली में जावेद के कान और लिसाड़ी गेट थाना क्षेत्र में दो स्थानों पर छापा डालकर नकली किताबें पकड़ी थी। इसके बाद 2015 में मेरठ के प्रतिष्ठित विद्या व चित्रा प्रकाशन की शिकायत पर भाजपा नेता संजीव गुप्ता की ही टीएनएसएचके प्रिंटिंग प्रेस पर ही छापेमारी में छह करोड़ रुपए मूल्य की किताबें पकड़ी गई। इसके बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई।
कई बड़े शहरों में चल रहा था नेटवर्क
एनसीईआरटी की किताबों को अवैध रूप से छापकर सप्लाई करने के काम में पूरा गिरोह लगा हुआ था। इस गिरोह का कई बड़े शहरों में नेटवर्क चल रहा था। बड़े-बड़े दुकानदारों और बड़े स्कूलों के आॅर्डर बुक करके उन्हें मेरठ से किताबें सप्लाई की जाती थी। एसटीएफ इसी नेटवर्क को ध्वस्त करने पर काम कर रही है। एसटीएफ के सीओ ब्रजेश सिंह का कहना है कि इस मामले की विस्तृत जांच की जा रही है। जल्दी ही पूरे नेटवर्क को ध्वस्त किया जाएगा।

 


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