नई दिल्ली, 05 अक्टूबर (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने नीट-सुपर स्पेशियलिटी की इस वर्ष होने वाली प्रवेश परीक्षा के पैटर्न में अंतिम समय बदलाव करने पर केंद्र सरकार और नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन (एनबीई) को फटकार लगाई है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा एक व्यवसाय बन गई है और यह देश में चिकित्सा शिक्षा की त्रासदी है। इस मामले पर सुनवाई कल यानि छह अक्टूबर को भी जारी रहेगी।
कोर्ट ने कहा कि पैटर्न में बदलाव यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया था कि निजी मेडिकल कॉलेजों में सीट खाली नहीं रहे। कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश एएसजी ऐश्वर्या भाटी से कहा कि आप नवम्बर में परीक्षा के लिए अगस्त में बदलाव की घोषणा करते हैं और जब छात्र कोर्ट आते हैं तो आप परीक्षा जनवरी में कर देते हैं। यह देश में चिकित्सा शिक्षा के लिए अच्छी बात नहीं है। कोर्ट ने कहा कि सरकारी कॉलेजों में कभी भी सीटें खाली नहीं होती हैं। यह हमेशा निजी कॉलेजों में होती है। हमारा अनुमान है कि सरकारी कॉलेजों में सीटें खाली नहीं हैं। ऐसा लग रहा है कि पूरी जल्दबाजी खाली सीटों को भरने के लिए है। कोर्ट ने कहा कि बेशक निजी संस्थानों ने निवेश किया है, लेकिन हमें संतुलन बनाना होगा।
पिछले 27 सितम्बर को भी कोर्ट ने केंद्र को फटकार लगाते हुए कहा था कि युवा डॉक्टरों के साथ सत्ता के खेल में फुटबॉल की तरह बर्ताव करना बंद होना चाहिए। सुनवाई के दौरान जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा था कि इन युवा डॉक्टरों को अंतिम समय में बदलाव के कारण भ्रमित किया जा सकता है। तब जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा था कि नेशनल मेडिकल कमीशन क्या कर रहा है। हम डॉक्टरों के जीवन से निपट रहे हैं। आप नोटिस जारी करते हैं और फिर पैटर्न बदल देते हैं। आखिर अंतिम समय में पैटर्न बदलने की जरूरत क्यों पड़ी। आप अगले साल भी पैटर्न बदल सकते थे।
उससे पहले, 20 सितम्बर को कोर्ट ने केंद्र सरकार और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया था। याचिका 41 पीजी डॉक्टरों ने दायर किया है। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कहा कि नीट-सुपर स्पेशियलिटी के प्रवेश परीक्षा के लिए 23 जुलाई को नोटिफिकेशन जारी किया गया था। लेकिन 31 अगस्त को एक और नोटिफिकेशन जारी कर परीक्षा के पैटर्न में बदलाव की घोषणा की गई। ये बदलाव परीक्षा के ठीक दो महीने पहले की गई है। नीट-सुपर स्पेशियलिटी की परीक्षा 13 और 14 नवंबर को आयोजित होने वाली है।
याचिका में कहा गया है कि परीक्षा का वर्तमान पैटर्न 2018 से 2020 तक जारी रहा। इस पैटर्न के तहत सुपर स्पेशियलिटी के लिए साठ फीसदी, जबकि फीडर कोर्स से चालीस फीसदी अंक थे। लेकिन नए पैटर्न के मुताबिक क्रिटिकल केयर सुपर स्पेशियलिटी के सभी अंक जनरल मेडिसिन से होंगे। इससे दूसरे संकाय के डॉक्टरों को काफी नुकसान होगा क्योंकि नीट-सुपर स्पेशियलिटी की तैयार कर रहे सभी डॉक्टर पुराने पैटर्न के मुताबिक तैयारी कर रहे थे।