नई दिल्ली, 02 अगस्त (हि.स.)। अयोध्या मामले पर मध्यस्थता प्रक्रिया असफल हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर 6 अगस्त से रोजाना सुनवाई करेगा। मध्यस्थता कमेटी की रिपोर्ट देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट इस नतीजे पर पहुंचा कि इस पर कोई सहमति नहीं बनी है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षकारों से कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री को सूचित करें कि वे किन दस्तावेजों पर भरोसा करते हैं। उन दस्तावेजों को सुनवाई के समय कोर्ट में पेश करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान बेंच पहले निर्मोही अखाड़ा और रामलला की ओर से दायर केसों पर सुनवाई करेगी।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त मध्यस्थता कमेटी ने गुरुवार 1 अगस्त को अपनी फाइनल रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी थी। पिछले 18 जुलाई को कोर्ट ने मध्यस्थता कमेटी से यह रिपोर्ट मांगी थी।
पिछले 11 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले की मध्यस्थता कर रही कमेटी से स्टेटस रिपोर्ट तलब किया था। सुनवाई के दौरान हिन्दू पक्षकार गोपाल सिंह विशारद की ओर से वरिष्ठ वकील के. परासरन ने कोर्ट से जल्द सुनवाई की तारीख तय करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि अगर कोई समझौता हो भी जाता है, तो उसे कोर्ट की मंजूरी जरूरी है। इस दलील का मुस्लिम पक्षकारों की ओर से राजीव धवन ने विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि ये मध्यस्थता प्रकिया की आलोचना करने का वक्त नहीं है।
राजीव धवन ने मध्यस्थता प्रकिया पर सवाल उठाने वाली याचिका को खारिज करने की मांग की थी। लेकिन निर्मोही अखाड़ा ने गोपाल सिंह विशारद की याचिका का समर्थन किया था। निर्मोही अखाड़े ने कहा था कि मध्यस्थता प्रकिया सही दिशा में आगे नहीं बढ़ रही है। इससे पहले अखाड़ा मध्यस्थता प्रकिया के पक्ष में था।
पिछले 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले पर मध्यस्थता के लिए मध्यस्थों को 15 अगस्त तक मध्यस्थता पूरी करने का निर्देश दिया था। मध्यस्थता कमिटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें मध्यस्थता के लिए और 15 अगस्त तक का समय देने की मांग की गई थी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में सकारात्मक मध्यस्थता होने की बात कही थी।
पिछले 8 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जज एफ एम कलीफुल्ला, धर्म गुरु श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचु को मध्यस्थ नियुक्त किया था। कोर्ट ने सभी पक्षों से बात कर मसले का सर्वमान्य हल निकालने की कोशिश करने को कहा था।