जी-20 शिखर वार्ता में भाग लेंगे मोदी, सुरेश प्रभु होंगे भारत के शेरपा
नई दिल्ली, 22 जून (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्था वाले देशों की संस्था जी-20 के जापान के ओसाका नगर में 27 से 29 जून तक आयोजित होने वाली शिखर वार्ता में शामिल होंगे। इस बैठक में विश्व अर्थव्यवस्था के सामने मौजूद चुनौतियों विशेषकर मुक्त व्यापार के क्षेत्र में आ रही बाधाओं और कुछ देशों की आर्थिक संरक्षणवादी नीतियों पर विशेष रूप से चर्चा होगी। बैठक के लिए भारत की ओर से विशेष दूत (शेरपा) के रूप में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु की नियुक्ति की गई है।
विशेष दूत सुरेश प्रभु और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने प्रधानमंत्री की यात्रा के बारे में शुक्रवार को मीडिया को जानकारी दी। अपने ओसाका प्रवास के दौरान मोदी अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से रणनीतिक साझेदारी और द्विपक्षीय व्यापार में आ रही अड़चनों के बारे में विचार-विमर्श करेंगे। दूसरे कार्यकाल में मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति से यह पहली मुलाकात होगी। मोदी जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे से वार्ता करने के साथ ही रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिंपिंग के साथ भी त्रिपक्षीय वार्ता करेंगे।
जी-20 की यह बैठक अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध तथा अमेरिका और भारत के बीच व्यापार संबंधी अड़चनों की छाया में हो रही है।
सुरेश प्रभु ने जी-20 शिखर वार्ता के एजेंडे के बारे में बताया कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की छत्रछाया में मुक्त वैश्विक व्यापार आज सबसे बड़ी प्राथमिकता है। मुक्त व्यापार के मार्ग में किसी तरह का अवरोध विश्व में आर्थिक वृद्धि को प्रभावित करेगा। सभी देशों को विश्व व्यापार संगठन के दिशा निर्देशन में बहुपक्षीय रूप से आर्थिक गतिविधियों का संचालन करना चाहिए ।
उन्होंने कहा कि जी-20 देशों की अर्थव्यवस्थाओं की भागीदारी विश्व के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) से अधिक है। इन देशों पर यह बड़ी जिम्मेदारी है कि विश्व में आर्थिक प्रगति की प्रक्रिया जारी रहे। साथ ही इन देशों को जलवायु परिवर्तन से पैदा होने वाली समस्याओं के समाधान का रास्ता भी खोजना है। उन्होंने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन के बारे में अपनी प्रतिबद्धता पूरी करने के लिए वचनबद्ध है। साथ ही वह गरीबी और भूखमरी से निपटने के लिए वह खाद्य सुरक्षा को भी महत्व देता है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन से खतरे का सामना करने के लिए वैकल्पिक ऊर्जा के संबंध में भारत के प्रयासों का भी उल्लेख किया।
प्रभु प्रधानमंत्री की ओसाका यात्रा के पहले ही वहां पहुंचेंगे तथा विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों के साथ शिखर वार्ता के एजेंडे पर चर्चा करेंगे।