ढाका/कोलकाता, 12 अप्रैल (हि.स.)। बांग्लादेश के संस्थापक बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के हत्यारे अब्दुल माजिद को गिरफ्तारी के 4 दिनों के अंदर शनिवार आधी रात स्थानीय समयानुसार 12:01 बजे फांसी दे दी गई। उसे रानीगंज में ढाका सेंट्रल जेल के अंदर फांसी पर लटकाया गया। गत बुधवार को ही माजिद को ढाका में गिरफ्तार किया गया था। पकड़े जाने के बाद उसने इस बात का खुलासा किया था कि वह 25 साल तक भारत में छिपा रहा था जिसमें से 22 साल उसने कोलकाता में गुजारे थे।
15 अगस्त 1975 को बांग्लादेश में सैनिक तख्तापलट हुआ था और बंगबंधु की हत्या कर दी गई थी। उसके बाद माजिद ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया था कि उसने बंगबंधु मुजीबुर रहमान की हत्या की है। हालांकि बाद में वह फरार हो गया था और बांग्लादेश की सुरक्षा एजेंसिया तब से उसे लगातार खोज रही थीं। चार दशक बाद उसे गत मंगलवार को ढाका में गिरफ्तार किया गया था। मुजीबुर रहमान की हत्या में शामिल रहे दर्जनों लोगों में से एक माजिद की फांसी की सजा को 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था। 1998 को ही बांग्लादेश की एक निचली अदालत ने उन सैन्य अधिकारियों को फांसी की सजा सुनाई थी जो रहमान और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या में शामिल रहे थे।
बांग्लादेश की वर्तमान प्रधानमंत्री शेख हसीना मुजीबुर रहमान की बेटी हैं। 1975 के तख्तापलट में वह बाल-बाल बच गई थीं क्योंकि तब वह अपनी बहन के साथ जर्मनी में रहती थीं। उस हत्याकांड के बाद रहमान के परिवार में सिर्फ यही दोनों बहनें बच पाई थीं। हत्यारे को बचाने के लिए उसके बाद की बांग्लादेश की सरकारों ने कूटनीतिक मिशन पर हत्यारों को विदेश भेज दिया था। इधर तख्तापलट के बाद शेख हसीना दिल्ली आ गई थीं और 1981 तक भारत में ही रही थीं। बाद में वह बांग्लादेश लौटी और पिता की राजनीतिक विरासत को संभाला है। आखिरकार इस हत्याकांड के चार दशक बाद माजिद को फांसी हुई है। शनिवार रात उसे फांसी दिए जाने से पहले शुक्रवार को उसकी पत्नी और चार अन्य संबंधियों ने जेल में जाकर उससे 2 घंटे तक मुलाकात की थी। उसके पहले मंगलवार रात को ही वहां के राष्ट्रपति अब्दुल हमीद ने उसकी दया याचिका को खारिज कर दी थी जिसके बाद उसकी फांसी का रास्ता साफ हो चुका था। सेंट्रल जेल के जेलर महबूब उल इस्लाम ने कहा कि माजिद को कोर्ट द्वारा तय समय पर फांसी पर लटकाया गया है।