बेंगलुरु, 28 जुलाई (हि.स.)। भले ही बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार को सोमवार को सदन में बहुमत साबित करने के लिए कोई समस्या नहीं होगी लेकिन पार्टी के लिए सरकार की स्थिरता को लेकर एक बड़ी चुनौती बनी रहेगी।
कांग्रेस के 13 और जेडीएस के तीन विधायकों ने सोमवार को विधानसभा की कार्यवाही से दूर रहने का विकल्प चुना है जिससे भाजपा सरकार को तत्काल कोई खतरा नहीं है। बीएस येदियुरप्पा विधानसभा में बहुमत साबित करने के बाद मंत्रिमंडल विस्तार करने की सोच रहे हैं। अब तक सत्तारूढ़ दल की ताकत 105 है जबकि विपक्षी कांग्रेस-जेडीएस की स्पीकर केआर रमेशकुमार सहित 100 है। दोनों पक्षों के बराबर वोट होने की स्थिति में स्पीकर आमतौर पर अपना वोट देता है लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में उसकी कोई आवश्यकता नहीं है। सोमवार को बहुमत साबित करने के दावों के बीच पार्टी की राज्य इकाई के शीर्ष नेताओं में ‘अति-उत्साह’ में नहीं है क्योंकि पार्टी के राष्ट्रीय नेता राज्य में सरकार बनाने को लेकर संदेह में हैं।
दरअसल अप्रैल-मई 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान राज्य के भाजपा नेताओं ने राज्य भर में दावा किया कि मतगणना का दिन राज्य की गठबंधन सरकार का आखिरी दिन होगा लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। भाजपा नेता यह दावा करते रहे कि वे गठबंधन सरकार को नहीं गिराएंगे और वह इसके खुद ही गिरने का इंतजार करेंगे। फिर यह तर्क सामने आया कि केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी गठबंधन सरकार को गिराने में दिलचस्पी नहीं रखती है। अब सवाल यह है कि क्या भाजपा सोमवार को बहुमत साबित करने के बाद स्थिर सरकार प्रदान करेगी। भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती उन सभी 16 विधायकों की है जिन्होंने अपने राजनीतिक करियर को खतरे में डालते हुए इस्तीफा दे दिया। इन बागियों के अलावा भाजपा के पास 34 कैबिनेट मंत्रियों के लिए 60 से अधिक उम्मीदवार हैं।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि सरकार के पास कैबिनेट मंत्रियों के अलावा विभिन्न बोर्डों और निगमों के अध्यक्षों के भी पद हैं लेकिन वह वर्तमान राजनीतिज्ञों के लिए आकर्षक नहीं हैं। ऐसे में सरकार को चलाना आसान नहीं लगता है। देखने वाली बात यह है कि बीएस येदियुरप्पा इन सब हालात का कैसे सामना करेंगे?