कोलकाता, 19 जून (हि.स.)। लोकसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी के शानदार प्रदर्शन के बाद राज्यभर में सत्तारूढ़ तृणमूल के नेता पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल होने लगे हैं। इस टूट को रोकने के लिए ममता बनर्जी ने सांगठनिक बैठक की रणनीति अपनाई है। हालांकि इसका कोई लाभ होते हुए नहीं दिख रहा है।
मंगलवार को मुख्यमंत्री ने कोलकाता के नजरूल मंच में राज्यभरकी सभी 125 नगर पालिकाओं के पार्षदों की बैठक बुलाई थी। इसमें उत्तर बंगाल के अधिकतर नगर पालिकाओं के पार्षद अनुपस्थित थे। विशेष तौर पर अलीपुरद्वार नगरपालिका के नौ तृणमूल पार्षद आए ही नहीं। यहां कुल 20 वार्ड हैं। इसमें से 16 पर तृणमूल कांग्रेस ने जीत दर्ज की है जबकि बाकी के चार वार्डों में वाममोर्चा के पार्षदों ने जीत हासिल की है। इसमें नगर पालिका के अध्यक्ष आशीष दत्त भी नहीं आए थे। इसके बाद से अंदाजा लगाया जा रहा है कि बहुत जल्द इस नगरपालिका के भी अधिकतर पार्षद भाजपा का दामन थामने वाले हैं।
इस बारे में प्रतिक्रिया के लिए जब बुधवार को नगरपालिका अध्यक्ष आशीष दत्त से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया है। इसके अलावा जो नौ पार्षद नहीं गए थे, उन लोगों से संपर्क किया गया तो किसी ने पेट में दर्द होने की बात कही तो किसी ने बताया कि उनकी बेटी की परीक्षा है। किसी ने यह भी कहा कि ट्रेन का टिकट नहीं मिला इसलिए नहीं जा सके। ममता बुलाएं और इन वजहों से पार्षद ना जाएं यह बड़ा संकेत है। कुल मिलाकर कहा जाए तो उत्तर बंगाल में अब तृणमूल कांग्रेस की जमीन खिसकती नजर आ रही है।
उल्लेखनीय है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में जिन क्षेत्रों में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है उसमें अलीपुरद्वार नगरपालिका क्षेत्र भी शामिल है। 20 वार्डों में से किसी में भी तृणमूल कांग्रेस को लीड नहीं मिली थी। हालांकि इस नगरपालिका की मियाद साल 2018 के अक्टूबर महीने में भी खत्म हो गई है लेकिन राज्य सरकार ने यहां प्रशासक की नियुक्ति कर लगातार काम आगे बढ़ाया है। इसके बाद लोकसभा चुनाव बीतने पर जो खराब प्रदर्शन हुआ है इसे लेकर तमाम तरह के कयास पहले ही लगाए जा रहे थे। अब यहां के अधिकतर पार्षदों की अनुपस्थिति को लेकर और अधिक चर्चा तेज हो गई है। माना जा रहा है कि अलीपुरद्वार नगरपालिका भी भाजपा के कब्जे में जाने वाली है।