गिनी में मिला अब मारबर्ग वायरस, शोध जारी
जिनेवा,10 अगस्त (हि.स.)। गिनी देश में मारबर्ग वायरस का पहला मामला सामने आया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जानकारी दी है कि यह एक जानलेना वायरस है, जो ईबोला से संबंधित है। यह कोरोना वायरस की तरह जानवरों से इंसानों में आया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, यह वायरस चमगादड़ों से फैलता है। इससे प्रभावित लोगों की मृत्यु दर 88 प्रतिशत तक होती है। इस वायरस से दो अगस्त को दक्षिणी गुएकेडौ प्रान्त में एक मरीज की मौत हो गई थी। उसी के नमूनों में इस वायरस को पाया गया है।
डब्ल्यूएचओ के अफ्रीका में क्षेत्रीय निदेशक डॉ. मात्शिदिसो मोएती ने कहा कि मारबर्ग वायरस को दूर-दूर तक फैलने से रोकने के लिए हमें इसे अपने ट्रैक में रोकने की जरूरत है। गिनी में मार्बर्ग वायरस का पता ऐसे समय में लगा है, जब दो महीने पहले ही डब्ल्यूएचओ ने यहां इबोला वायरस के खत्म होने की घोषणा की थी। पिछले साल यहां इबोला की शुरुआत हुई थी, जिसमें 12 लोगों की जान चली गई थी। इस वायरस के खतरे पर डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इसका खतरा क्षेत्रीय स्तर पर ज्यादा है। वैश्विक स्तर पर यह कम खतरनाक है।
मोएती ने कहा कि हम इबोला के प्रबंधन में गिनी के पिछले अनुभव और विशेषज्ञता पर आधारित कदम पर स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ काम कर रहे हैं। दरअसल मारबर्ग वायरस आमतौर पर उन गुफाओं या खानों में मौजूद होता है, जहां रौसेटस चमगादड़ रहते हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार जब एक बार कोई व्यक्ति इसके संपर्क में आ जाता है, उसके बाद शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थ, दूषित सतहों और सामग्रियों के संपर्क में आने से रोग फैलता है।
मोएती ने कहा कि हम गिनी के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा सतर्कता और त्वरित जांच कार्रवाई की सराहना करते हैं। महामारी विज्ञानियों और सामाजिक-मानवविज्ञानी सहित दस डब्ल्यूएचओ विशेषज्ञ पहले से ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य अधिकारियों का समर्थन कर रहे हैं। सीमा पार निगरानी भी तेज कर दी गई है, ताकि संभावित मामलों का जल्द पता लगाया जा सके। मारबर्क वायरस से मरनेवाले के परिवार के तीन सदस्यों और एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता की पहचान उच्च जोखिम वाले करीबी संपर्कों के रूप में की गई है और उन पर नजर रखी जा रही है। संक्रमण के स्रोत और किसी भी अन्य संभावित संपर्कों की पहचान करने के लिए जांच की जा रही है।