मराठा आरक्षण पर बांबे हाईकोर्ट का मुहर, सरकार को 12-13 फिसदी आरक्षण देने के निर्देश
मुंबई, 27 जून (हि.स.)। महाराष्ट्र में मराठा समाज को राज्य सरकार की ओर से दिए गए आरक्षण को हाईकोर्ट ने वैध ठहराया है। हाईकोर्ट ने कहा संविधान में भले ही 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण न दिए जाने का प्रावधान है, लेकिन राज्य सरकार अपवादात्मक स्थिति में किसी भी समाज को आरक्षण दे सकती है। हाईकोर्ट ने गुरुवार को यह महत्वपूर्ण निर्णय दिया और इस संबंध में दायर सभी याचिकाओं को नामंजूर कर दिया। सरकार के आदेश में बड़ा सुधार करते हुए हाईकोर्ट ने मराठा समाज को शिक्षा में 12 फीसदी व नौकरी में 13 फीसदी ही आरक्षण दिए जाने का निर्देश जारी किया है।
मराठा समाज को राज्य सरकार की ओर से दिए गए आरक्षण संबंधी सुनवाई गुरुवार को न्यायाधीश रणजीत मोरे व न्यायाधीश भारती डोंगरे के समक्ष की गई। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से नियुक्त राज्य पिछड़ा आयोग के निर्णय व उसकी रिपोर्ट को भी वैध ठहराया है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार किसी भी समाज के आर्थिक व सामाजिक रुप से पिछड़े होने के बारे में इस तरह की रिपोर्ट तैयार करवा सकती है। यह राज्य सरकार का अधिकार है।
इसके साथ ही हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से मराठा समाज को शिक्षा व नौकरी में 16 फीसदी आरक्षण दिए जाने के निर्णय में सुधार भी किया है। हाईकोर्ट ने मराठा समाज को शिक्षा में 12 फीसदी व नौकरी में 13 फीसदी ही आरक्षण दिए जाने का निर्देश जारी किया है।
उल्लेखनीय है कि मराठा समाज को शिक्षा व नौकरी में आरक्षण दिए जाने के लिए मराठा क्रांति मोर्चा ने राज्य में जोरदार आंदोलन किया था। इसलिए राज्य सरकार ने राज्य पिछड़ा आयोग गठित कर उससे मराठा समाज के पिछड़े होने संबंधी रिपोर्ट मंगवाई थी। इसके बाद राज्य पिछड़ा आयोग ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौपी। इस रिपोर्ट में राज्य पिछड़ा आयोग ने मराठा समाज को सामाजिक व आर्थिक आधार पर पिछड़ा बताया था। इसी रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार ने 30 नवंबर 2018 को मराठा समाज को सामाजिक-आर्थिक पिछड़े प्रवर्ग से 16 फीसदी आरक्षण दिए जाने का निर्णय लिया था। इस निर्णय को हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी गई थी। इसलिए हाईकोर्ट ने गुरुवार को मराठा समाज को दिए गए आरक्षण के विरोध में की गई सभी याचिकाओं की एकसाथ सुनवाई की है और मराठा आरक्षण को वैध बताया है।