नई दिल्ली, 17 मार्च (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता एवं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए मनसुख हिरेन की मौत को हत्या करार देते हुए कहा कि यह बात सामने आनी चाहिए कि हाईप्रोफाइल मामला वाजे को सौंपने के पीछे वजह क्या रही। उन्होंने कहा कि मामले की जांच आतंकवाद निरोधी दल (एटीएस) की बजाय राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के हाथ में दी जानी चाहिए।
बुधवार को भाजपा मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में फडणवीस ने कहा कि मुंबई में एंटीलिया के सामने जिलेटिन स्टिक से भरी एक कार पाई गई, उसके बाद जो घटनाएं घटी वो सभी के सामने हैं। उन्होंने एंटीलिया मामले में सबसे बड़ी कड़ी मनसुख हीरेन की हत्या का आरोप लगाते हुए कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हिरेन के फेफड़ों में पानी नहीं है। अगर हिरेन की मौत पानी में डूबने से हुई होती तो फेफड़ों में पानी दिखता। इससे साफ है कि हिरेन की हत्या हुई है। उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मनसुख हिरेन का गला घोटने की जानकारी सामने आई है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर रक्षा करने वाले इस प्रकार से अपराधी तत्व बन जाए तो सुरक्षा कौन करेगा। उन्होंने एपीआई सचिन वाजे को नौकरी में वापस लिए जाने पर भी सवाल उठाया। फडणवीस ने कहा कि वाजे वर्ष 2004 में सस्पेंड हुए, 2007 में वीआरएस लिया और उन पर जांच के कारण वीआरएस स्वीकार नहीं हुआ। उन्होंने कहा वर्ष 2018 में जब वह मुख्यमंत्री थे उस समय शिवसेना की ओर से दबाव था कि एपीआई सचिन वाजे को फिर एक बार सेवा में लिया जाए। किंतु, उन्होंने ऐसा नहीं किया।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सचिन वाजे के शिवसेना के साथ गहरे रिश्ते हैं और वह मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के साथ नजर आते रहे हैं। वर्ष 2020 में जब शिवसेना की सरकार आई तो फिर एक बार सचिन वाजे को वापस लाने का प्रयास शुरू हुआ। सचिन वाजे के रिकॉर्ड खराब होने के बाद भी शिवसेना ने ऐसे समय इनको वापस लिया गया और मुंबई क्राइम ब्रांच की सबसे महत्वपूर्ण यूनिट क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट का प्रमुख बनाया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि सचिन वाजे को क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट के प्रमुख के रूप में नहीं बल्कि वसूली अधिकारी के रूप में बैठाया गया।