जीतनराम मांझी ने फिर टाला अपना फैसला

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अब 2 सितम्बर को लेंगे एनडीए में शामिल होने या जदयू में अपनी पार्टी के विलय का फैसला30 अगस्त को अपनी नई राजनीतिक पारी का एलान करने वाले थे मांझी   



पटना, 30 अगस्त (हि.स.) । हिन्दुस्तानी  अवाम मोर्चा के अध्‍यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के लिए  रविवार फैसले का दिन था। मांझी ने 20 अगस्‍त को  विपक्षी गठबंधन से नाता लोड़ लिया था। तभी से उनकी पार्टी के राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन  में शामिल होने या जनता दल यूनाइटेड में विलय की बात चर्चा में थी। इस बीच गुरुवार को मांझी ने जदयू सुप्रीमो व मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात भी की। इस मुलाकात के बाद  उन्होंने कहा था कि वे पार्टी के रुख को लेकर 30 अगस्‍त को घोषणा करेंगे। हालांकि, अब कहा जा रहा है कि उन्‍होंने एनडीए में शामिल होने के औपचारिक एलान को 2 सितंबर तक टाल दिया है। इसके पहले वे एनडीए में सीटों का मामला सुलझा लेना चाहते हैं।

सूत्रों के अनुसार ‘हम’ को बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए में 12 से 15 सीटें मिल सकती हैं। इनमें अधिकांश सीटें मगध प्रमंडल की हैं। मांझी के सामने दो प्रस्‍ताव हैं। या तो वे एनडीए के घटक दल बनें या जदयू में उनकी पार्टी का विलय कर विधानसभा चुनाव में उनके उम्मीदवारों को समायोजित किया जाए। अगर मांझी एनडीए कर घटक बनने का फैसला करते हैं तो उनका दल जदयू, भाजपा व लोजपा के साथ चौथा घटक होगा। सूत्र बताते हैं कि सितंबर के पहले सप्ताह में ‘हम’ को एनडीए में शामिल करने की घोषणा की जा सकती है । इसके पहले मांझी इसका औपचारिक एलान करेंगे।

तीन दशक से कभी ठहरी नहीं मांझी की राजनीति

तीन दशक के दौरान जीतनराम मांझी की राजनीति कभी ठहर कर नहीं रही है। वे कभी कांग्रेस, कभी राष्‍ट्रीय जनता दल तो कभी जदयू के सहारे राजनीति में सक्रिय रहे। नीतीश कुमार ने उन्‍हें मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन दोनों के रिश्‍तों में खटास आ गई। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में वे एनडीए में थे तो लोकसभा चुनाव आते-आते महागठबंधन में आ गए। अब आगामी विधानसभा चुनाव में वे फिर एनडीए का घटक बनने को तैयार हैं।

 


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