मैंगोमैन अशोक चौधरी: सप्ताह की शख़्सियत
शायर मिर्ज़ा ग़ालिब आम को जुनून की हद तक पसंद करते थे। एकबार वे अपने दोस्तों के साथ आम का लुत्फ़ ले रहे थे कि उधर से एक गधा गुजरा जो रास्ते में पड़े आम को खाए बिना आगे बढ़ गया। मिर्जा ग़ालिब के दोस्तों ने पूछा, मियां आम में ऐसा क्या है जो गधे भी नहीं खाते। हाज़िरजवाब ग़ालिब ने कहा, जो गधे हैं ,वही आम नहीं खाते।
नायाब जायके से भरपूर आम, भारतीय उप महाद्वीप से निकलकर आज दुनिया के ज्यादातर देशों में पसंद किया जाता है। इसी वजह से यह आम तो आम, खास लोगों की भी पसंद बन गया। फलों का राजा आम भारत में स्वाद की वर्षों की यात्रा करते हुए कारोबार तक में ख़ास मुकाम तक पहुंच गया। सीजन आते ही बंबईया, मालदह, चौसा, लंगड़ा, दशहरी, अल्फोंसो, गुलाब खास, जर्दालु, सफेदा, सिपिया, कृष्णभोग जैसे आमों की जैसे बहार आ जाती है। उत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक पसंद किया जाने वाले आम का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है। काफी संख्या में किसान, आम उत्पादन के क्षेत्र में आगे आ रहे हैं। ऐसे ही किसानों में शामिल हैं बिहार के भागलपुर के किसान अशोक चौधरी।
अपने बगान के जर्दालु आम के लिए मशहूर चौधरी ‘मैंगोमैन’ और ‘इनोवेशन चैम्पियन’ के रूप में जाने-जाते हैं। उनके बगान के आम का जायका हर साल देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश सहित दूसरी बड़ी हस्तियां तक पहुंचता रहा है। कोरोना काल में भी अशोक चौधरी इसी सप्ताह तब सुर्खियों में आए, जब उनकी ‘मधुबन नर्सरी’ की सौग़ात की पेटियां बिहार सरकार के मार्फत रेल के जरिये दिल्ली रवाना की गयीं। वर्ष 2007 में शुरू हुआ यह सिलसिला बदस्तूर जारी रहा।
भागलपुर के सुल्तानगंज के तिलकपुर निवासी अशोक चौधरी ने अपने आम को लेकर कई प्रयोग किये जो काफी पसंद किए गए। एक ऐसी ही प्रजाति उन्होंने तैयार की ,जिसे उन्होंने ‘मोदी आम’ का नाम दिया। 2014 में उन्होंने नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर आम की यह प्रजाति तैयार की थी। 2019 में नरेंद्र मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनने पर उन्होंने एक और आम की नस्ल तैयार की जिसे मोदी आम-2 का नाम दिया। इस प्रजाति को उन्होंने गुलाबखास, इरविन और आम्रपाली को क्रॉस कर तैयार किया है।
कोरोना काल में भी अशोक चौधरी ने आम की प्रजाति तैयार करने के अपने प्रयोगों को जारी रखा। जिनमें ‘लॉकडाउन’ नाम की आम की प्रजाति काफी पसंद की गयी। इस नई किस्म को उन्होंने फ्लोरिडा के आम की प्रजाति इरविन और थाईलैंड की आम की प्रजाति को क्रॉस करके तैयार किया है। गोलाकार और बेहद रंगीन आम की इस प्रजाति को उन्होंने कोरोना वॉरियर्स को समर्पित किया है। उन्होंने नवरात्र, भागलपुरी सहित कई दूसरी आम की प्रजातियां तैयार कीं।
अशोक अपने दस एकड़ में फैले नर्सरी में आम की नई-नई प्रजातियां विकसित करने पर निरंतर काम करते हैं। 1992 में पहली बार उन्होंने भागलपुर के मशहूर जर्दालु आम के साथ उन्होंने अपने शौक को अंजाम तक पहुंचाने का सफ़र शुरू किया। किसानश्री से सम्मानित अशोक चौधरी अबतक डेढ़ सौ से अधिक आम की किस्में तैयार कर चुके हैं।