नई दिल्ली, 29 नवम्बर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम की की शुरुआत में देशवासियों के साथ खुशखबरी साझा किया। उन्होंने कहा कि देवी अन्नपूर्णा की एक बहुत पुरानी प्रतिमा, कनाडा से वापस भारत आ रही है। यह प्रतिमा, लगभग, 100 साल पहले, 1913 के करीब, वाराणसी के एक मंदिर से चुराकर, देश से बाहर भेज दी गयी थी। इसके लिए कनाडा की सरकार और इस पुण्य कार्य को सम्भव बनाने वाले सभी लोगों का इस सहृदयता के लिये आभार प्रकट किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि माता अन्नपूर्णा का, काशी से, बहुत ही विशेष संबंध है। अब, उनकी प्रतिमा का, वापस आना, हम सभी के लिए सुखद है। माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा की तरह ही, हमारी विरासत की अनेक अनमोल धरोहरें, अंतरराष्ट्रीय गिरोहों का शिकार होती रही हैं। ये गिरोह, अंतरराष्ट्रीय बाजार में, इन्हें, बहुत ऊंची कीमत पर बेचते हैं। अब, इन पर, सख्ती तो लगायी ही जा रही है, इनकी वापसी के लिए, भारत ने अपने प्रयास भी बढ़ायें हैं। ऐसी कोशिशों की वजह से बीते कुछ वर्षों में, भारत, कई प्रतिमाओं, और, कलाकृतियों को वापस लाने में सफल रहा है।
अजंता-एलोरा की गुफाओं को नॉर्वे ने अपने आर्काइव में किया शामिल-
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि नॉर्वे के उत्तर में स्वालबार्ड नाम का एक द्वीप है। इस द्वीप में एक प्रोजेक्ट आर्कटिक वर्ल्ड आर्काइव बनाया गया है। इस आर्काइव में बहुमूल्य हेरिटेज डेटा को इस प्रकार से रखा गया है, कि किसी भी प्रकार के प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदाओं से प्रभावित ना हो सकें। इस आर्काइव में अजन्ता गुफाओं की धरोहर को भी डिजीटाइज करके इस प्रोजक्ट में संजोया जा रहा है। इसमें अजन्ता गुफाओं की पूरी झलक देखने को मिलेगी। इसमें, डिजीटलाइज्ड और रिस्टोर्ड पेंटिंग के साथ-साथ इससे सम्बंधित दस्तावेज़ और कोट्स भी शामिल होंगे।
चेरी ब्लॉज्म ने मेघालय की खूबसूरती को बढ़ाया
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सर्दियों के मौसम में कदम रख रहे हैं। हमें प्रकृति के अलग-अलग रंग देखने को मिलेंगे। पिछले कुछ दिनों से चेरी ब्लॉज्म फूलों की तस्वीरे वायरल हो रही हैं। चेरी ब्लॉज्म अब सिर्फ जापान की इस प्रसिद्ध ही नहीं रहा अपने मेघालय के शिलांग की खूबसूरती को भी इन चेरी ब्लॉज्म ने और बढ़ा दिया है। 12 नवम्बर से डॉक्टर सलीम अली जी का 125वां जयंती समारोह शुरू हुआ है।
डॉक्टर सलीम ने पक्षियों की दुनिया में उल्लेखनीय कार्य किया है। दुनिया के बर्ड वॉचर को भारत के प्रति आकर्षित भी किया है। बहुत धैर्य के साथ, बर्ड वॉचर, घंटों तक, सुबह से शाम तक, पक्षियों को देखते रह सकते हैं। प्रकृति के अनूठे नजारों का लुत्फ़ उठा सकते हैं और अपने ज्ञान को हम लोगों तक भी पहुंचाते रहते हैं। भारत में भी बहुत-सी बर्ड वॉचिंग सोसाइटी सक्रिय हैं। पिछले दिनों केवड़िया में, पक्षियों के साथ, समय बिताने का बहुत ही यादगार अवसर मिला। पक्षियों के साथ बिताया हुआ समय, आपको, प्रकृति से भी जोड़ेगा और पर्यावरण के लिए भी प्रेरणा देगा।
सोमवार को श्री गुरु नानक देव जी का मनाया जाएगा 551वां प्रकाश पर्व
प्रधानमंत्री ने कहा कि सोमवार 30 नवम्बर को श्री गुरु नानक देव जी का 551वां प्रकाश पर्व मनाया जाएगा। पूरी दुनिया में गुरु नानक देव जी का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। वैंकूवर से विलिंगटन तक, सिंगापुर से दक्षिण अफ्रिका तक, उनके संदेश हर तरफ सुनाई देते हैं। गुरुग्रन्थ साहिब में कहा गया है “सेवक को सेवा बन आई”, यानि सेवक का काम, सेवा करना है । बीते कुछ वर्षों में कई अहम पड़ाव आये और एक सेवक के तौर पर हमें बहुत कुछ करने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि कच्छ में एक गुरुद्वारा है, लखपत गुरुद्वारा साहिब। श्री गुरु नानक जी अपने उदासी के दौरान लखपत गुरुद्वारा साहिब में रुके थे।
वर्ष 2001 के भूकंप से इस गुरुद्वारे को भी नुकसान पहुंचा था। यह गुरु साहिब की कृपा ही थी कि मैं इसका जीर्णोद्धार सुनिश्चित कर पाया। ना केवल गुरुद्वारा की मरम्मत की गई बल्कि उसके गौरव और भव्यता को भी फिर से स्थापित किया गया। हम सब को गुरु साहिब का भरपूर आशीर्वाद भी मिला। लखपत गुरुद्वारा के संरक्षण के प्रयासों को 2004 में यूनेस्को एशिया पैसिफिक हेरिटेज अवार्ड में विशेष अवार्ड दिया गया। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष नवम्बर में ही करतारपुर साहिब कॉरिडोर का खुलना बहुत ही ऐतिहासिक रहा। इस बात को मैं जीवनभर अपने हृदय में संजो कर रखूँगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गुरु नानक देव जी ने लंगर की परंपरा शुरू की थी और आज हमने देखा कि दुनिया-भर में सिख समुदाय ने किस प्रकार कोरोना के इस समय में लोगों को खाना खिलाने की अपनी परंपरा को जारी रखा है, मानवता की सेवा की। ये परंपरा, हम सभी के लिए निरंतर प्रेरणा का काम करती है। मेरी कामना है, हम सभी, सेवक की तरह काम करते रहे। गुरु साहिब मुझसे और देशवासियों से इसी प्रकार सेवा लेते रहें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दिनों वे कई विश्वविद्यालयों के कार्यक्रमों में शामिल हुए, वहां युवाओं से जुड़ने का मौका मिला। देश के युवाओं के बीच होना बेहद तरो-ताजा करने वाला और ऊर्जा से भरने वाला होता है । विश्वविद्यालय के परिसर तो एक तरह से मिनी इंडिया की तरह होते हैं। एक तरफ़ जहाँ इन कैंपस में भारत की विविधता के दर्शन होते हैं, वहीँ, दूसरी तरफ़, वहां न्यू इंडिया के लिए बड़े-बड़े बदलाव का पैशन भी दिखाई देता है। उन्होंने कोरोना से पहले के दिनों को याद करते हुए बताया कि में पहले इस तरह के किसी भी इवेंट में आस-पास के स्कूलों से गरीब बच्चों को भी उस समारोह में आमंत्रित किया जाता था। वो बच्चे, उस समारोह में, मेरे विशेष गेस्ट बनकर आते रहे हैं। एक छोटा सा बच्चा उस भव्य समारोह में किसी युवा को डॉक्टर, इंजीनियर, साइंटिस्ट बनते देखता है, किसी को मेडल लेते हुए देखता है, तो उसमें, नए सपने जगते है – मैं भी कर सकता हूँ, यह आत्मविश्वास जगता है। इसी तरह एल्युमिनाई भी पुराने दोस्तों से मिलने का मौका लेकर आता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 05 दिसम्बर को श्री अरबिंदो की पुण्यतिथि है। श्री अरबिंदो को हम जितना पढ़ते हैं, उतनी ही गहराई, हमें, मिलती जाती है। मेरे युवा साथी श्री अरबिंदो को जितना जानेंगें, उतना ही अपने आप को जानेंगें, खुद को समृद्ध करेंगें। जीवन की जिस भाव अवस्था में आप हैं, जिन संकल्पों को सिद्ध करने के लिए आप प्रयासरत हैं, उनके बीच, आप, हमेशा से ही श्री अरबिंदो को एक नई प्रेरणा देते पाएंगें, एक नया रास्ता दिखाते हुए पाएंगें। जैसे, आज, जब हम, ‘लोकल के लिए वोकल’ इस अभियान के साथ आगे बढ़ रहे हैं तो श्री अरबिंदो का स्वदेशी का दर्शन हमें राह दिखाता है।
स्वदेशी को दें प्राथमिकता
स्वदेशी का अर्थ है कि हम अपने भारतीय कामगारों, कारीगरों की बनाई हुई चीजों को प्राथमिकता दें। ऐसा भी नहीं कि श्री अरबिंदो ने विदेशों से कुछ सीखने का भी कभी विरोध किया हो। जहां जो नया है वहां से हम सीखें जो हमारे देश में अच्छा हो सकता है उसका हम सहयोग और प्रोत्साहन करें, यही तो आत्मनिर्भर भारत अभियान में, वोकल फार लोकल मन्त्र की भी भावना है। इसी तरह शिक्षा को लेकर भी श्री अरबिंदो के विचार बहुत स्पष्ट थे। वो शिक्षा को केवल किताबी ज्ञान, डिग्री और नौकरी तक ही सीमित नहीं मानते थे। श्री अरबिंदो कहते थे हमारी राष्ट्रीय शिक्षा, हमारी युवा पीढ़ी के दिल और दिमाग की ट्रेनिंग होनी चाहिये।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कि बरसों से किसानों की जो माँग थी, जिन मांगों को पूरा करने के लिए किसी न किसी समय में हर राजनीतिक दल ने उनसे वादा किया था, वो मांगे पूरी हुई हैं। काफ़ी विचार विमर्श के बाद भारत की संसद ने कृषि सुधारों को कानूनी स्वरूप दिया। इन सुधारों से न सिर्फ किसानों के अनेक बन्धन समाप्त हुये हैं , बल्कि उन्हें नये अधिकार भी मिले हैं, नये अवसर भी मिले हैं। इन अधिकारों ने बहुत ही कम समय में, किसानों की परेशानियों को कम करना शुरू कर दिया है।
महाराष्ट्र के किसान को नए कानून से मिला लाभ
महाराष्ट्र के धुले ज़िले के किसान जितेन्द्र भाेइजी ने नये कृषि कानूनों का इस्तेमाल कैसे किया, ये आपको भी जानना चाहिये। जितेन्द्र भोइजी ने मक्के की खेती की थी और सही दामों के लिए उसे व्यापारियों को बेचना तय किया। फसल की कुल कीमत तय हुई करीब तीन लाख बत्तीस हज़ार रुपये। जितेन्द्र भाेइजी को पच्चीस हज़ार रूपये एडवांस भी मिल गए थे। तय ये हुआ था कि बाकी का पैसा उन्हें पन्द्रह दिन में चुका दिया जायेगा। लेकिन बाद में परिस्थितियां ऐसी बनी कि उन्हें बाकी का पेमेन्ट नहीं मिला। किसान से फसल खरीद लो, महीनों – महीनों पेमेन्ट न करो, संभवतः मक्का खरीदने वाले बरसों से चली आ रही उसी परंपरा को निभा रहे थे। इसी तरह चार महीने तक जितेन्द्र जी का पेमेन्ट नहीं हुआ। इस स्थिति में उनकी मदद की सितम्बर में जो नए कृषि क़ानून बने हैं , वो उनके काम आये। इस क़ानून में ये तय किया गया है कि फसल खरीदने के तीन दिन में ही, किसान को पूरा पेमेन्ट करना पड़ता है और अगर पेमेन्ट नहीं होता है तो किसान शिकायत दर्ज कर सकता है।
एक महीने में करना होगा किसान की शिकायत का निपटारा
प्रधानमंत्री ने बताया कि कानून में एक और बहुत बड़ी बात है। इस क़ानून में ये प्रावधान किया गया है कि क्षेत्र के एसडीएम को एक महीने के भीतर ही किसान की शिकायत का निपटारा करना होगा। अब जब ऐसे कानून की ताकत हमारे किसान भाई के पास थी तो उनकी समस्या का समाधान तो होना ही था। उन्होंने शिकायत की और चंद ही दिन में उनका बकाया चुका दिया गया। यानि कि कानून की सही और पूरी जानकारी ही जितेन्द्र जी की ताकत बनी। क्षेत्र कोई भी हो, हर तरह के भ्रम और अफवाहों से दूर, सही जानकारी, हर व्यक्ति के लिए बहुत बड़ा सम्बल होती है। किसानों में जागरुकता बढ़ाने का ऐसा ही एक काम कर रहे हैं, राजस्थान के बारां जिले में रहने वाले मोहम्मद असलम जी। किसान उत्पादक संघ के सीईओ मोहम्मद असलम जी ने अपने क्षेत्र के अनेकों किसानों को मिलाकर एक वॉट्स एप ग्रुप बना लिया है। इस ग्रुप पर वो हर रोज़, आस-पास की मंडियों में क्या भाव चल रहा है, इसकी जानकारी किसानों को देते हैं। खुद उनका एफपीओ भी किसानों से फ़सल खरीदता है, इसलिए उनके इस प्रयास से किसानों को निर्णय लेने में मदद मिलती है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि करीब-करीब एक साल हो रहे हैं, जब दुनिया को कोरोना के पहले मामले के बारे में पता चला था। तब से लेकर अब तक पूरे विश्व ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। लॉकडाउन के दौर से बाहर निकलकर अब वैक्सीन पर चर्चा होने लगी है । लेकिन कोरोना को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही अब भी बहुत घातक है। हमें कोरोना के ख़िलाफ़ अपनी लड़ाई को मज़बूती से जारी रखना है।