होगी जांच-ममता ने कहा- बार-बार आदेशों के बावजूद बांध कमजोर क्यों बनें,
कोलकाता, 02 जून (हि. स.)। चक्रवात यास के बाद दीघा व अन्य समुद्र तटीय क्षेत्रों में यास चक्रवात से बांध टूटने को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने अपने पूर्ववर्ती कैबिनेट के सिंचाई विभाग पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि तटीय क्षेत्रों में मजबूत बांध बनाने के लिए कई बार वित्तीय आवंटन हुआ। मैंग्रोव के पेड़ लगाने के लिए लगातार अनुदान मिले लेकिन कोई काम नहीं किया गया। अब इसकी जांच की जाएगी।
बुधवार को प्रेस वार्ता करके मुख्यमंत्री ने कहा कि चक्रवाती तूफ़ान यास के चलते राज्य में 134 बांध टूट गए हैं।उन्होंने सार्वजनिक रूप से सिंचाई विभाग के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि हर साल बांध की मरम्मत की जा रही है लेकिन यह टूट रहा है। लाखों रुपये खर्च कर भी यह पानी में जा रहा है। इसके पहले शासन में राजीव बनर्जी परिवहन मंत्री थे जो अब भाजपा में आ चुके हैं। मुख्यमंत्री ने इस बारे में जांच का आदेश देते हुए तीन दिनों में रिपोर्ट भी मांगी है। यास के बाद ममता बनर्जी ने सिंचाई विभाग के साथ-साथ पर्यावरण और वन विभाग के काम पर भी सवाल उठाए। गौर हो कि वर्तमान भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी पहले पर्यावरण मंत्री ही थे। ममता ने तूफ़ान अम्फान के बाद लगाए गए पांच करोड़ मैंग्रोव को लेकर सवाल उठाया और पूछा कि आखिर सारे मैंग्रोव कहां गए?
ममता ने कहा कि आने वाले दिनों में चक्रवात से निपटने के लिए 15 करोड़ मैंग्रोव लगाए जाएंगे। इसमें से पांच करोड़ सुंदरबन में, पांच करोड़ उत्तर 24 परगना में और शेष पांच करोड़ पूर्वी मिदनापुर में लगाए जाएंगे। ममता बनर्जी ने वन विभाग से तीन दिन के भीतर टूटे पेड़ के बारे में रिपोर्ट मांगी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने पिछले 10 साल से दीघा को सजाया था। वह चक्रवात से तबाह हो गया है। ममता बनर्जी ने इसके लिए लापरवाही का आरोप लगाया। खास बात यह है कि शुभेंदु इसी क्षेत्र के निवासी हैं।
मुख्यमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि दीघा के सौंदर्यीकरण का आधार गलत था। उन्होंने मंदारमणि में होटल को हुए नुकसान के लिए अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया। इस बीच 11 जून से 26 जून के बीच लहरों के ज्वार की आशंका है। ममता ने एहतियात बरतने का आदेश दिया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि हर साल चक्रवात आ रहे हैं, बांध टूट रहे हैं। हमें विशेषज्ञों की राय से व्यवस्था करनी होगी। ठेकेदारों को कम से कम 10 साल के लिए जिम्मेदार होना होगा।