कोलकाता, 26 अगस्त (हि.स.)। नरेंद्र मोदी सरकार की पहली पारी के दौरान केंद्र सरकार की बैठकों का बहिष्कार करने वाली मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दूसरी पारी में भी अपना रुख कायम रखा है।
केंद्र में नई सरकार बनने के बाद पहली बार गृह मंत्री के तौर पर अमित शाह ने 10 राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई है। दिल्ली में यह बैठक होनी है। ये वे राज्य हैं जहां नक्सलवाद प्रभावी रहा है। इन राज्यों में पश्चिम बंगाल, झारखंड, आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश शामिल है। अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने तो अमित शाह के बुलावे पर बैठक में शामिल होने की सहमति दी थी लेकिन ममता बनर्जी ने गृह मंत्री की इस पहली बैठक का बहिष्कार किया है।
राज्य सरकार की ओर से गृह विभाग के प्रतिनिधि को भेजा जाएगा लेकिन खुद मुख्यमंत्री नहीं जाएंगी। खबर है कि ममता ने स्पष्ट किया है कि पश्चिम बंगाल अब और अधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्र नहीं रह गया है। इसलिए इस बैठक में शामिल होने का कोई औचित्य नहीं रहता है। हालांकि केंद्रीय खुफिया विभाग के सूत्रों का दावा है कि पश्चिम बंगाल के जंगली क्षेत्रों में माओवाद एक बार फिर नए सिरे से पनप रहा है। राज्य सरकार के गृह विभाग को इस बारे में आधिकारिक जानकारी दी गई है। इस पर राज्य सरकार ने कार्रवाई भी की है और नक्सलवाद वाले क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई गई है।
केंद्रीय गृह विभाग के अधिकारियों का दावा है कि अगर पश्चिम बंगाल नक्सलवाद के प्रभाव में नहीं है तो चुनाव के समय जब उन क्षेत्रों से केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) को हटाया जा रहा था। तब ममता सरकार ने लिखित तौर पर ऐसा क्यों कहा कि वह क्षेत्र नक्सल प्रभावित है और वहां से सुरक्षा एजेंसियों को नहीं हटाया जाना चाहिए? तृणमूल सूत्रों के हवाले से बताया है कि लोकसभा चुनाव के दौरान जिस तल्खी से अमित शाह ने ममता बनर्जी पर हमला किया था उसे देखते हुए ही मुख्यमंत्री ने गृहमंत्री की पहली बैठक का बहिष्कार किया है। दरअसल गृह विभाग ने अपनी चिट्ठी में स्पष्ट किया है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नक्सली सुरक्षा एजेंसियों की गतिविधियों की जानकारी के लिए बच्चों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जंगली क्षेत्रों के आस-पास के गांव में रहने वाले युवाओं और बच्चों को नक्सली अपना सामान ढोने, खाना बनवाने और तमाम अन्य सुविधाओं के अनुसार इस्तेमाल करते हैं। उनकी बातें नहीं मानने पर हत्या की धमकी देते हैं। इससे बचाव के लिए इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ गृहमंत्री ने बैठक बुलाई है ।लेकिन एक बार फिर ममता बनर्जी ने राजनीतिक पूर्वाग्रह की वजह से इस बैठक का बहिष्कार किया है। एक तरफ जहां दिल्ली में 10 राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक होगी वहीं दूसरी तरफ ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल के बर्दवान में 40 परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगी।