न्यूयॉर्क/नई दिल्ली, 25 सितम्बर (हि.स.)। आज लोकतंत्र की परिभाषा का एक सीमित अर्थ रह गया है कि जनता अपनी पसंद की सरकार चुने और सरकार जनता की अपेक्षा के अनुसार काम करे, लेकिन महात्मा गांधी ने लोकतंत्र की असली शक्ति पर बल दिया। उन्होंने एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था की कल्पना की थी जिसमें आम आदमी केवल सरकार पर ही निर्भर न हो बल्कि स्वावलंबी बनें। महात्मा गांधी सिर्फ परिवर्तन नहीं लाए बल्कि लोगों की आंतरिक शक्ति को जगाकर उन्हें स्वयं परिवर्तन लाने के लिए जागृत किया।
यह बातें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में ‘आज के युग में महात्मा गांधी की प्रासंगिकता’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम में कही। अपने संबोधन में मोदी ने कहा, ‘गांधी जी भारतीय थे लेकिन सिर्फ भारत के नहीं थे। आज ये मंच इसका जीवंत उदाहरण है। हम कल्पना कर सकते हैं कि जिनसे गांधी जी कभी मिले नहीं, वो भी उनके जीवन से कितना प्रभावित रहे। मार्टिन लूथर किंग जूनियर हों या नेल्सन मंडेला उनके विचारों का आधार महात्मा गांधी थे, गांधी जी का विजन था।’
पीएम मोदी ने कहा कि अगर आजादी के संघर्ष की जिम्मेदारी गांधी जी पर न होती तो भी वो स्वराज और स्वावलंबन के मूल तत्व को लेकर आगे बढ़ते। गांधी जी का ये विजन आज भारत के सामने खड़ी चुनौतियों के समाधान का बड़ा माध्यम बन रहा है। बीते पांच वर्षों में हमने जनभागीदारी को प्राथमिकता दी है। चाहे स्वच्छ भारत अभियान हो, डिजिटल इंडिया हो, जनता अब इन अभियानों का नेतृत्व खुद कर रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गांधी जी ने कभी अपने जीवन से प्रभाव पैदा करने का प्रयास नहीं किया लेकिन उनका जीवन ही प्रेरणा का कारण बन गया। आज हम ‘हाउ टू इम्प्रेस’ के दौर में जी रहे हैं लेकिन गांधी जी का विजन ‘हाउ टू इन्सपायर’ का था। चाहे क्लाइमेट चेंज हो या फिर आतंकवाद, भ्रष्टाचार हो या फिर स्वार्थपरक सामाजिक जीवन, गांधी जी के ये सिद्धांत, हमें मानवता की रक्षा करने के लिए मार्गदर्शक की तरह काम करते हैं। पीएम मोदी ने भरोसा जताया कि गांधी जी का दिखाया रास्ता बेहतर विश्व के निर्माण में प्रेरक सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि जब तक मानवता के साथ गांधी जी के विचारों का ये प्रवाह बना रहेगा, तब तक गांधी जी की प्रेरणा और प्रासंगिकता भी हमारे बीच बनी रहेगी।