सोनीपत, 20 जून। कृषि कानूनों के विरोध में सिंघु बार्डर पर बैठे किसानों का विरोध शुरू हो गया है। रविवार को पचास गांवों के जनप्रतिनिधियों की महापंचायत ने केंद्र व राज्य सरकार से आहवान किया है कि वह दस दिन के भीतर किसानों को यहां से उठाए। वर्ना ग्रामीण अपने स्तर पर कार्रवाई करने के लिए मजबूर होंगे।
राष्ट्रवादी परिवर्तन मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष हेमंत नांदल ने रविवार को हुई महापंचायत में कहा कि किसान आंदोलन के कारण हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। अगर दस दिन के अंदर समस्या का समाधान नहीं निकलता है तो हरियाणा व दिल्ली के आसपास के तमाम गांव के लोगों से बातचीत करके एक महापंचायत करेंगे। वे कुंडली और राई के आसपास के 50 गांवों की हुई महापंचायत को सेरसा गांव में संबोधित कर रहे थे।
उन्हाेंने कहा कि क्षेत्र के लोग भुखमरी और बेरोजगारी से मर रहे हैं। व्यापारी पलायन कर रहे हैं और व्यापार बंद हो चुका है। नौजवान साथियों ने एकजुटता का परिचय दिया। हमारे अधिकारों का हनन हो रहा है, उसकी आवाज उठाते हुए आगे अपना कार्य करें पंचायत के मौजूद व्यक्तियों के साथ में बातचीत करके फैसले लिए गये हैं। अब एक प्रतिनिधि मंडल का गठन करेंगे, जो प्रदेश सरकार व केंद्र सरकार से बातचीत करेंगे। उस वार्ता में उनसे सवाल भी पूछेंगे कि आप हमारे प्रतिनिधि हैं। पिछले सात महीने से हम बहुत दुखी हैं।
जो सरकार हमने चुनकर भेजी है, वह इस समस्या को देखे। साथ साथ संयुक्त किसान मोर्चा से भी अपील करते हैं कि जैसे हमने भाईचारे का परिचय देते हुए आपको जगह दी। आप लोगों को हर तरह की सुविधाएं दी। आप भी अपने भाईचारे का परिचय दीजिए। रास्ता खेलिये। अगर समाधान नहीं हुआ तो हरियाणा व दिल्ली के आस पास से जन समर्थन भी जुटाने का काम हमारी पंचायतें करेंगे।
उन्हाेंने कहा कि हर हालत में सिंघु का रास्ता लेकर रहेंगे। हर चीज की समय सीमा होती है। बहुत बर्दाश्त कर लिया। हम किसान व आंदोलन का विरोध नहीं करते। इस महापंचायत में अध्यक्ष ओम सिंह चौहान, ताहर सिंह प्रदेश उपाध्यक्ष भारतीय किसान संघ, रामफल सरोहा, दीपक अटेरना, चरण सिंह चौहान, जसबीर सरपंच जाटी, मोनू सेरसा आदि शामिल रहे।