वापस लाना है तमिलनाडु का खोया गौरव: एमके. स्टालिन
नई दिल्ली, 19 मार्च (हि.स)। हम राज्य की सभी 234 सीटें जीतने वाले हैं। हमने अगले 10 साल का विजन जारी किया है, जिसमें तमिलनाडु के खोये हुए गौरव को वापस लाना शामिल किया गया है। द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) अध्यक्ष एम के स्टालिन ने यह बात कही।
खास बातचीत में एमके. स्टालिन ने कहा, “हमारे घोषणा पत्र को अगर आप देखेंगे तो पता चलेगा कि हम राज्य में फैले भ्रष्टाचार और सीएए कानून का विरोध कर रहे हैं। हमने जनता से 503 वादे किए हैं, जिसे लोगों ने अपनाया है।”
आगे उन्होंने कहा कि द्रमुक भारी बहुमत से चुनाव जीतने वाली है। हम सभी 234 सीटें जीतने वाले हैं। हमने अगले 10 साल के लिए विजन जारी किया है, जिसमें ‘स्टालिन के सात आश्वासन’ और तमिलनाडु के खोए हुए गौरव को वापस लाना भी शामिल है।
एक सवाल के जवाब में स्टालिन ने कहा कि ‘पिछले 10 सालों में ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) की सरकार हर मोर्चे पर विफल साबित हुई है। चाहे वह औद्योगिक विकास की बात हो या फिर राज्य में होने वाले निवेश।’ उन्होंने कहा कि राज्य का आर्थिक विकास पूरी तरह पटरी से उतर गया है। इस सरकार का उद्देश्य सिर्फ दलाली, जमाखोरी और भ्रष्टाचार है।
बातचीत के क्रम में स्टालिन ने कहा कि ‘मौजूदा सरकार को अपने 10 सालों के कामकाज को लेकर आगे आना चाहिए, लेकिन वे फिर से नए चुनावी घोषणाओं के साथ चुनाव मैदान में हैं।’ महंगाई की तरफ ध्यान दिलाते हुए उन्होंने कहा कि कोरोना काल में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को कम करने में सरकार विफल रही। बीते 10 सालों में दूध की कीमतों में 20 रुपये से अधिक की वृद्धि हुई है। अब दो रुपये घटाने का वायदा किया जा रहा है।
महिलाओं का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा कि हम मानते हैं कि राज्य के विकास में महिलाओं को सबसे आगे होना चाहिए। द्रमुक ऐसी पार्टी है, जो हमेशा से महिलाओं के अधिकार और सम्मान की बात करती है। 30 प्रतिशत सरकारी नौकरियों में आरक्षण, स्थानीय निकायों में 33 प्रतिशत आरक्षण और महिलाओं को समान संपत्ति का अधिकार केवल द्रमुक द्वारा दिया गया है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनना जरूरी है, इसलिए हमने पहले सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाए और अब महिलाओं को आश्वस्त करते हैं कि महिला प्रधान घरों में प्रति माह 1000 रुपये दिए जाएंगे।
राज्य की मौजूदा सरकार को आड़े हाथ लेते हुए स्टालिन ने कहा कि वर्तमान सरकार में महिलाओं के खिलाफ अपराध में बढ़ोतरी हुई है। सरकार अपनी ही महिला आईपीएस अधिकारी को न्याय नहीं दिला पा रही है। महिलाओं का भरोसा अन्नाद्रमुक से उठ चुका है।