गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम (संशोधन) विधेयक 2019 लोकसभा में पारित

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गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम (संशोधन) विधेयक 2019 पर चर्चा का जवाब देते हुए केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि दुनियाभर के देशों में व्यक्तियों काे आतंकी घोषित करने के कानून हैं।



नई दिल्ली, 24 जुलाई (हि.स.)। लोकसभा ने बुधवार को देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने वाले व्यक्तियों को आतंकी  घोषित करने से जुड़े संशोधन विधेयक को मतविभाजन के बाद पारित कर दिया।

गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम (संशोधन) विधेयक 2019 पर चर्चा का जवाब देते हुए केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि दुनियाभर के देशों में व्यक्तियों काे आतंकी घोषित करने के कानून हैं। इसके अभाव के चलते यासीन भटकल जैसे आतंकी बचकर निकल गए और बाद में बम धमाकों के कारण बने। हमें किसी व्यक्ति को अलग-अलग संगठन बनाकर कानून के दायरे से निकल जाने का रास्ता नहीं देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कानून को किसी भी दुरपयोग से बचाने के लिए विधेयक में पर्याप्त प्रावधान किए गए हैं।

शाह ने कहा कि गैर कानूनी गतिविधियों को रोकने के लिए कांग्रेस की सरकार ही कानून लाई थी। उसने ही इसमें 2004  और 2008 में बदलाव किये। हमारी सरकार केवल इस कानून में संशोधन लाई है। उनकी पार्टी भाजपा विपक्ष में रहते हुए भी सख्त कानून की पक्षधर थी और सरकार में आने के बाद भी इसके पक्ष में है।

विपक्ष के निर्दोष लोगों के कानून के तहत गिरफ्तारी के आरोपों का जवाब देते हुए गृहमंत्री ने कहा कि कानून के तहत कुछ मामलों में ऐसी संभावनाएं बनी रहती हैं और ऐसे ही लोगों को निर्दोष साबित होने पर रिहा करने के लिए न्याय व्यवस्था बनी है। केवल इस कानून में ही नहीं पूरी सीआरपीसी में इस बात की संभावना है।

निजी कंप्यूटर तक पहुंच बनाने की क्षमता से जुड़े सवाल पर शाह ने कहा कि यह प्रावधान केवल आतंकियों के लिए है। देश की एकता-अखंडता के खिलाफ काम करने वालों के कंप्यूटर में जांच एजेंसी को घुसने का अधिकार मिलना चाहिए। यही काम करने के लिए एजेंसियां बनी हैं।

एनसीपी नेता सुप्रिया सुले द्वारा सामाजिक कार्यकर्ताओं को इसकी जद में लाने के सवाल के जवाब में गृहमंत्री ने कहा कि समाजिक कार्यों के नाम पर माओवादी गतिविधियों को मदद करने वालों के खिलाफ सरकार सख्ती जारी रखेगी। वैचारिक आंदोलन के नाम पर शहरी नक्सलवाद फैलाने वालों पर सरकार कोई दया नहीं करेगी।

उन्होंने विपक्ष की चिंताओं का उत्तर देते हुए कहा कि विधेयक में अरोपी को स्वयं को निर्दोष साबित करने का कोई बोझ नहीं डाला गया है। जांच एजेंसियों को ही व्यक्ति को अपराधी साबित करना होगा। इसके अलावा गिरफ्तारी के 24 घंटे के अंदर व्यक्ति को कोर्ट के सामने पेश करने के प्रावधान में भी कोई बदलाव नहीं है। हालांकि इसमें रिमांड के समय को 14 दिन से बढ़ाकर 30 दिन किया गया है।

गृहमंत्री के चर्चा का जवाब देने के बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने विधेयक को आगे जांच के लिए प्रवर समिति को भेजे जाने का आग्रह किया। इसके बाद विपक्ष में शामिल ज्यादातर पार्टियों ने वाकआउट किया। उन्होंने कहा कि समय की आवश्यकता को देखते हुए विधेयक का जल्द पास होना जरूरी है।

विधेयक को लोकसभा में केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री जी कृष्ण रेड्डी ने पेश किया। इस पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, आरएसपी नेता एनके प्रेमचन्द्रन, एआईएमआईएम नेता असद्दुदीन ओवैसी और अन्य नेताओं ने भाग लिया। विधेयक को पारित करते समय ओवैसी को और से मतविभाजन की मांग की गई। इसके बाद विधेयक के संबंध में हुई वोटिंग में पक्ष की ओर 287 और विपक्ष की ओर 8 वोट पड़े।

 


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