आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर लोकसभा में हंगामा

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नई दिल्ली, 10 फरवरी (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सरकारी नौकरियों में आरक्षण मौलिक अधिकार नही, के फैसले पर लोकसभा में सोमवार को जमकर हंगामा हुआ। विपक्षी दल कांग्रेस और सत्तापक्ष की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने इस मुद्दे को जोर शोर से उठाया। इस दौरान कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने सरकार पर मनुवादी विचारधारा फैलाने का आरोप लगाया।
सदन में शून्यकाल की कार्यवाही के दौरान कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने इस मामले को उठाते हुए कहा कि कहा कि केंद्र सरकार देश में ‘मुनवादी’ विचार देश लागू करना चाहती है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रवाद की बात करने वाली केन्द्र सरकार अनुसूचित जाति-जनजाति से जुड़े मुद्दों पर ध्यान नहीं दे रही है।
वहीं, लोजपा के चिराग पासवान ने भी इस मामले पर अपनी बात रखते हुए कहा कि आरक्षण कोई खैरात नही है, अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी), अनुसूचित जाति- जनजाति (एससी-एसटी) का संवैधानिक अधिकार है। उन्होंने आरक्षण को संविधान की नौंवी अनुसूची में शामिल करने की मांग करते हुए कहा कि उनकी पार्टी की सरकार ने पहले भी एससी-एसटी कानून के प्रावधानों में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से आए बदलाव को अध्यादेश के माध्यम से बदला है।
द्रमुक नेता डी राजा ने कहा कि सत्ता पक्ष की जब से केन्द्र में सरकार आई है तब से देश में एससी-एसटी लोगों के साथ भेदभाव हो रहा है। इसका संसदीय कार्यराज्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने विरोध किया। द्रमुक नेता के बयान के बाद कांग्रेस सहित विपक्ष के नेता सदन के बीचो-बीच आकर नारेबाजी करने लगे। अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल ने कहा कि उनकी पार्टी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध करती है। उनका मानना है कि न्यायपालिका में भी आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए ताकि आरक्षण जैसे संवेदनशील मुद्दों पर इस तरह के फैसले नहीं आए।
इस पर सदन में मौजूद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सरकार की ओर से सदन को आश्वस्त करते हुए कहा कि इस बारे में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत पूरी स्थिति स्पष्ट करेंगे।

 


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