नई दिल्ली, 25 जून (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की जंग जारी रहेगी, लेकिन किसे जेल भेजा जाए और किसे जमानत मिले, यह तय तय करने का काम न्यायपालिका का है। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र है, आपातकाल नहीं कि किसी को भी जेल में डाल दिया जाए।
मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए मंगलवार को कहा कि उनकी सरकार बदले की भावना से काम नहीं करती। कांग्रेस नेताओं के खिलाफ चल रहे अनिमितताओं के मामले की ओर संकेत करते हुए मोदी ने कहा, ‘हमें इसलिए कोसा जा रहा कि हमने फलाने को जेल में क्यों नहीं डाला? ये इमरजेंसी नहीं है कि किसी को भी जेल में डाल दिया जाए। यह लोकतंत्र है। यह काम न्यायपालिका का है। हम कानून से चलने वाले लोग हैं और यदि किसी को जमानत मिलती है तो वह इसका आनंद उठाए। हम बदले की भावना से काम नहीं करेंगे।’ उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी लड़ाई पूरी ईमानदारी और ताकत से जारी रहेगी। देश में भ्रष्टाचार के लिए कोई स्थान नहीं है।
संसद के संयुक्त अधिवेशन में राष्ट्रपति के अभिभाषण के बारे में रखे गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर दो दिन तक चली चर्चा का मोदी ने विस्तार से उत्तर दिया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में जनता ने उन्हें इस आधार पर जनादेश दिया था कि वह तत्कालीन बुरे हालात से निजात पाने के लिए एक प्रयोग करना चाहती थी। वर्ष 2019 का जनादेश जनता ने उनकी सरकार के कामकाज को जांच परखने के बाद दिया है। यह जनादेश पहले से भी अधिक स्पष्ट और मजबूत है।
लंबे समय बाद लोकसभा में यह स्थिति देखने को मिली की प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान किसी तरह का कोई व्यवधान नहीं उत्पन्न हुआ। अध्यक्ष ओम बिरला को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने गरीबों के प्रति अपनी सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि सरकार की जरूरत गरीबों के लिए होती है। आजादी का 70 साल का इतिहास यह बताता है कि गरीबों को अपने अधिकारों को हासिल करने के लिए व्यवस्था और प्रशासन तंत्र से जूझना पड़ता है। उनकी सरकार ने ऐसी नीतियां और दिशा अपनाई है जिससे आम आदमी का जीवन सुगम हो। उन्होंने कहा कि आम आदमी को संपन्न बनाने का काम आसान नहीं है, लेकिन उन्हें इस बात का संतोष है कि वह सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की चर्चा करते हुए मोदी ने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकारों ने मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के दो अवसरों में चूक की है। सन 1950 के दशक में देश में सामान नागरिक संहिता लागू किए जाने को लेकर चर्चा हुई थी, लेकिन तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने कोई काम नहीं किया। उसके 35 वर्ष बाद सुप्रीम कोर्ट ने जब शाहबानो के पक्ष में फैसला दिया तो तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने फिर चूक की। प्रधानमंत्री ने कहा ‘उस समय कांग्रेस के एक नेता ने एक साक्षात्कार में कथित रूप से कहा था कि मुस्लिमों का उत्थान कांग्रेस की जिम्मेदारी नहीं है। यदि वे गटर में पड़े रहना चाहते हैं तो पड़े रहें।’
मोदी ने कहा कि यह कथन उन्होंने चर्चा में सुना है और वह इसके सही या गलत होने का आंकलन नहीं कर सकते। मोदी की इस टिप्पणी को लेकर विपक्ष ने तीखी आपत्ति की और सदन में शोरगुल हुआ।
प्रधानमंत्री ने कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण के दो ऐतिहासिक अवसर गंवाने के बाद तीन तलाक विधेयक के रूप में कांग्रेस के सामने तीसरा अवसर है। कांग्रेस पार्टी को मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए तीन तलाक विरोधी विधेयक का समर्थन करना चाहिए।
मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल के महत्वाकांक्षी एजेंडे का जिक्र करते हुए कविता की यह पंक्ति पढ़ी, ‘जब हौंसला बना लिया ऊंची उड़ान का तो देखना फिजूल है कद आसमान का।’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में वह 132 करोड़ भारतीयों के सपने को साकार करना चाहते हैं। उन्हें छोटा सोचने का अधिकार नहीं है। देश में वीआईपी कल्चर का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि यह वर्षों से चली आ रही है और इसे बदलना आसान नहीं है। लेकिन बिना किसी रुकावट और कटौती के वह इस दिशा में काम जारी रखेंगे।
कांग्रेस नेताओं की ओर इशारा करते हुए मोदी ने कहा ‘आपकी ऊंचाई आपको मुबारक हो। आप इतने ऊंचे होते चले गए कि आपको जमीन दिखनी बंद हो गई। आप इतने ऊंचे हो गए कि जड़ों से उखड़ गए औऱ आपको जमीन के लोग तुच्छ लगने लगे।’ उन्होंने कहा कि वह विरोधियों का कद छोटा करने में भरोसा नहीं रखते। उन्होंने कहा ‘हम दूसरे की लकीर छोटी करने में विश्वास नहीं करते, हम अपनी लकीर लंबी करने के लिए जिंदगी खपा देते हैं।’
उन्होंने सदस्यों को 44 वर्ष पूर्व 1975 में आज ही की तारीख को आपातकाल लगाए जाने की याद दिलाते हुए कहा कि इस दिन को याद रखना इसलिए जरूरी है ताकि कोई ऐसा पाप दोबारा न कर सके। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने आपातकाल लगाने का पाप किया था, वह इससे मुक्त नहीं हो सकते। यह दाग मिटने वाला नहीं है।