आधार से जुड़ा संशोधन विधेयक संसद में पेश

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सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि आधार वैध कानून है, यह राष्ट्रीय हित में है और यह निजता का हनन नहीं करता है। कोर्ट ने कहा था कि आधार से जुड़े बदलावों को सरकार नियमों के माध्यम से नहीं बल्कि कानून के माध्यम से संसद में लाए और वही सरकार ने किया है। उन्होंने कहा कि देश के 68 करोड़ सिम कार्ड और 65 करोड़ बैंक खाते आधार से जुड़े हैं।



नई दिल्ली, 24 जून (हि.स.)। केन्द्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विपक्ष की निजता संबंधी आपत्तियों के बीच सोमवार को आधार और अन्य कानून(संशोधन) विधेयक 2019 लोकसभा में पेश किया। इससे जुड़ा एक अध्यादेश मार्च में सरकार ने जारी किया था।

विधेयक को पेश करते हुए केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आधार देश के हित में है और इससे किसी की निजता का हनन नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि किसी को भी आधार डाटा साझा करना जरूरी नहीं होगा। सिम कार्ड लेते समय आधार या किसी अन्य दस्तावेज का प्रयोग किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस कानून से आधार, टेलीग्राफ, मनी लांड्रिंग संबंधी कानूनों के प्रावधानों में संशोधन करना पड़ेगा। वहीं विधेयक को पेश किए जाने का विरोध करते हुए आरएसपी नेता एनके प्रेमचन्द्रन ने कहा कि विधेयक सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ जाता है। यह विधेयक निजी एजेंसियों को आधार डाटा सहेजने की अनुमति देता है, जबकि सुप्रीम कोर्ट एजेंसियों को यह डाटा अपने यहां से हटाने को कह चुका है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने निजता को बुनियादी अधिकार माना है, जिसके तहत यह विधेयक उस अधिकार का उल्लंघन करता है। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को पहले पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन(ड्राफ्ट) विधेयक संसद में लाना चाहिए।

सदस्य द्वारा उठाए गए प्रश्नों का जवाब देते हुए रविशंकर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले में ही आधार और उसे जुड़े कानून को लेकर स्थिति स्पष्ट कर चुका है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि आधार वैध कानून है, यह राष्ट्रीय हित में है और यह निजता का हनन नहीं करता है। कोर्ट ने कहा था कि आधार से जुड़े बदलावों को सरकार नियमों के माध्यम से नहीं बल्कि कानून के माध्यम से संसद में लाए और वही सरकार ने किया है। उन्होंने कहा कि देश के 68 करोड़ सिम कार्ड और 65 करोड़ बैंक खाते आधार से जुड़े हैं।

इसी साल दो मार्च को आधार एवं अन्य कानून(संशोधन) अध्यादेश जारी किया था। यह अध्यादेश आधार (वित्तीय एवं अन्य सबसिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण) एक्ट 2016, भारतीय टेलीग्राफ एक्ट, 1885 और धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) निवारण एक्ट 2002 में संशोधन करता है। इससे पूर्व ऐसा ही एक विधेयक चार जनवरी को लोकसभा में पारित किया गया था लेकिन 16वीं लोकसभा के भंग होने के साथ यह विधेयक लैप्स हो गया।


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