लोकसभा : विपक्ष की आपत्तियों के बीच सूचना अधिकार कानून में संशोधन से जुड़ा विधेयक पास

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केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने विधेयक पर विपक्ष की आपत्तियों का जवाब देते हुए कहा कि इससे सूचना आयोग की स्वतंत्रता, स्वायत्तता और अधिकार क्षेत्र में किसी तरह का हस्ताक्षेप नहीं होने जा रहा है।



नई दिल्ली, 22 जुलाई (हि.स.)। सरकार ने सोमवार को लोकसभा में सूचना का अधिकार कानून में संशोधन से जुड़ा विधेयक चर्चा के बाद पारित कर दिया। विपक्षी सांसदों ने विधेयक का विरोध किया और बाद में इस पर मतविभाजन भी हुआ।

केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने विधेयक पर विपक्ष की आपत्तियों का जवाब देते हुए कहा कि इससे सूचना आयोग की स्वतंत्रता, स्वायत्तता और अधिकार क्षेत्र में किसी तरह का हस्ताक्षेप नहीं होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि कानून की धारा 12(4) और 12(3) आयोग की स्वायत्तता और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़ा हैं, जिनमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। धारा 24 के तहत सदस्यों की संख्या और किन्हें आयुक्तों के तौर पर चुना  जाएगा, इसकी जानकारी है। इसमें भी सरकार ने कोई बदलाव नहीं किया है।

उन्होंने कहा कि मूल कानून बनाते समय तात्कालीन सरकार ने जल्दबाजी की थी, जिसके चलते विधेयक में कई विसंगतियां हैं। विधेयक में सरकार को इससे जुड़े नियम बनाने का आधिकार भी नहीं दिया गया था। अब संसद की अनुमति से नियम-कानून बनाए जा सकेंगे। नए विधेयक से सरकार सूचना पाने का अधिकार आसान बनाएगी। उन्होंने विपक्ष की इन आपत्तियों को खारिज कर दिया कि सरकार सूचना आयुक्तों के वेतन और भत्तों में परिवर्तन करने जा रही है।

जितेन्द्र सिंह ने कहा कि सूचना आयोग एक वैधानिक निकाय है और वह आगे भी बना रहेगा। उनकी सरकार ने पिछले पांच साल में सूचना के अधिकार कानून को अधिक सशक्त बनाया है। उनकी सरकार ने आरटीआई को ऑनलाइन किया। इसके लिए एप्लीकेशन लाई। खुद से सूचना सार्वजनिक करने की प्रक्रिया को अपनाया। आरटीआई के प्रति जागरुकता के लिए कॉल सेंटर बनाए। उन्होंने लंबित पड़े मामलों पर कहा कि इनकी संख्या लगातार घट रही है।

विधेयक पर हुई चर्चा में कांग्रेस नेता शशि थरूर, आरएसपी नेता एनके प्रेमचन्द्रन, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी और अन्य सदस्यों ने भाग लिया। मतविभाजन में विधेयक को पेश किए जाने के पक्ष में 218 और विपक्ष में 79 वोट पड़े।

विधेयक पर चर्चा की शुरुआत में कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि सरकार हर विधेयक को जल्दबाजी में क्यों ला रही है। उसे विधेयक को अधिक गहन जांच के लिए स्थाई समिति को भेजना चाहिए था। डीएमके नेता ए राजा ने कहा कि सरकार का यह तर्क कि चुनाव आयोग की सूचना आयोग से तुलना नहीं की जा सकती, क्योंकि एक संवैधानिक संस्था है और सूचना आयोग वैधानिक संस्था है। टीएमसी नेता सौगत राय ने कहा कि सरकार यह विधेयक सूचना आयुक्त की शक्तियां कम करने के लिए लाई है।

 


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